हैंडलूम साड़ियों को फिर से प्रचलन में ला रहा चंडीगढ़ का यह स्टार्टअप, असली सिल्क की है गारंटी
सुमति और पुलकित गोग्ना ने अपना पारिवारिक बिज़नेस छोड़कर 2017 में भारतस्थली (Bharatsthali.com) की शुरुआत की थी। उनका पारिवारिक बिज़नेस अच्छी स्थिति में था, इसके बावजूद उन्होंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत करने का फ़ैसला लिया। भारतस्थली स्टार्टअप को शुरुआती तौर पर 40 लाख रुपए के निवेश के साथ शुरू किया गया था। इस स्टार्टअप को लॉन्च करने के पीछे सुमति और पुलकित का उद्देश्य था असली सिल्क की और कांजीवरम साड़ियों को फिर से प्रचलन में लाया जाए, जो समय के साथ-साथ बाज़ार से और साथ ही, ग्राहकों के ज़ेहन से भी ग़ायब होती जा रही हैं।
सुमति और पुलकित ने भारतीय हथकरघा उद्योग की संभावनाओं को समझा और उन्होंने पाया कि पिछले कुछ सालों में शहरी इलाकों में हथकरघा उत्पादों को काफ़ी लोकप्रियता मिली है। इसलिए इस दंपती ने तय किया कि वे अपने स्टार्टअप के माध्यम से लोगों को परंपरागत कला से जोड़कर रखने की कोशिश करेंगे।
चंडीगढ़ से शुरू हुआ भारतस्थली स्टार्टअप कलाकारों के समुदायों से सीधे तौर पर साड़ियों की ख़रीद करता है। सुमति-पुलकित कांचीपुरम से कांजीवरम साड़ियां; कोयंबटूर में पोलची से पोलची साड़ियां; बिहार के भागलपुर और मधुबनी गांवों और बनारस से बनारसी साड़ियां लाते हैं और उन्हें अपने ऑनलाइन प्लैटफ़ॉर्म के माध्यम से बेचते हैं।
पुलकित कहते हैं,
"एक हैंडलूम साड़ी को तैयार करने में 10 से 15 दिनों का समय लगता है, इसलिए हमने 50 से ज़्यादा कारखानों से संपर्क बना रखा है, जिनकी मदद से हम एक महीने में कम से कम 150 बेहद उम्दा दर्जे की सिल्क साड़ियां तैयार कर लेते हैं।"
पुलकित के अनुसार,
"साड़ी को ख़ास मौक़ों पर पहना जाने वाला परिधान माना जाता है, जैसे कि शादियों में या किसी त्यौहार आदि के मौक़ों पर, लेकिन बॉलिवुड के डिज़ाइनर्स और स्टार्स की बदौलत हैंडलूम साड़ियां फिर से प्रचलन में वापस आ रही हैं।"
पुलकित मानते हैं कि हैंडलूम साड़ियों की लोकप्रियता समय के साथ कम होने की वजह से लोगों में इन साड़ियों को पहचानने की समझ भी विकसित नहीं हो पाती। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि लोग मधुबनी साड़ियों और कलमकारी कला वाली साड़ियों के बीच भेद ही नहीं कर पाते और वे यह भी नहीं पहचान पाते कि ये असली हैं भी या नहीं।
उनका कहना है,
"जिन लोगों को इसके बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं होती, जीआई टैग भी उनकी मदद नहीं कर पाता। यहीं से भारतस्थली की भूमिका की शुरुआत होती है। भारतस्थली ग्राहकों को इन साड़ियों में इस्तेमाल हुई कारीगरी की विशेषताएं बताता है और सही माल ख़रीदने में मदद भी करता है।"
कैसे हुई शुरुआत
पुलकित और सुमति ने दक्षिण भारत जाकर बुनाई, ब्लॉक प्रिटिंग और अन्य महत्वपूर्ण कारकों के बारे में जानकारी हासिल की। इसके बाद उन्होंने भारतस्थली को लॉन्च कर कलाकारों और ग्राहकों के बीच की खाई को ख़त्म किया। भारतस्थली पर उपलब्ध सिल्क साड़ियां, सिल्क मार्क इंडिया के लेबल के साथ आती हैं, जो यह सुनिश्चित करता है कि सिल्क पूरी तरह से प्राकृतिक और असली है।
पुलकित तकनीकी पृष्ठभूमि से आते हैं, इसलिए अपनी वेबसाइट उन्होंने ख़ुद ही बनाई थी। हाल में भारतस्थली के उत्पाद न सिर्फ़ Bharatsthali.com पर बल्किअन्य कई सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स पर भी उपलब्ध हैं।
भारतस्थली सिर्फ़ भारत में ही नहीं, बल्कि देश से बाहर भी अपने उत्पाद बेचता है। कनाडा, यूके और मलेशिया में भारतस्थली के उत्पाद काफ़ी लोकप्रिय हैं। भारतस्थली को एक महीने में औसत रूप से 400-450 ऑर्डर्स मिल जाते हैं। ब्रैंड ने सिल्क और प्योर लिनेन फ़ैब्रिक की सप्लाई भी शुरू कर दी है। पुलकित कहते हैं कि वे अपने ग्राहकों को यह बताना चाहते हैं कि साड़ियां भी हमारी दैनिक जीवनशैली का हिस्सा बन सकती हैं, जैसे कि सलवार-सूट्स।
चुनौतियां
नई दौर की नई पीढ़ी को हैंडलूम उत्पादों की ओर आकर्षित करना और एक रिश्ता क़ायम करना काफ़ी मुश्किल काम था। पुलकित कहते हैं कि उन्हें और सुमति को इस चुनौती का पहले से ही आभास था और इसलिए वे इसके लिए पहले से ही तैयार थे।
सुमति और पुलकित दोनों एक महीने में एक बार दक्षिण भारत जाते हैं और वहां से नए डिज़ाइन्स और हैंडलूम उत्पादों की जानकारी लेकर आते हैं। पुलकित मानते हैं कि इस काम में काफ़ी समय और मेहनत खर्च होती है और यह भी काफ़ी चुनौतीपूर्ण काम है।
भविष्य की योजनाएं
पुलकित मानते हैं कि भारतस्थली अभी अपने शुरुआती दौर में है और एक बड़े कन्ज़्यूमर बेस को तैयार करने में उन्हें अभी और समय लगेगा। उन्होंने यह भी बताया कि भारतस्थली जल्द ही चंडीगढ़ में अपना पहला रीटेल स्टोर खोलेगा।