फरवरी, 2024 तक OROP का पूरा बकाया चुकाएगा केंद्र, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार वन रैंक वन पेंशन (OROP) के तहत पूर्व सैन्य कर्मियों को बकाये का भुगतान करने पर उसके 2022 के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य है और उसने केंद्र से 2019-2022 के लिए उन्हें अगले साल 28 फरवरी तक 28,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि देने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार वन रैंक वन पेंशन (OROP) के तहत पूर्व सैन्य कर्मियों को बकाये का भुगतान करने पर उसके 2022 के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य है और उसने केंद्र से 2019-2022 के लिए उन्हें अगले साल 28 फरवरी तक 28,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि देने को कहा.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सुनवाई शुरू होने पर ओआरओपी के बकाये के भुगतान पर केंद्र द्वारा सीलबंद लिफाफे में दिए गए जवाब को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
पीठ ने रक्षा मंत्रालय को पूर्व सैन्य कर्मियों को बकाये का भुगतान करने के लिए समय दिया. उसने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ओआरओपी योजना के संदर्भ में इस अदालत के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य है.’’
पीठ ने कहा कि 25 लाख पेंशनभोगियों में से चार लाख ओआरओपी योजना के योग्य नहीं पाए गए क्योंकि उन्हें बढ़ी हुई पेंशन मिल रही थी और केंद्र ने 30 अप्रैल 2023 तक बकाये का भुगतान करने का प्रस्ताव दिया था.
न्यायालय ने इस समय सीमा को घटाकर अगले साल 28 फरवरी कर दिया. उसने ओआरओपी योजना के तहत पेंशनभोगियों के विभिन्न समूहों को बकाये के भुगतान के लिए समय दिया.
पीठ ने निर्देश दिया कि छह लाख पेंशनभोगी परिवार और वीरता पदक विजेताओं को 30 अप्रैल 2023 तक ओआरओपी के बकाये का भुगतान किया जाए.
उसने कहा कि 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के करीब चार-पांच लाख सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों को इस साल 30 जून तक एक या उससे अधिक किस्तों में ओआरओपी के बकाये का भुगतान किया जाए.
पीठ ने कहा कि बाकी के 10-11 लाख पेंशनभोगियों को ओआरओपी के बकाये का भुगतान अगले साल 28 फरवरी तक तीन बराबर किस्तों में किया जाए. इसके साथ ही पीठ ने यह साफ कर दिया कि बकाये का भुगतान ‘‘पूर्व सैन्य कर्मियों की पेंशन को समान करने की प्रक्रिया पर असर नहीं डालेगा जो 2024 में किया जाना है.’’
सुप्रीम कोर्ट ओआरओपी बकाये के भुगतान को लेकर ‘इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट’ (आईईएसएम) की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने ओआरओपी के बकाये का चार किश्तों में भुगतान करने का ‘‘एकतरफा’’ फैसला करने के लिए 13 मार्च को सरकार की खिंचाई की थी.
केंद्र के सीलबंद लिफाफे को स्वीकार करने से इनकार
सुनवाई शुरू होने पर शीर्ष न्यायालय ने ओआरओपी के बकाये के भुगतान पर केंद्र द्वारा सीलबंद लिफाफे में दिए गए जवाब को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
पीठ ने कहा, ‘‘हमें सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के चलन पर रोक लगाने की जरूरत है…यह मूल रूप से निष्पक्ष न्याय दिए जाने की बुनियादी प्रक्रिया के विपरीत है.’’
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के खिलाफ हूं. अदालत में पारदर्शिता होनी चाहिए…यह आदेशों को अमल में लाने को लेकर है. इसमें गोपनीय क्या हो सकता है.’’
Edited by Vishal Jaiswal