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गरीबी में बीता बचपन, माँ-बाप ने किया संघर्ष, लेकिन इन भाइयों ने अथक मेहनत कर पा लिया सफलता का मुकाम

नितेश के अनुसार, 'मेडिकल परीक्षा से एक ही पहले पड़ोसियों ने दुर्भावना के चलते एक गलत आरोप में इन भाइयों को पुलिस स्टेशन में बंद करवा दिया था।'

गरीबी में बीता बचपन, माँ-बाप ने किया संघर्ष, लेकिन इन भाइयों ने अथक मेहनत कर पा लिया सफलता का मुकाम

Tuesday September 29, 2020 , 3 min Read

लोकप्रिय पेज 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' पर साझा की गई एक कहानी ने हजारों लोगों को चौका दिया है। 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' के साथ अपने साक्षात्कार में मुंबई निवासी नितेश जायसवाल ने अपने माता-पिता को उन्हें और उनके भाई को शिक्षित करने के लिए किए गए संघर्षों को सबके सामने रखा है।


इस इंटरव्यू के दौरान उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे उनके अशिक्षित माता-पिता ने वित्तीय और सामाजिक दबावों का सामना करने के बावजूद दोनों भाइयों को अच्छी शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।


नितेश जायसवाल ने बताया कि उनके माता-पिता मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हैं और उन्होंने बेहतर जीवन जीने के उद्देश्य से युवावस्था में शादी की और बॉम्बे चले गए।

(चित्र साभार: ऑफिशियल ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे)

(चित्र साभार: ऑफिशियल ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे)



जायसवाल के अनुसार उनके पास अपने नाम के लिए मुश्किल से कोई पैसा था, लेकिन उनके पिता जल्द ही एक बिजली कारखाने में नौकरी खोजने में कामयाब रहे। हालांकि, कुछ महीनों के भीतर वह एक दुर्घटना में उन्होने अपने एक हाथ की तीन उंगलियां खो दीं और इसके बाद उन्हे बिना किसी मुआवजे के निकाल दिया गया।


परिवार की देखभाल करने के लिए नितेश की माँ ने विषम नौकरी करना शुरू कर दिया। नितेश जायसवाल कहते हैं, "लेकिन उनके परिवार ने उन्हे पिता जी को छोड़ने के लिए मनाने की बहुत कोशिश की। उन्होंने कहा, 'तुम्हारी शादी को सिर्फ दो साल हुए हैं। इस विकलांग आदमी को छोड़ने में बहुत देर नहीं हुई है, लेकिन मम्मी ने मना कर दिया।"


उन्होंने अपने माता-पिता के प्रयासों के बारे में बात की जो उन्होने इसलिए किए ताकि उनके बच्चे पढ़ाई कर सकें। जायसवाल कहते हैं, "उन्होंने मुझे और मेरे भाई को एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल में भेजने के लिए हर पैसा बचाया, इस दौरान ऐसे भी दिन थे जब वे भूखे सोते थे, इसलिए हमारे पेट भरने के लिए हमारे पास एक रोटी थी।"


जायसवाल के अनुसार परिवार किराए के एक चॉल में चला गया, जहां पड़ोसी अक्सर उन्हें ताना मारते थे। वो याद करते हुए बताते हैं,

"हमारे पड़ोसी और रिश्तेदार पिताजी को ताना मारते थे और कहते थे, 'तुम खाना भी नहीं खा सकते, उन्हें नगर पालिका स्कूल भेज दो।' लेकिन हमने कड़ी मेहनत से पढ़ाई की, हम दिन में लाइब्रेरी में रहते थे और अपने पड़ोसियों से बचने के लिए आधी रात को तेल के दिये जलाते थे। हमने हमेशा अच्छे अंक अर्जित किए।"


जायसवाल बताते हैं कि उनके पड़ोसी उनकी परीक्षा के दौरान जोर से म्यूज़िक बजाते थे या उन्हें परेशान करने के लिए झगड़े शुरू कर देते थे। वो कहते हैं, "यह बदतर हो गया जब उन्हें पता चला कि हम दोनों चिकित्सा पेशेवर होने जा रहे थे।"


प्रवेश परीक्षा से एक दिन पहले उन्होंने पानी के रिसाव के लिए परिवार को दोषी ठहराया। जायसवाल कहते हैं, "उन्होंने हमारे साथ मारपीट की और परिणामस्वरूप हम सभी को बंद कर दिया गया।" उन्हे अपनी प्रवेश परीक्षा देनी थी, इसलिए उन्होने जमानत की भीख माँगी और अंततः रात दो बजे उन्हे छोड़ने की अनुमति दी गई।


आज सफल हो चुके नितेश जायसवाल कहते हैं,

"मेरे भाई के पास डेंटल सर्जरी में स्नातक डिग्री है और मैं अभी COVID के लिए एक शोध सहयोगी के रूप में काम कर रहा हूं।"


वो कहते हैं, "हम आज एक ऐसी जगह पर हैं जहाँ हम अपने परिवार की देखभाल कर सकते हैं- हम अभी भी उसी चॉल में रहते हैं, लेकिन हम एक और फ्लैट खरीदने के लिए बचत कर रहे हैं ताकि हम अंत में यहाँ से जा सकें।"