जल्द कंज्यूमर्स को मिल सकता है प्रोडक्ट्स की मरम्मत का अधिकार, सरकार ने गठित की समिति
उपभोक्ता मामलों के विभाग ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि उसने ‘मरम्मत के अधिकार’ पर व्यापक ढांचा विकसित करने के लिए अतिरिक्त सचिव निधि खरे की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है.
कार, मोबाइल और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं के विनिर्माताओं द्वारा मरम्मत और कलपुर्जा बाजार पर ‘एकाधिकार’ करने की प्रवृत्ति से सरकार चिंतित है.
अब ऐसी कंपनियों को उपभोक्ताओं को ऐसे उत्पादों का ब्योरा साझा करना पड़ सकता है, जिनका उनके खुद के द्वारा या तीसरे पक्ष से मरम्मत कराने की जरूरत होगी. सरकार इस तरह की व्यवस्था को इन कंपनियों के लिए अनिवार्य बनाने की तैयारी कर रही है.
उपभोक्ता मामलों के विभाग ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि उसने ‘मरम्मत के अधिकार’ पर व्यापक ढांचा विकसित करने के लिए अतिरिक्त सचिव निधि खरे की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है.
आमतौर पर विनिर्माता अपने डिजाइन सहित कलपुर्जों (स्पेयर पार्ट्स) पर मालिकाना नियंत्रण बनाए रखते हैं, और सरकार को लगता है कि मरम्मत प्रक्रियाओं पर इस तरह का एकाधिकार ग्राहक के "चुनने के अधिकार" का उल्लंघन करता है.
इसके अलावा कई उत्पादों के वॉरंटी कार्ड में उल्लेख किया गया है कि यदि उपभोक्ता ऐसी इकाई से मरम्मत कराते हैं जिसे विनिर्माताओं ने मान्यता नहीं दी है, तो उन्हें वॉरंटी लाभ नहीं मिलेगा.
'मरम्मत का अधिकार' के पीछे तर्क यह है कि जब ग्राहक कोई उत्पाद खरीदता है, तो यह स्वाभाविक है कि वे इसे पूरी तरह से अपनाएं. उपभोक्ताओं को अपने उत्पाद की मरम्मत या सुधार में सुगमता मिलनी चाहिए और उनका अधिक पैसा भी खर्च नहीं होना चाहिए.
समिति ने 13 जुलाई को अपनी पहली बैठक की जिसमें 'मरम्मत के अधिकार' के लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई. इस सूची में कृषि उपकरण, मोबाइल फोन या टैबलेट, टिकाऊ उपभोक्ता माल और वाहन/वाहन उपकरण सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है.
बयान में कहा गया है, "बैठक के दौरान यह मुद्दा उठा कि कंपनियां ‘मैनुअल’ के प्रकाशन से बचती हैं. इससे उपयोगकर्ताओं को अपने उपकरण या कलपुर्जे की आसानी से मरम्मत में मदद मिल सकती है.
स्क्रू और अन्य वस्तुओं के लिए विनिर्माता जिस तरह के डिज़ाइन का उपयोग करते हैं, उससे कलपुर्जों पर उनका मालिकाना नियंत्रण होता है. इसमें कहा गया है कि मरम्मत प्रक्रियाओं पर एकाधिकार ग्राहक के ‘चुनने के अधिकार’ का उल्लंघन करता है.
इसके अलावा विभाग के संज्ञान में आया है कि डिजिटल वॉरंटी कार्ड से यह सुनिश्चित होता है कि यदि उपभोक्ता ने 'गैर-मान्यता प्राप्त' इकाई से उत्पाद प्राप्त किया है, तो वॉरंटी दावे का अधिकार खो देता है.
बैठक में विचार-विमर्श के दौरान यह जरूरत महसूस की गई कि प्रौद्योगिकी कंपनियों को मैनुअल, स्कीमैटिक्स और सॉफ्टवेयर अपडेट के लिए पूर्ण ज्ञान और पहुंच प्रदान करनी चाहिए.