कीमोथेरेपी से बच्चों, नाती/पोतों को कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है: स्टडी
इस स्टडी के निष्कर्षों को देखते हुए अनुसंधानकर्ताओं ने बाद में बच्चों को जन्म देने की योजना बनाने वाले कैंसर मरीजों को कीमोथेरेपी से पहले अपने शुक्राणु या अंडाणु सुरक्षित कराने जैसी एहतियात बरतने की सलाह दी.
कीमोथेरेपी की एक सामान्य दवा किशोर कैंसर पीड़ितों के बच्चों और नाती/पोतों में बीमारी के खतरे को बढ़ा सकती है. चूहों पर किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है.
पत्रिका ‘आईसाइंस’ में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि किशोरावस्था के दौरान आइफोस्फामाइड दवा लेने वाले नर चूहों के बच्चों और बच्चों के बच्चों में इस बीमारी की घटनाएं बढ़ गयी.
अध्ययन के लेखक वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के माइकल स्किनर ने कहा, "निष्कर्ष दिखाते हैं कि अगर कोई मरीज कीमोथेरेपी लेता है और बाद में उसके बच्चे होते हैं तो उनके पोते/नाती और यहां तक कि पड़पोते तक में उनके पूर्वजों के कारण बीमारी की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है."
बहरहाल, स्किनर ने इस बात पर जोर दिया कि इन निष्कर्षों के बाद कैंसर मरीजों को कीमोथेरेपी लेने से परहेज नहीं करना चाहिए क्योंकि यह बहुत प्रभावी इलाज है. कीमोथेरेपी की दवाएं कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को खत्म करती है तथा उन्हें फैलने से रोकती है लेकिन इसके प्रजनन तंत्र समेत पूरे शरीर पर कई नकारात्मक असर होते हैं.
इस अध्ययन के निष्कर्षों को देखते हुए अनुसंधानकर्ताओं ने बाद में बच्चों को जन्म देने की योजना बनाने वाले कैंसर मरीजों को कीमोथेरेपी से पहले अपने शुक्राणु या अंडाणु सुरक्षित कराने जैसी एहतियात बरतने की सलाह दी.
क्या होती है कीमोथेरेपी?
कीमोथेरेपी के जरिए कैंसर का इलाज किया जाता है. उपचार के इस तरीके में कई प्रकार की दवाओं का उपयोग किया जाता है. चूंकि कैंसर में कोशिका विभाजन शामिल है, यह कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करके इस प्रभाव का सामना करती है. ऐसे मामलों में जहां कैंसर को दूर करने के लिए सर्जरी का उपयोग अप्रभावी है, ऑन्कोलॉजिस्ट उपचार की सिफारिश करते है.
कभी-कभी कीमोथेरेपी का उपयोग कैंसर के उपचार में विकिरण और सर्जरी के संयोजन में किया जाता है. इसका उपयोग उन कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है जो विकिरण चिकित्सा के बाद रहती हैं या सर्जरी या विकिरण चिकित्सा से पहले कैंसर के विकास को कम करने के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती हैं. उपचार शरीर में कैंसर कोशिकाओं की संख्या को कम करने में प्रभावी है और कैंसर के लक्षणों को प्रबंधित करने में भी मदद करता है. जबकि कीमोथेरेपी उपचार का एक प्रभावी तरीका है, कैंसर को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है. कैंसर के दोबारा होने की संभावना हमेशा बनी रहती है.
ठीक होने में लगने वाला समय कैंसर के चरण, कैंसर के प्रकार, उपचार के प्रकार और सत्रों की संख्या जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है. लेकिन औसतन कीमोथेरेपी उपचार लगभग 2 से 6 महीने तक चलता है. उपचार के अंत में ठीक होने में कुछ सप्ताह से लेकर एक महीने तक का समय लग सकता है.
Edited by रविकांत पारीक