पिता को मुखाग्नि न देकर करते रहे कोरोना के मरीजों का इलाज, सीएम ने भी की डॉक्टर की तारीफ
उड़ीसा के इस डॉक्टर ने अपने पिता को मुखाग्नि देने के बजाय उस समय कोरोना के मरीजों का इलाज करने का फैसला लिया है।
कोरोना वायरस महामारी से आज लगभग पूरा विश्व जूझ रहा है, बड़ी संख्या में लोग इसकी चपेट में आए हैं, तो वहीं लाखों की तादाद में मौतें भी हुई हैं। इन सब के बीच डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ अपनी जान को जोखिम में डालकर संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
ऐसे ही एक डॉक्टर ओड़ीसा के मलकानगिरी में हैं, जिन्होने अपने पिता के शव मुखाग्नि देने के बजाय मरीजों के सेवा को प्राथमिकता दी। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर शशि भूषण महापात्र के पिता दुर्योधन महापात्र की मौत की खबर उन्हे फोन के माध्यम से दी है, जिसके बाद बड़े बेटे होने के नाते उन्हे पिता के शव को मुखाग्नि देने के लिए अपने गाँव पहुँचना था।
जिला अस्पताल में कम डॉक्टर होने चलते डॉक्टर शशि भूषण ने मरीजों के इलाज को आगे रखते हुए अपने छोटे भाई को मुखाग्नि देने के लिए राजी करवाया।
मलकानगिरी ने डॉक्टर का गाँव करीब 7 सौ किलोमीटर है, ऐसे में उनके लिए क्रियाकर्म के बाद जल्दी वापस अस्पताल पहुँच पाना मुमकिन नहीं था।
डॉक्टर शशि भूषण के इस कदम की की तारीफ मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और जिलाधिकारी भी कर रहे हैं। डॉक्टर शशि भूषण मलकानगिरी जिला अस्पताल के कोरोना सेल के नोडल अफसर हैं।
देश में रविवार दोपहर एक बजे तक कोरोना वायरस संक्रमण के 8453 मामले सामने आए हैं, जिनमें 972 लोग अब तक इससे रिकवर हुए हैं।