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10 करोड़ ग्राहकों तक कैसे पहुंचा 'न्यूजहन्ट'

दो साल में 100 मिलियन ग्राहकडिजिटल भाषाई क्रांति के वाहकअधिग्रहण से खुली राह12 भाषाओं के 100 से ज्यादा अखबार

10 करोड़ ग्राहकों तक कैसे पहुंचा 'न्यूजहन्ट'

Monday March 16, 2015 , 5 min Read

महज दो साल पहले शुरू की गई एक कम्पनी आज 100 मिलियन ग्राहकों से जुड़ चुकी है, यकीन नहीं होता न? लेकिन कामयाबी की यह अदभुत मिसाल वीरेन्द्र गुप्ता और उनके साथियों ने कायम कर दिखाई है। इतनी बड़ी सफलता की यह कहानी लगभग अकल्पनीय है लेकिन जैसे जैसे हम इसके पन्ने पलटते हैं, हमारे लिए प्रेरणा से भरे कई उदाहरण सामने आते हैं। वीरेन्द्र गुप्ता और ‘न्यूज़हन्ट’ के छोटे लेकिन कामयाब सफर में रचनात्मकता और सृजनात्मकता से रचे गए रास्ते से लक्ष्य को पा लेने की कहानी छिपी है।

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वीरेन्द्र ‘वर्स इनोवेशन’ के सी.ई.ओ और सह-संस्थापक हैं। उनकी कम्पनी ‘वर्स इनोवेशन’ ने दो साल पहले ‘न्यूज़ हन्ट’ कम्पनी का अधिग्रहण किया था।

वीरेन्द्र गुप्ता ने देश में बढ़ रही डिजिटल खाई पर पुल बनाने का सपना देखा जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने उसी हुनर का सहारा लिया जो उनके पास पहले से था। उन्होंने मोबाइल टेक्नॉलॉजी से भाषा को इस रचनात्मकता से जोड़ा कि अभूतपूर्व सफलता उनके कदम चूम रही है।

‘न्यूज़हन्ट’ आज भारत का एक चर्चित मोबाइल ऐप्लिकेशन है जो देश की अलग-अलग भाषाओं के अखबार और किताबें मोबाइल फोन के ज़रिए लोगों तक पहुंचाता है। ‘न्यूज़हन्ट’ को 36 मिलियन लोग मोबाइल पर इन्स्टॉल कर चुके हैं।

‘न्यूज़हन्ट’ देश में डिजिटल भाषाई क्रान्ति ले आया है। एक कहावत भारत में प्रचलित है, ’कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी’। 2001 की मतगणना के मुताबिक 30 भाषाएं भारत में बोली जाती हैं और इस विविधता को अवसर में बदलने का श्रेय वीरेन्द्र को दिया जाना चाहिए।

देश में 74% साक्षर लोगों में से 10% लोग ही अंग्रेजी पढ़ सकते हैं बाकी बहुत बड़ी संख्या में लोग स्थानीय भाषा के अखबारों और किताबों के पाठक हैं। इसी बड़े फर्क के सवाल का जवाब विरेन्द्र ने अपनी दूर-दर्शिता से दिया।

अनुकूल मार्केट ने दिया साथ

वीरेन्द्र मानते हैं कि ‘न्यूज हन्ट’ एक ऐसा मंच है जो भाषाई विविधता वाले इस देश में मोबाइल के ज़रिए लोगों तक पहुंचने का एक बेहतरीन माध्यम बन गया है। जहां आज दुनिया में सबसे ज़्यादा संख्या में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों की सूचि में भारत दूसरे नंबर पर है वहां ‘न्यूज़ हन्ट’ ऐप ने 12 भाषाओं में 100 से ज़्यादा अखबार लोगों तक पहुंचाने का काम किया है। आज हाथ में मोबाइल फोन लिए कोई भी अपनी भाषा में इस मोबाइल ऐप्लिकेशन पर अखबार पढ़ सकता है।

वहीं मार्केट की स्थिति भी उनका साथ देती दिख रही है। हाल ही में किए गए डेलॉइट के एक सर्वे के मुताबिक देश में स्थानीय भाषाओं के प्रिंट मार्केट में 11% की बढ़ोतरी देखी गई है जबकि अंग्रेजी में यह आंकड़ा सिर्फ 5% है। रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज़पेपर ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में 82,237 अखबार रजिस्टर किए जा चुके हैं। ऐसे में वीरेन्द्र और उनकी टीम के लिए संभावनाएं अपार हैं।

