शहर से गांव आकर इन दो बहनों ने बदली किसानों की ज़िंदगी, शुरू किया अपना खास ‘ऑर्गेनिक विलेज रिसॉर्ट’
रोज़गार और बेहतर ज़िंदगी के अभाव में आज बड़ी संख्या में लोग गांवों से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, हालांकि उत्तराखंड की दो बहनों ने इसके ठीक उलट कुछ ऐसा किया है जिससे एक ओर जहां उनके गाँव के किसानों की जिंदगी बेहतर हो रही है वहीं दूसरी तरफ ये बहनें अपने इस काम से अच्छी-खासी कमाई भी कर रही हैं।
दिल्ली में रहते हुए कनिका शर्मा और कुशिका शर्मा अच्छी सैलरी वाली नौकरी जरूर कर रही थीं लेकिन इस दौरान उनका मन उत्तराखंड की पहाड़ी वादियों में बसे अपने गाँव मुक्तेश्वर में ही लगा रहता था। दोनों बहनें हमेशा से अपने गाँव वापस जाकर गाँव और गाँव के लोगों के विकास में अपना योगदान देना चाहती थीं और आखिर में दोनों बहनों ने यही चुना भी।
किसानों को जैविक खेती से जोड़ा
कनिका और कुशिका हमेशा से ही जैविक खेती करते हुए आगे बढ़ना चाहती थीं और इसके लिए उत्तराखंड में अपने गाँव वापस आकर दोनों बहनों ने अपने गाँव के किसानों को सबसे पहले जैविक खेती से रूबरू कराया। हालांकि दोनों बहनों ने लिए भी यह यात्रा बिल्कुल नई थी ऐसे में इस दौरान उन्हें भी कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
गाँव में अधिकतर लोगों की आमदनी कृषि पर ही आधारित है हालांकि गांव के किसान कृषि के जरिये एक बेहतर कमाई कर सकने में सक्षम नहीं थे। ज़ीरो बजट के साथ जैविक खेती की शुरुआत करने के लिए कनिका और कुशिका ने सबसे पहले खुद भी इसका प्रशिक्षण लिया और साल 2014 में दोनों बहनों ने मुक्तेश्वर में ही करीब 25 एकड़ कृषि योग्य जमीन पर जैविक खेती की शुरुआत कर दी।
स्थापित किया ‘दयो-द ऑर्गैनिक विलेज रिसॉर्ट’
कनिका और कुशिका ने अपने जैविक खेती के पैशन को एक कदम आगे ले जाते हुए ‘दयो-द ऑर्गैनिक विलेज रिसॉर्ट’ की स्थापना भी की। उनके अनुसार शहरों में रहने वाले लोग कई बार शहर की भीड़भाड़ वाली जिंदगी से दूर जाकर प्रकृति के साथ कुछ समय बिताना चाहते हैं और ऐसे में उनके लिए ‘दयो-द ऑर्गैनिक विलेज रिसॉर्ट’ एक बेहतरीन जगह है।
मालूम हो कि ‘दयो’ संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ ‘स्वर्ग’ होता है। इस खास रिसॉर्ट में आने वाले सैलानी अपनी इच्छानुसार जैविक खेती में भी हाथ आजमाते हैं। वे सभी अपनी पसंद की सब्जियों को अपने हाथों से तोड़कर रिसॉर्ट के शेफ से अपनी मनपसंद डिश बनवा सकते हैं।
गौरतलब है कि इस रिसॉर्ट की देखरेख के लिए करीब 20 लोग कार्यरत हैं। अथक मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि कनिका और कुशिका के इस खास रिसॉर्ट में सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ती हुई देखी जा रही है।
मंडियों में भी बिक रही है इनकी सब्जी
दोनों बहनों ने रिसॉर्ट में और स्थानीय किसानों द्वारा उगाई जाने वाली जैविक सब्जियों को अब मंडियों में भी बेंचना शुरू कर दिया है जिससे किसानों की आय में और अधिक बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। कनिका और कुशिका के अनुसार अपने इस कदम के जरिये अब वे अपने गाँव से पलायन को रोकने में भी सफलता हासिल कर पा रही हैं।
इतना ही नहीं, कनिका और कुशिका गाँव के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले इसके लिए जागरूकता फैलाने का भी काम कर रही हैं। आज उनके गाँव के लोग हॉस्पिटैलिटी में भी प्रशिक्षण ले रहे हैं।
Edited by Ranjana Tripathi