IAS की जगह चुना किसान बनना, अब उन्नत तकनीक के जरिये हर साल कमाते हैं 80 लाख रुपये
सुधांशु के पिता उन्हें आईएएस अधिकारी बनते हुए देखना चाहते थे, लेकिन सुधांशु ने आईएएस बनने की जगह एक सफल किसान बनना चुना।
"सुधांशु के पिता ने उनके इस फैसले से नाखुशी जताते हुए उन्हें खेती के लिए 5 एकड़ बंजर जमीन दे दी थी, लेकिन सुधांशु ने वैज्ञानिक तकनीकों के जरिये जल्द ही जमीन के उस टुकड़े को खेती करने लायक उपजाऊ जमीन में बदल डाला। मालूम हो कि सुधांशु साल 1990 से खेती कर रहे है।"
देश में किसानों के हालात में अब तक भी कोई खास सकारात्मक बादलाव नज़र नहीं आया है। देश के तमाम हिस्सों में परंपरागत खेती कर रहे हैं, जबकि सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ उनके लिए मुश्किलें खड़ी करती ही रहती हैं। इस बीच बिहार के एक किसान ने किसानी को लेकर अपने नज़रिये और प्रयासों से देश भर के अन्य किसानों के लिए उन्नति की दिशा में एक मिसाल खड़ी कर दी है।
ये किसान हैं सुधांशु कुमार, जो बिहार के समस्तीपुर स्थित नयानगर गाँव के निवासी हैं। आज सुधांशु कुमार अपनी 70 बीघे जमीन में आधुनिक खेती कर हर साल 80 लाख रुपये से अधिक की कमाई कर रहे हैं।
आज सफल किसान बन चुके सुधांशु की शुरुआत भी दरअसल बेहद दिलचस्प है। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सुधांशु ने केरल में टाटा टी गार्डन में बतौर सहायक प्रबन्धक नौकरी करनी शुरू कर दी थी, हालांकि वहाँ उनका मन नहीं लगा तो वे नौकरी छोड़ कर गाँव वापस आ गए।
सुधांशु के पिता उन्हें आईएएस अधिकारी बनते हुए देखना चाहते थे, लेकिन सुधांशु ने आईएएस बनने की जगह एक सफल किसान बनना चुना।
सुधांशु के पिता ने उनके इस फैसले से नाखुशी जताते हुए उन्हें खेती के लिए 5 एकड़ बंजर जमीन दे दी थी, लेकिन सुधांशु ने वैज्ञानिक तकनीकों के जरिये जल्द ही जमीन के उस टुकड़े को खेती करने लायक उपजाऊ जमीन में बदल डाला। मालूम हो कि सुधांशु साल 1990 से खेती कर रहे है।
आधुनिक तकनीक का कमाल
सुधांशु अपनी खेती में सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन और माइक्रो स्प्रिंकलर तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इस तकनीक की मदद से सुधांशु अपने लीची के बागान का तापमान एक समान रख पाने में सक्षम हो सके हैं।
इतना ही नहीं, खेत की निगरानी और खेत में खाद व अन्य जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुधांशु ने अपने खेत के तमाम हिस्सों को वायरलेस इंटरनेट ब्रॉडबैंड के जरिये जोड़ा हुआ है, जिससे वे एक जगह पर बैठे हुए अपने पूरे खेत की स्थिति पर लगातार नज़र बनाए रख सकते हैं।
खेत में लगे हैं सीसीटीवी कैमरे
सुधांशु ने आने खेत की निगरानी के लिए तमाम हिस्सों में सीसीटीवी कैमरे भी स्थापित किए हैं, जिसके जरिये वे नज़र रखते हुए अपने खेतों की सिंचाई को दुनिया के किसी भी कोने से ऑपरेट कर सकने में सक्षम हैं।
70 बीघे के खेत में सुधांशु ने 27 हज़ार से अधिक फलों के पेड़ लगाए हुए हैं। इन फलों में आम, लीची, केला, अमरूद, नींबू और शरीफा के पेड़ों की संख्या अधिक है। इसी के साथ सुधांशु कुमार ने प्रयोग करते हुए जामुन, कटहल और चीकू आदि के पेड़ों को भी अपने खेतों में लगाया है।
ऐसे होती है कमाई
हर साल 80 लाख रुपये की कमाई करने वाले सुधांशु कुमार के अनुसार बड़ी कमाई के रूप में उन्हें लीची से 22 लाख रुपये व आम से 13 लाख रुपये हासिल हुए हैं, जबकि इसी साल छठ पूजा से पहले उन्होने केले की बिक्री कर 35 लाख रुपये की कमाई की थी।
फलों से होने वाली इस भरपूर कमाई के साथ ही सुधांशु खास ‘कड़कनाथ’ मुर्गे का भी पालन करते हैं। गौरतलब है कि मुर्गे की इस प्रजाति की कीमत आम मुर्गों की तलना में अधिक होती है। खेत में खोले गए पॉल्ट्री फार्म में सुधांशु ने इस प्रजाति के 500 चूजों के साथ शुरुआत की है। इसी के साथ वे तमाम नस्ल की गायों के साथ अब डेयरी लेकर भी आगे बढ़ रहे हैं।
आधुनिक तकनीक को अपनाकर बेहतरीन कमाई के साथ अन्य किसानों को प्रोत्साहित करने वाले किसान सुधांशु कुमार को अब तक कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है, जिसमें जगजीवन राम अभिनव किसान अवार्ड, बेस्ट मैंगो ग्रोवर अवार्ड और महिंद्रा समृद्धि एग्री अवार्ड शामिल हैं।
सुधांशु कुमार की खेती करने की तकनीक के बारे में जानकारी मिलने के बाद बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नितीश कुमार साल 2019 में खुद भी उनके खेतों का जायजा लेते हुए उनकी तारीफ कर सके हैं।
Edited by Ranjana Tripathi