गाँवों में खोल डाले कॉल सेंटर, देश भर में ग्रामीण युवाओं को सशक्त बनाने में जुटी हैं सलोनी
इंजीनियर सलोनी मल्होत्रा ने अपने प्रयासों के जरिये आज बीपीओ उद्योग के प्रति लोगों के दृष्टिकोण को पूरी तरह बदल दिया है।
"सलोनी के इन प्रयासों का ही नतीजा है कि आज इन क्षेत्रों में परिजन अपनी बेटियों की शिक्षा पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। हालांकि अपने उपक्रम को लेकर गांवों में इस तरह की तकनीकी शुरुआत करना सलोनी के लिए भी आसान नहीं था। उन्हें इसके लिए इन गांवों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन के साथ ही बिजली और अन्य उपकरणों की भी व्यवस्था करनी पड़ी।"
भारत की अधिकांश आबादी अभी भी ग्रामीण हिस्सों में रहती है, लेकिन बावजूद इसके उन क्षेत्रों में शिक्षा और रोजगार जैसे मौकों का काफी अभाव देखने को मिलता है, हालांकि इन ग्रामीण क्षेत्रों में मानव संसाधन की कोई कमी नहीं है। इसी मौके को देखते हुए आज एक इंजीनियर अपने प्रयासों से न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के मौके उपलब्ध करा रही हैं, बल्कि वे व्यावसायिक तौर पर भी सफलता हासिल कर रही हैं।
इंजीनियर सलोनी मल्होत्रा ने अपने प्रयासों के जरिये आज बीपीओ उद्योग के प्रति लोगों के दृष्टिकोण को पूरी तरह बदल दिया है। सलोनी आज देश के तमाम ग्रामीण क्षेत्रों में कॉल सेंटरों का संचालन कर रही हैं, जिनके जरिये बड़ी संख्या में ग्रामीण युवा रोजगार के अवसर पा रहे हैं।
गांव में खोले कॉल सेंटर
सलोनी ने पुणे विश्वविद्यालय से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वेबचटनी नाम के एक स्टार्टअप की शुरुआत की थी, हालांकि उस दौरान उन्हें व्यवसाय को लेकर किसी भी तरह का अनुभव नहीं था। वो बस बीपीओ उद्योग में कुछ बड़ा करना चाहती थीं।
सलोनी ने तभी तय किया कि अगर ग्रामीण क्षेत्रों में कॉल सेंटरों की स्थापना की जाए तो यह कई मायनों में फायदा पहुंचा सकता है। सबसे पहले तो यह ग्रामीण आबादी के लिए बड़े स्तर पर रोज़गार के अवसर खोलने का काम करेगा, जबकि इसी के साथ गाँवों में भी कुछ मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। सलोनी ने अपनी इसी खास सोच के साथ आगे बढ़ते हुए अपने अगले उपक्रम 'देशीक्रू' की स्थापना कर डाली।
लड़कियों को मिली प्राथमिकता
सलोनी के अनुसार वे गाँव, टेक्नालजी और प्रॉफ़िट के फॉर्मूले पर आगे बढ़ना चाह रही थीं और इसके लिए उनके हिसाब से बीपीओ एक उपयुक्त मॉडल था। सलोनी का यह प्रोजेक्ट साल 2005 में शुरू हुआ, जबकि इसे साल 2007 में औपचारिक रूप से रजिस्टर करवाया गया।
आज देसीक्रू (DesiCrew) के तहत सलोनी ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार युवाओं को आवश्यक प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर बड़ी तादाद में रोजगार मुहैया करा रही हैं। इस तरह से यह ग्रामीण युवाओं के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में रोजगार का बड़ा मौका है। गौरतलब है कि देसीक्रू आज ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों के लिए विशेष तौर पर मौके उपलब्ध करा रहा है, ऐसे में नौकरी के स्तर पर उन्हें प्राथमिकता दी जाती है।
सफलता चूम रहा है उपक्रम
सलोनी के इन प्रयासों का ही नतीजा है कि आज इन क्षेत्रों में परिजन अपनी बेटियों की शिक्षा पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। हालांकि अपने उपक्रम को लेकर गांवों में इस तरह की तकनीकी शुरुआत करना सलोनी के लिए भी आसान नहीं था। उन्हें इसके लिए इन गांवों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन के साथ ही बिजली और अन्य उपकरणों की भी व्यवस्था करनी पड़ी।
आज सलोनी यह मानती हैं कि गांव में लोग अधिक सक्षम हैं और मेहनत कर सीखते हुए लगातार आगे बढ़ने को तैयार हैं। सलोनी ने अपनी प्रयासों के जरिये आज इन ग्रामीण क्षेत्रों में ही मेट्रो शहरों के मुक़ाबले बराबर सुविधाओं को विकसित करने का काम किया है, इसी के साथ अब उनकी सुविधाओं को लेकर देश भर में फैले उनके ग्राहक पूरी तरह संतुष्ट हैं।
Edited by Ranjana Tripathi