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COVID-19 के बाद की दुनिया: एक पिता का अपनी बेटी को पत्र, आप भी पढ़िए ये पत्र

COVID-19 के बाद की दुनिया: एक पिता का अपनी बेटी को पत्र, आप भी पढ़िए ये पत्र

Sunday March 29, 2020 , 8 min Read

प्यारी ईरा,

जन्मदिन मुबारक हो, मेरी प्यारी बेटी। आज 14 सितबंर 2019 है और जब मैं तुम्हें ये लेटर लिख रहा हूं तो मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे तुम कल ही पैदा हुई थी। जबकि आज तुम टीनऐज यानी किशोरावस्था में प्रवेश कर रही हो। मुझे यह स्वीकार करना होगा कि जिंदगी के इस नए चरण में क्या होगा, इसे लेकर मैं काफी घबराया हुआ था। हालांकि मैं उस दुनिया को लेकर काफी उम्मीदों से भी भरा हुआ हूं, जिसमें तुम कदम रखोगी और वो है- कोविड-19 के बाद 2020 में बनी एक नई दुनिया


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मुझे उन मुश्किल वर्षों के बारे में तुम्हें विस्तार से बताने दो। तुम साढ़े तीन साल की थी और तुम यह जानने के लिए काफी छोटी थी कि तुम्हारे आस-पास क्या हो रहा है। तुमसे उस समय सिर्फ बार-बार हाथ धोने, अपने चेहरे को नहीं छुने और सबसे मुश्किल काम- घर के अंदर रहने को कहा जा रहा था। हमने साथ में कार्टून देखे, खेला और किताबें पढ़ीं, लेकिन तुम्हें जल्द ही स्कूल की याद आने लगी थी। तुम हमेशा मेरी बांहों में सोना चाहती थी, मुझे पकड़े हुए।


उस संकट के समय में तुम्हारा साथ होना इकलौती ऐसी चीज थी, जिससे मुझसे सुकुन मिलता था। हालांकि एक दिन तुम्हारे एक मासूम से सवाल ने मेरे इस सुकुन को उड़ा दिया था।


"नन्ना (तेलुगु में 'पिताजी), जिन लोगों के पास पानी नहीं है वे कितनी बार अपना हाथ धोते हैं?" मुझे पता था कि इसका जवाब सैनिटाइजर नहीं है। जिन लोगों को पानी जैसी बुनियादी चीजों की किल्लत है, निश्नित ही उनके पास सैनिटाइज खरीदने का सामर्थ्य नहीं होगा।


वायरस पूरे ग्रह पर फैल गया था, जिसकी चपेट में लाखों-लाख आ गए थे। इसने हमें बताया कि हर किसी के पास उपचार और सुरक्षा की समान पहुंच नहीं थी और जो दुनिया हमने बनाई थी, वह सही नहीं थीं। हालांकि इस संकट ने वास्तविक बदलावों की बुनियाद भी रखी और हमें बताया कि हम सभी कैसे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और मानवता और प्रकृति के बीच संतुलन कितना नाजुक है।


इस भयानक वैश्विक महामारी के कहर को एक दशक हो चुके हैं। मैं इस पिछले एक दशक को देखते हुए तुम्हें यह बताना चाहता हूं कि तुम्हारे सामने अभी जो दुनिया है उसके लिए मैं इतना आशान्वित क्यों हूं।





नए व्यवसाय की कल्पना

COVID-19 यानी कोराना वायरस के पहले के चार दशक को टेक्नोलॉजी सेक्टर में बड़े बदलावों के लिए जाना जाता था। सेल फोन और विमानों ने दुनिया भर के लोगों एक दूसरे से जोड़ दिया था। बैंकिंग और एंटरटेनमेंट सेवाएं अब बस एक क्लिक दूर थीं। हालांकि एंटरटेनमेंट या दूसरी सेवाओं से अधिक दुनिया भर के गरीबों की जिंदगी में अहम बदलाव लाने की टेक्नोलॉजी की असल क्षमता का विकास कोराना वायरस के आने के बाद ही हुआ।


उच्च मध्यम वर्ग और उससे ऊपर वर्ग के लोगों को जीवन के सभी पहलुओं में टेक्नोलॉजी से लाभ मिला था। हालांकि एक गांव में टमाटर उगाने वाले किसान या स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही एक गरीब परिवार की गर्भवती महिला के लिए यह अनुभव समान नहीं था।


COVID-19 ने दुनिया को 'रीसेट' बटन दबाने पर मजबूर कर दिया। गरीबों की अनदेखी करने के बजाय, दुनिया भर के कंपनियों ने महसूस किया कि असमानता को दूर करना अब तक का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली बिजनेस मौका था।


