वजन नापने की मशीन बनाने वाली कई कंपनियों को सरकारी नोटिस, कर रहे थे नियमों का उल्लंघन
विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009 के अनुसार वजन, माप और भार आदि तौलने वाली किसी मशीन का बिना सरकारी लाइसेंस के निर्माण और बिक्री गैरकानूनी है.
भारत सरकार के उपभोक्ता मामलो के मंत्रालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर वजन और छोटे सामानों का भार मापने वाली मशीन बेचने वाले कुछ आयातकों, विनिर्माताओं और विक्रेताओं को नोटिस जारी किया है. इन उत्पादों में घरेलू इस्तेमाल वाली वेइंग मशीन और रसोई में छोटे सामान तौलने की मशीन जैसेकि किचन स्केल आदि शामिल है. कुल मिलाकर 63 आयातकों, विनिर्माताओं और विक्रेताओं को नोटिस जारी किया गया है.
इस कारण बताओ नोटिस में उनसे पूछा गया है कि क्या उन्होंने ये मशीनें बेचने के लिए जरूरी सभी सरकारी नियमों और मानकों का पालन किया है. दरअसल यह नोटिस उन्हें इसलिए भेजा गया क्योंकि उपभोक्ता शिकायत केंद्र में उनके खिलाफ कई उपभोक्ताओं द्वारा शिकायत दर्ज की गई. इन शिकायतों में कहा गया है कि इन उत्पादों में कोई पंजीकरण और सत्यापन स्टैंप नहीं है, जिस कारण उत्पाद की विश्वसनीयता संदिग्ध है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कल मंगलवार को एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि अपनी जांच में हमने पाया कि इन उत्पादों के कुछ विनिर्माता, विक्रेता और आयातक कानूनी मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं और इललीगल तरीके से ये उत्पाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेच रहे हैं. ऐसा करना उपभोक्ता अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है. इस कारण इन सभी को सरकारी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
इस कारण बताओ नोटिस में सभी संबंधित 63 विनिर्माताओं, विक्रेताओं और आयातकों से नियमों का पालन करने के संदर्भ में निम्नलिखित जानकारी मांगी गई है-
1. वजन, भार और माप मशीन के मॉडल की मंजूरी का सर्टिफिकेट
2. विनिर्माण का लाइसेंस
3. आयात करने और बेचने के लिए मिला सरकारी लाइसेंस
4. मशीन के पंजीकरण और सत्यापन का लाइसेंस
कंपनियों से उपरोक्त सभी सवालों का जवाब मांगा गया है और सभी संबंधित लाइसेंस नियत समय के भीतर सरकारी विभाग को भेजने का आदेश दिया गया है.
भारत सरकार के विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009 के नियमों के अनुसार वजन, माप और भार आदि तौलने वाली किसी मशीन का बिना सरकारी लाइसेंस के न तो निर्माण किया जा सकता है और न ही उसे बेचा जा सकता है. उपभोक्ता अधिकार संरक्षण विभाग को मिली शिकायतों में यह पता चला कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ऐसे उत्पाद बेच रहे हैं, जिनके पास ये सारे लाइसेंस नहीं है.
इन सरकारी नियमों का उल्लंघन करने पर आईपीसी के सेक्शन 32, सेक्शन 45, सेक्शन 38, सेक्शन 33 और सेक्शन 36 के तहत जुर्माना और सजा दोनों हो सकती है.
Edited by Manisha Pandey