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70 प्रतिशत ग्रामीण नागरिकों ने अपनाया ई-वॉलेट

85 प्रतिशत कारोबारियों ने ई-वॉलेट प्रणाली को अपनाया है जबकि 13 प्रतिशत ने यूपीआई का विकल्प चुना है।

70 प्रतिशत ग्रामीण नागरिकों ने अपनाया ई-वॉलेट

Wednesday December 21, 2016 , 3 min Read

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने कहा है कि 70 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण आबादी ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) भुगतान विकल्प द्वारा अपनाये जा रहे ई-वॉलेट पद्धति को अपनाया है।

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मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के पास उपलब्ध मौजूदा आंकड़ों की समीक्षा से पता चलता है कि 70 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण आबादी ने यूपीआई भुगतान का विकल्प अपनाया है, 16 प्रतिशत ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) का विकल्प चुना है। बाकी लोगों ने यूएसएसडी, आधार चलित भुगतान प्रणाली, कार्ड और पांइट ऑफ सेल (पीओएस) के द्वारा किया है।

इसमें कहा गया है कि 85 प्रतिशत कारोबारियों ने ई-वॉलेट प्रणाली को अपनाया है जबकि 13 प्रतिशत ने यूपीआई का विकल्प चुना है।

उधर दूसरी तरफ सरकार पॉइंट अॉफ सेल (पीओएस) मशीनों की संख्या बढाने के लिए बैंकों व अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ काम कर रही है। कोयला व बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने यह जानकारी दी है। वे डिजिटल इकनोमी फोर 2016 को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘हम बैंकों तथा अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं, ताकि पीओएस मशीनों की संख्या बढाई जा सके।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब तो स्मार्टफोन ही पीओएस बनते जा रहे हैं।

साथ ही सरकार ने कहा है, कि नकदी के बजाए डिजिटल लेन-देन अपनाने से छोटे व्यापारियों की कर देनदारी में 46 प्रतिशत तक कमी आएगी। सरकार ने अनुमानित आय नियमों में बदलाव किया है इससे उन छोटे व्यापारियों की कर देनदारी में कमी आएगी जो डिजिटल भुगतान का विकल्प चुनते हैं। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘डिजिटल माध्यमों से लेन-देन से जहां एक तरफ करीब 46 प्रतिशत कर देनदारी में कमी आएगी, वहीं छोटी कंपनियां अपने बही-खातों को समृद्ध कर पाएंगी जिससे उन्हें बैंक कर्ज आसानी से मिलने मदद मिल सकता है।’ बयान के अनुसार साथ ही अगर बैंक चैनलों के जरिये लेन-देन होता है तो जिसका भी सालाना कारोबार 66 लाख रूपये तक है तो धारा 80 सी का लाभ उठाने के बाद उन पर कर देनदारी शून्य होगी।

इससे पहले, जेटली ने कहा था, कि ‘इसका मकसद है कि अगर आप डिजिटल लेन-देन करते हैं, आप कम कर दे सकते हैं। यह अर्थव्यवस्था में डिजिटलीकरण को समर्थन देने के लिये कर प्रोत्साहन है। और अगर हम इसका विश्लेषण करते हैं तो डिजिटल माध्यम से लेनदेन करने वाले व्यापारियों को 30 प्रतिशत से अधिक लाभ मिलेगा।’ उन्होंने कहा कि 2016-17 के बजट में दो करोड़ रूपये तक कारोबार करने वाले छोटे व्यापारी एवं कारोबारी, जिनके पास खातों का उपयुक्त ढंग से रखरखाव नहीं होता है, कर लगाने के उद्देश्य से उनका मुनाफा 8 प्रतिशत माने जाने की बात कही गयी है। लेकिन अगर वे भुगतान प्राप्ति डिजिटल साधनों से करते हैं तो उनका मुनाफा कारोबार का 6 प्रतिशत माना जायेगा न कि 8 प्रतिशत।