क्या भारत कोरोना वायरस के प्रकोप से निपट पाएगा? इन जरूरी फ़ैक्ट्स पर करें गौर
भारत में कोरोना वायरस के मामलों में बड़ी तेजी से वृद्धि देखी जा रही है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत इस महामारी से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है?
कोरोना वायरस भारत में लगातार अपनी पैठ बढ़ाता जा रहा है, हर रोज़ मामलों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। इसी के साथ इस वायरस के संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। सोमवार को सुबह 10 बजे तक भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के 419 मामलों की पुष्टि हो चुकी थी, जबकि इस वायरस की चपेट में आकर 8 लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है।
वैश्विक स्तर पर आंकड़ों की बात करें तो स्थिति अधिक भयावह नजर आती है। 23 मार्च की सुबह तक विश्व भर में इस वायरस के संक्रमण के 3 लाख 38 हज़ार से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 14 हज़ार से अधिक लोगों ने इसके चलते अपनी जान गंवाई है, हालांकि इस दौरान इस बीमारी से रिकवर करने वालों की संख्या भी 99 हज़ार के पार है। आंकड़ों की मानें तो इस समय कुल संक्रमित हुए लोगों में 5 प्रतिशत लोगों की हालत ज्यादा गंभीर है।
ऐसे में भारत की स्थिति क्या है? भारत में अभी उतने बड़े पैमाने पर मामले सामने नहीं आए हैं, लेकिन सरकार की अपील के बाद भी लोग ऐतिहात बरतते हुए नज़र नहीं आ रहे हैं। अगर देश में इटली और चीन जैसे हालत पैदा होते हैं, क्या भारत का स्वास्थ्य तंत्र इस महामारी को झेल पाएगा? इसे समझने के लिए पहले इस महामारी से निपटने को लेकर देश की तैयारियों पर नज़र डालना जरूरी है।
क्या है स्थिति?
कोरोना वायरस के संक्रामण के चलते इटली में सबसे अधिक मौतें हुई हैं, गौरतलब है कि इटली में वास्तविक मृत्यु दर 3.4 प्रतिशत होनी चाहिए थी, लेकिन वहाँ पर लोगों ने संक्रमण के बाद भी टेस्ट नहीं कराये और इस कारण हालत बदतर होते गए। भारत में अभी इटली कि तुलना में बेहद कम केसों का पता चला है, लेकिन क्या लक्षण नज़र आने के बावजूद भी भारत में भी इटली की ही तरह बड़ी संख्या में लोगों ने कोरोना वायरस टेस्ट नहीं कराया है?
देश में स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक संक्रमित पाए गए लोगों को ट्रैक कर उनके संपर्क में आए लोगों का भी टेस्ट करने का दावा किया है, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों के टेस्ट सेंटर से भागने और संक्रमित लोगों द्वारा आम परिवहन का इस्तेमाल करने के भी मामले सामने आए हैं, ऐसे में कोरोना से संक्रमित लोगों की वास्तविक संख्या का पता लगाना खासा मुश्किल हो चुका है।
स्वास्थ्य सेवाओं का क्या है हाल?
भारत में सोमवार तक अभी करीब 111 लैब कोरोना टेस्ट कर रही हैं और इसके साथ ही सरकार निजी लैब्स को भी टेस्ट करने के लिए कह चुकी है। सरकार ने कोरोना वायरस टेस्ट के लिए अधिकतम फीस 45 सौ रुपये तय की है, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का यह भी दावा है कि आईआईटी दिल्ली ने कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने वाली सस्ती टेस्ट किट विकसित कर ली है।
भारत में अभी तक 16 हज़ार से कुछ अधिक संदिग्ध लोगों की जांच हुई है, हालांकि अभी देश में कोरोना वायरस के संदिग्धों के बारे में कोई स्पष्ट आंकड़ा सामने नहीं आया है। देश भर के अस्पतालों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को ध्यान में रखते हुए बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। यह कदम देश भर के अस्पतालों के लिए उठाया गया है, इसी के साथ लगभग हर जनपद में आइसोलेशन वार्ड की भी स्थापना की गई है।
क्या हैं आंकड़े?
देश में प्रति 11 हज़ार 600 लोगों के बीच एक डॉक्टर है, जो मानकों की तुलना में 11 गुना कम है, वहीं हर 1,826 भारतीयों के बीच अस्पताल में एक ही बेड मौजूद है। इसी के साथ कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए बात करें तो देश में 84 हज़ार लोगों के बीच एक आईसोलेशन बेड और 36 हज़ार लोगों के बीच एक क्वारंटाइन बेड मौजूद है।
ऐसे में अगर स्थिति थोड़ी भी खराब होती है तो स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी बोझ पड़ेगा, हालांकि सरकार अपनी तरफ से ऐतिहातन कई कदम उठा रही है, जिसमें लॉक डाउन और गैर-जरूरी सेवाओं पर रोक लगाना शामिल है।
आप क्या करें/ ना करें?
कोरोना वायरस से खुद को बचाने के लिए आप WHO द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन करें। कई राज्य सरकारों के साथ ही केंद्र सरकार ने भी देश के 75 जिलों में लॉक डाउन घोषित कर दिया है, ऐसे में सरकार का सहयोग करते हुए इन सभी नियमों का सख्ती से पालन करें। इसी के साथ-
- साबुन से अपने हाथों को दिन में कई बार साफ करें।
- छींकते वक्त अपनी नाक और मुंह को ढक लें।
- सर्दी और फ्लू से संक्रमित लोगों के पास जानें से बचें।
- अति-आवश्यक होने पर ही घर से निकलें।
- सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से बचें।