कोरोना वायरस खा जाएगा करोड़ों नौकरियाँ! 2008 के बाद फिर से आएगा नौकरियों का महासंकट?
कोरोना वायरस से फैली महामारी पूरे विश्व में नौकरियों के लिए नया संकट को पैदा कर रही है, साल 2008 में आई वैश्विक मंदी के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में नौकरियाँ जाने की संभावना है।
![साल 2008 में आई वैश्विक मंदी के बाद अब एक बार फिर से नौकरियों पर संकट आ गया है।](https://images.yourstory.com/cs/12/511c01b01fd011ea8217c582b4ed63bb/Coronavirus-02-1581597335347-1582202338475-1585029709639.png?fm=png&auto=format)
साल 2008 में आई वैश्विक मंदी के बाद अब एक बार फिर से नौकरियों पर संकट आ गया है।
कोरोना वायरस महामारी के चलते विश्व का लगभाग हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में प्रभावित हुआ है। तमाम देशों में पूरी तरह से लॉक डाउन की प्रक्रिया को अपनाया गया है, तो वहीं इस दौरान देशों ने अपनी सीमाएं भी सील कर दी हैं। इन सब के बीच सबसे बड़ी समस्या उन लोगों के साथ घट रही है जिनकी जीविका दैनिक भत्ते पर ही निर्भर है।
कोरोना वायरस के चलते फैली वैश्विक महामारी का अभी अंत नज़र नहीं आ रहा है, लेकिन यह जरूर तय है कि इसके चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। इस बीच सबसे बड़ा संकट नौकरियों पर रहेगा। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन की मानें तो कोरोना वायरस के चलते वैश्विक स्तर पर करीब 2.5 करोड़ नौकरियाँ जा सकती हैं।
पहले कब हुआ था ऐसा?
इसके पहले साल 2008 में आर्थिक मंदी के दौर में नौकरियों पर सबसे बड़ा संकट आया था, तब सिर्फ अमेरिका में ही 26 लाख लोगों को नौकरियों से निकाला गया था, जबकि विश्व भर में करीब 2 करोड़ 20 लाख नौकरियाँ गई थीं। अमेरिका में दिसंबर 2008 में रिकॉर्ड 5 लाख 24 हज़ार लोगों को नौकरियों से निकाल दिया गया था, तब वहाँ बेरोजगारी की दर 7.2 प्रतिशत जा पहुंची थी। हालांकि तब के हालात को देखते हुए कोरोना वायरस का नौकरियों पर प्रभाव उतना तो नहीं है, लेकिन फिर भी इतनी बड़ी संख्या में नौकरियों का जाना सबकी परेशानियों को बढ़ा देगा।
भारत का क्या हाल है अभी?
कोरोना वायरस महामारी के बीच भारत के कुछ दिग्गज उद्योगपतियों ने भरोसा दिया है कि उनके साथ काम कर रहे लोगों की नौकरियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। एक इंटरव्यू में बजाज ऑटो को सीईओ राजीव बजाज ने कहा कि वे अपने आखिरी कर्मचारी की भी तंख्वाह का ख्याल रखेंगे। वेदांता ग्रुप और एस्सार ग्रुप ने भी यही वादा किया है। टाटा संस ने भी अपने कर्मचारियों को इस दौरान पूरी तंख्वाह देने का वादा किया है। मौजूदा हालात में कुछ राज्य सरकारों ने दैनिक कमाई पर आश्रित लोगों की मदद करने का कदम उठाया है, जिसके तहत उन्हे हर महीने एक हज़ार रुपये की मदद मुहैया कराई जा रही है।
इस बीच सबसे अधिक संकट का सामना एयरलाइंस, होटल, मॉल, रेस्टोरेंट्स, रिटेल शॉप आदि से जुड़े कर्मचारियों को करना पड़ रहा है, क्योंकि इस दौरान जारी बंद के चलते उनकी नौकरियाँ सीधे तौर पर प्रभावित हुई हैं। गौरतलब है कि भारत में खुदरा क्षेत्र अकेले अनौपचारिक क्षेत्र में लगभग 4 करोड़ लोगों और औपचारिक क्षेत्र में 60 लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराता है।
महामारी के बाद क्या करें?
कोरोना वायरस से फैली महामारी के अंत होने पर यदि लोगों की नौकरी इतनी बड़े पैमाने पर जाती है और सरकार फौरन इसका समाधान नहीं निकाल पाती है, तब भी कुछ बातों का ध्यान रखते हुए व्यक्ति स्थिति को जल्द काबू में कर सकता है। इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप नौकरी ढूँढे, लेकिन उस समय अधिक तंख्वाह को तवज्जो न दें, बल्कि औसत आवेदकों से खुद को बेहतर साबित करने का प्रयास करें। ऐसे समय में नौकरी के लिए ऐसी इंडस्ट्री का चयन करें तो उस समय अधिक तेजी से विकास कर रही हो। आप भी इस दौरान अपने कंफ़र्ट ज़ोन से बाहर निकलें, क्योंकि उस समय आपकी पहली प्राथमिकता जीविका अर्जन की है, इसके लिए आप दूसरे शहरों की तरफ भी रुख कर सकते हैं।