किताबें भी उपलब्ध हैं ‘न्यूजहन्ट’ पर

‘न्यूज़हन्ट’ की सफलता के पीछे उनकी टीम के नए-नए विचार हैं। भारत की स्थानीय भाषाओं का साहित्य समृद्ध रहा है और इसी से प्रेरित होकर ऐप्लिकेशन में भारतीय भाषाओं में किताबें उपलब्ध कराई गई हैं। कड़ी मेहनत से संभव किए गए इस प्रयास से उनकी यह योजना भी सफलता के शिखर पर पहुंच चुकी है। छह हफ्तों में विभिन्न स्थानीय भाषाओं में पांच लाख से ज़्यादा किताबें डाउनलोड की जा चुकी हैं।

सबसे लोकप्रिय मोबाइल ऐप में ‘न्यूज़हन्ट’

व्हाट्स ऐप, फेसबुक और यू-ट्यूब जैसे लोकप्रिय ऐप्लिकेशन के साथ ‘न्यूज़हन्ट’ भी टॉप-10 मोबाइल ऐप्लिकेशन की सूचि में शामिल है। यह अकेला भारतीय ऐप्लिकेशन है जो इस सूचि में शामिल है। ए सी नीलसन के सर्वे में यह बताया गया है कि इसको इस्तेमाल करने वाले लोग ऐप पर फेसबुक और यू-ट्यूब से ज़्यादा वक्त बिताते हैं। ‘न्यूज़हन्ट’ को मिलने वाले 3 करोड़ 60 लाख इन्स्टॉल और एक महीने में एक अरब पेज व्यूज़, इतने बड़े आंकड़े हैं जो वीरेन्द्र और उनकी टीम की गगनचुंबी सफलता का बयान कर देते हैं।

नई मंजिलों की और बढ़ते कदम, अगला लक्ष्य माइक्रो पेमेन्ट ‘आई-पे’

कहते हैं सफल उद्यमी वही होते हैं जो एक कामयाबी के बाद रुकते नहीं हैं और अपने लक्ष्य को पाने के बाद भी नई मंजिलों के रास्ते खोजने लगते हैं। ‘न्यूज़हन्ट’ की टीम अब भारत में डिजिटल जगत की एक और समस्या के आसान हल ढूंढ़ने पर काम कर रही है, वह है ऑन-लाइन पेमेन्ट। ‘न्यूज़ हन्ट’ ऑन-लाइन भुगतान और इससे जुड़े कई पहलूओं पर काम कर रही है। ‘न्यूज़ हन्ट’ की टीम ने ऑन-लाइन पेमेन्ट के आसान उपाय विकसित किए हैं जो एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी शीर्ष कम्पनियां इस्तमाल कर रही हैं। कम्पनी देश में अब तक ऑन-लाइन ट्रान्ज़ेक्शन से नहीं जुड़ पाए छोटे कारोबारियों के लिए भी आसान उपाय उपलब्ध करवा रही है।

सफलता के मंत्र

वीरेन्द्र गुप्ता और उनके सहयोगियों ने जब ‘न्यूज़ हन्ट’ का अधिग्रहण किया तब टीम ने कड़ी मेहनत से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ना शुरू किया। वीरेन्द्र टीम लीडर के तौर पर मानते हैं कि जो अपेक्षा वो दूसरे से करते हैं उसे पहले खुद पर लागू करते हैं। मोबाइल टेक्नोलॉजी में निपुण उनकी टीम भारत में विशाल संख्या में मोबाइल इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों की ज़रूरतों और सुविधाओं के बारे में गहराई से अध्ययन करते हैं।

जोधपुर के रहने वाले वीरेन्द्र महज़ दो साल में हासिल की गई अपनी बेमिसाल कामयाबी के बावजूद चर्चा में आने से बचते हैं। लेकिन टीम के बारे में बात करते हुए वीरेन्द्र की आंखों में चमक देखी जा सकती है। वे कहते हैं कि उनकी सफलता का राज़ है भारत में डिजिटल जगत की वास्तविक समस्याओं के हल ढूंढ़ने के लिए उनकी टीम की मेहनत। ‘न्यूज़ हन्ट’ की टीम लगातार देश में ग्राहकों के विचारों और उनकी मांगों में हो रहे बदलावों और ट्रेन्ड का अध्ययन करती है ताकि मोबाइल क्षेत्र में जो सेवाएं दी जा रही हैं उन्हें बेहतर बनाया जा सके।

वीरेन्द्र गुप्ता नई पीढ़ी के उन उद्यमियों में आते हैं जो व्यापार के अवसर ढूंढ़कर उन्हें ग्राहक और उद्यमी दोनों के लिए फायदे की स्थिति में बदलते हैं।

वीरेन्द्र गुप्ता की कहानी कड़ी मेहनत और दूर-दर्शिता से मिली असंभव लगने वाली कामयाबी की प्रेरणा दायक कहानी है। वीरेन्द्र गुप्ता ने साबित कर दिखाया है कि ‘कुछ भी असंभव नहीं है’।