बिलासपुर के पांच बच्चों ने किया झूले से बिजली बनाने का आविष्कार
छत्तीसगढ़ में प्रोत्साहित हो रही हैं युवा प्रतिभाएं, बच्चे कर रहे हैं अनोखे आविष्कार!
मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ प्रगति के नए आयाम स्थापित कर रहा है। प्रदेश के स्कूली बच्चों में देश और प्रदेश के सामने मौजूद समस्याओं का निराकरण करने की अद्भुत क्षमता भी देखी जा रही है।
प्रदेश के दूसरे बड़े शहर और न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर के सरकारी स्कूल के छात्रों ने विज्ञान को चौंका देने वाले आविष्कार किये है, जिनमें झूलों से बिजली बनाने का प्रोजेक्ट देश भर में चर्चित हो रहा है।
हमारे देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है,जरुरत है तो बस उसे निखारने की। छत्तीसगढ़ में भी ऐसी ही प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने का काम किया जा रहा है। एक समय था जब छत्तीसगढ़ को पिछड़ा और बीमारू इलाका समझा जाता था। मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ प्रगति के नए आयाम स्थापित कर रहा है। प्रदेश के स्कूली बच्चों में देश और प्रदेश के सामने मौजूद समस्याओं का निराकरण करने की अद्भुत क्षमता भी देखी जा रही है। प्रदेश के दूसरे बड़े शहर और न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर के सरकारी स्कूल के छात्रों ने विज्ञान को चौंका देने वाले आविष्कार किये है, जिनमे झूलों से बिजली बनाने का प्रोजेक्ट देश भर में चर्चित हो रहा है। देश की राजधानी नई दिल्ली में इन स्कूली छात्रों ने अपने आविष्कार का प्रदर्शन किया तो बड़े अधिकारी भी हैरान रह गए।
बिलासपुर के गवर्मेंट हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्रों ने झूले से बिजली बनाने की विधि ईजाद की है। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले इन पांच बाल वैज्ञानिकों ने यह देखा शहर में लगभग हर जगह झूले पाए जाते हैं बगीचों में और घरों में भी। कई बार ऐसी स्थिति हो जाती है कि रास्ते में ही आपको मोबाईल की बैटरी चार्ज करनी है तो ऐसे समय में पास के बगीचे में लगे झूले बिजली पैदा करेंगे और आपकी छोटी छोटी जरुरतें पूरी हो जाया करेंगी।
भारत सरकार के नीति आयोग के निर्देश पर ऐसे अविष्कारों को प्रोत्साहित करने और उनके प्रदर्शन के लिए राजधानी नई दिल्ली में एक सेमीनार आयोजित किया गया। इस सेमिनार में पूरे प्रदेश से बिलासपुर के गवर्मेंट हायर सेकेंडरी स्कूल के पांच बाल वैज्ञानिकों के साथ एक एटीएल इंचार्ज का चयन हुआ। इन बाल वैज्ञानिकों ने बिजली उत्पादन की नई तकनीक 'झूला से बिजली बनाने के प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया, जिसे नीति आयोग ने ऑनलाइन मॉनिटर किया।
इस दौरान आयोग के पदाधिकारियों ने प्रोजेक्ट के बाजार में लॉन्च करने के तरीके भी बताए। नीति आयोग के अधिकारियों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ऑनलाइन इस प्रदर्शन कार्यक्रम को देखा और आयोग ने बाल वैज्ञानिको से सवाल जबाब भी किया। नीति आयोग के अधिकारियो ने छत्तीसगढ़ के इन बाल बैज्ञानिको की सराहना की।
आविष्कार के संबंध में नीति आयोग ने एटीएल इंचार्ज डॉ धनंजय पांडेय से जानकारी मांगी है साथ ही पूरी फाईल ईमेल के जरिये वीडियोग्राफी सहित प्रस्तुत करने का आग्रह किया है। बिलासपुर गवर्मेंट स्कूल के छात्र और बाल वैज्ञानिक स्वास्तिक प्रजापती ने बताया कि आज के दौर में छोटे-बड़े तमाम शहरों में झूले का क्रेज है,पार्क में भी झूले लगे रहते हैं अगर कोई बुजुर्ग पार्क में घूमने जाता है और मोबाइल डिस्चार्ज हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में लोग बगीचे में ही झूले से बनी बिजली से अपने मोबाइल की बैटरी चार्ज कर सकेंगे।
बिजली उत्पादन की नई तकनीक में इन बाल वैज्ञानिकों ने 'झूले से बिजली' बनाने के आलावा बिना कोयला और पानी का इस्तेमाल किए प्रदूषण रहित ईको एनर्जी तैयार करने का अनोखा नुस्खा भी तैयार किया है। बच्चों ने झूले में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की मदद से बगैर कोयला और पानी के बिजली पैदा कर सकने में सक्षम मॉडल विकसित किया है। एटीएल इंचार्ज डॉ धनंजय पांडेय ने बताया कि झूला झूलने के दौरान विशेष प्रकार की मशीन लगाकर मोबाइल से जोड़ दिया जाता है। जैसे-जैसे झूले की रफ्तार बढ़ती जाती है उसी रफ्तार से मोबाइल भी चार्ज होने लगता है।
यह नजारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए नीति आयोग के अधिकारी भी देख रहे थे। झूले से बिजली पैदा करने की तरकीब को लेकर आयोग ने दिलचस्पी दिखाई है। गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल बिलासपुर के प्रिंसिपल आर के गौरहा को अपने विद्यार्थियों पर गर्व है। वे कहते हैं, उनके स्कूल के बच्चों ने पूरे देश में विज्ञान पर आधारित समाज के लिए उपयोगी आविष्कार कर एक नई राह दिखाने के साथ-साथ कीर्तिमान स्थापित किया है।
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