Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

सावधान! खिलौनों से आपके बच्चे को हो सकता है क़ैसर, पढ़ें यह रिपोर्ट

सावधान! खिलौनों से आपके बच्चे को हो सकता है क़ैसर, पढ़ें यह रिपोर्ट

Sunday December 29, 2019 , 3 min Read

सावधान हो जाइए, खिलौने बच्चों की जिंदगी में जहर घोल रहे हैं। एक औचक स्टडी के बाद क्यूसीआई (भारतीय गुणवत्ता परिषद) की एक ताज़ा रिपोर्ट में बताया गया है कि हमारे देश में बाहर से इम्पोर्ट किए जा रहे 66.90 फीसद खिलौने बच्चों की सेहत के लिए ख़तरनाक हैं। उनके केमिकल से कैंसर, त्वचा संबंधी रोगों का खतरा है।

toy

सांकेतिक चित्र



ऑल इंडिया टॉय मैन्युफैक्चर संघ (टैटमा) के कमेटी मेंबर अनुज आर मेहता के मुताबिक, भारत में खिलौना उद्योग का मौजूदा कारोबार करीब 4000 करोड़ रुपए का है, जिसमें सालाना 15 फीसदी की ग्रोथ हो रही है। इस समय हमारे देश में खिलौना उद्यम के तहत करीब 1500 कंपनियां संगठित और इसकी दोगुना असंगठित क्षेत्र में हैं। इनसे देश में खिलौने की मांग की 30 फीसदी ही आपूर्ति हो पा रही है। पचास फीसदी खिलौने विदेशों से आयात हो रहे हैं।


इस बीच प्लास्टिक कचरा विरोधी सरकार की मुहिम से खिलौना उद्योग एवं बच्चों के उत्पादों पर असर पड़ रहा है। भारतीय खिलौना उद्योग को विदेशी कंपनियों से पहले ही चुनौती मिल रही थी, लेकिन अब उसके लिए एक और समस्या खड़ी हो गई है।

खिलौने बने ख़तरा

इस बीच एक औचक स्टडी के बाद क्यूसीआई (भारतीय गुणवत्ता परिषद) की एक ताज़ा रिपोर्ट में बताया गया है कि हमारे देश में बाहर से इम्पोर्ट किए जा रहे 66.90 फीसद खिलौने बच्चों की सेहत के लिए ख़तरनाक हैं। ये खिलौने मेकेनिकल, केमिकल जांच में ठीक नहीं पाए गए हैं। इन खिलौनों में कैमिकल तय मात्रा से ज़्यादा मिला है, जिससे बच्चों को तरह-तरह की बीमारियां हो सकती हैं।


क्यूसीआई के सेक्रेटरी जनरल डॉ. आरपी सिंह बताते हैं,

"विदेश व्यापार महानिदेशालय का नोटिफ़िकेशन है कि भारतीय बंदरगाहों पर ही विदेशों से आयातित खिलौनों के सैंपल लेकर एनएबीली लैब में परीक्षण जरूरी है। हमने देखा कि आयातित खिलौनों की जांच की जा रही है कि नहीं है। उसके बाद क्यूसीआई ने दिल्ली-एनसीआर से 121 तरह के (प्लास्टिक-लकड़ी-मेटल के, इलैक्ट्रिकल, सॉफ्ट टॉय,  कॉस्ट्यूम्स आदि) खिलौनों के सैंपल का एनएबील की मान्यता प्राप्त लैब में परीक्षण कराया तो पता चला कि उनमें तो मात्रा से अधिक हानिकारक केमिकल मिश्रित हैं।" 

बच्चों को हो सकता है क़ैसर

सेक्रेटरी जनरल ने बताया कि सॉफ्ट टॉयज़ में मिश्रित थैलेट केमिकल से तो कैंसर भी हो सकता है। कई खिलौनों के केमिकल से त्वचा संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। मुंह में लेने पर इंफे़क्शन हो सकता है। 41.3 प्रतिशत सैंपल मेकेनिकल जांच में, 3.3 प्रतिशत फैलाइट केमिकल जांच में, 12.4 प्रतिशत मेकेनिकल और फैलाइट जांच में, 7.4 प्रतिशत ज्वलनशीलता जांच में, 2.5 प्रतिशत मेकेनिकल और ज्वलनशीलता जांच में फ़ेल पाए गए। सिर्फ 33 प्रतिशत खिलौने ही सेंपल परीक्षण में सही मिले।

खिलौनों का बड़ा बाज़ार है भारत

गौरतलब है कि हमारे देश में सबसे ज़्यादा खिलौने चीन, उसके बाद श्रीलंका, मलेशिया, जर्मनी, हॉन्ग-कॉन्ग और अमरीका से आयातित होते हैं। दिल्ली सदर बाजार, एनसीआर, मुंबई क्रॉफोर्ड मार्केट, कोलकाता कैनिंग स्ट्रीट, कानपुर नवीन मार्केट के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश के होलसेल बाजार खिलौनों से अटे पड़े हैं।


अभी इसी साल मई में रिलायंस इंडस्ट्रीज की ढाई सौ साल पुरानी ब्रिटिश खिलौना रिटेलर कंपनी हैमलेज ग्लोबल होल्डिंग्स को 620 करोड़ रुपये में खरीद लेने की डील हो चुकी है, जिसके 18 देशों में 167 स्टोर हैं।


भारत में रिलायंस हैमलेज की मास्टर फ्रेंचाइज है। यह फिलहाल 29 शहरों में 88 स्टोरों का परिचालन करती है। इस तरह वैश्विक स्तर पर रिलायंस कंपनी अब ब्रांडेड खिलौना कारोबार और उद्योग का एक बड़ा खिलाड़ी बन चुकी है।