कुछ युवा संगठन पहले से इन असमानताओं को पाटने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन वे 2020 तक मुख्यधारा की कंपनी में नहीं शामिल थे। निश्चित रूप से उस वक्त वॉट्सऐप और फेसबुक जैसे सोशल प्रोडक्ट और साबुन, टूथपेस्ट आदि जैसे कंज्यूमर स्टेपल थे, जो दुनिया के सबसे गरीब तबके तक पहुंच गए थे। हालांकि आर्थिक और सामाजिक विभाजन को कम करने वाले माल, सेवाएं और टेक्नोलॉजी उनसे काफी दूर और उस दौरान बहुत कम थीं।


मुझे याद है कि तुम अपने दादा-दादी को कोरोना वायरस से बचाने के लिए कैसे हर दिन दरवाजे पर पहरेदारी किया करती थी। दुर्भाग्य से, बहुत से बुजुर्गों के पास तुम्हारी तरह देखभाल करने वाली एक पोती नहीं थी और उन्हें सभी तरह के लॉकडाउन के बीच अपनी सेहत के देखभाल के लिए संघर्ष करना पड़ता था।


हालांकि इसके बाद के दशक में, कंपनियों ने बुजुर्गों को स्वास्थ्य सेवा और होमकेयर के जरिए सेवा देने को न सिर्फ एक व्यवहारिक बल्कि एक आकर्षक बिजनेस मॉडल के तौर पर भी देखा। असल में, भारत की आज दो स्टार्टअप यूनिकॉर्न के मूल में यही आइडिया है। 


2020 के बाद उद्यमियों ने मोबाइल आधारित सलाह के जरिए किसानों की आय बढ़ाने, टेलीमेडिसिन और होम टेस्टिंग डिवाइस के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं को किफायती बनाने और कम लागत वाले डिजिटल कोर्स के जरिए बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए बिजनेस पर नए सिरे से काम किया। टेक्नोलॉजी गरीबी से लड़ने और भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी आवश्यक सेवाओं को अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए एक प्रभावी उपकरण बन गया।


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कार्यस्थलों पर लैंगिक समानता की कल्पना

क्या तुम्हें पता है कि कंपनियों पर COVID-19 के शुरुआती नकारात्मक असर के बावजूद 2021 में तुम्हारी मां को प्रमोशन मिला था? जब वह घर से काम कर रही होती थी तो तुम उसके कंप्यूटर पर अपना हक जमाने चली आती थी। उसके बावजूद उसने यह कर दिखाया था।


तुम्हारी मां की कंपनी सहित कई संगठनों को कोरोनो वायरस के खिलाफ लड़ाई में घर से या किसी दूरस्थ जगह से काम करने की कार्यशैली को अपनाने पर मजबूर होना पड़ा था। इस महामारी के गुजरने के बाद, इन संगठनों ने पाया कि कर्मचारी घर जैसे माहौल में काम करते हुए ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करते हैं।


दरअसर इस तरह की व्यवस्था लचीलापन मुहैया करती है। कई कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी को मजबूत करने के लिए टेक्नोलॉजी को अपनाया। पिछले एक दशक में इससे ऑफिसों में लैंगिक समानता में काफी सुधार किया है। इससे बच्चों की देखभाल करने वाले पुरुषों की संख्या में वृद्धि हुई है, ताकि माता और पिता दोनों अपने बच्चों के साथ घर पर समान समय बिता सकें।


मैं कभी-कभी सोचता हूं कि अगर कार्यस्थलों पर ये शानदार बदलाव नहीं होते तो क्या तुम्हारी मां और मैं तुम्हें बड़े होते हुए इतने ही करीब से और गर्व से देख पाते, जैसा हमने देखा है।


ग्रह पर मानवीय पकड़ की कल्पना

COVID-19 की सबसे महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाओं में से एक लोगों का घर पर रहना था। जब लोग घर में रहते थे, तो यात्रा कम होती थी। कम यात्रा का मतलब कम वायु प्रदूषण था।


इससे बहुत जल्द, हमारी हवा और पानी साफ हो गया। प्रकृति अपनी जगह और आकार में वापस लौट आई। वेनिस शहर की नहरें कभी प्रदूषण के चलते एकदक काली हो गई थीं, आज यह एक साफ और स्वच्छ जलमार्ग बन गए हैं। हमें काले आसमना दिखने बंद हो गए, जब प्रदूषण के चलते बड़े शहरों के ऊपर बन गए थे।


अब, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हम अपनी जटिल पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए एक महामारी चाहते थे। निश्चित रूप से नहीं, लेकिन कोरोनोवायरस ने हमें भयावह चीजों को याद दिलाने का काम किया कि कैसे इंसानों ने पूरी धरती का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया, संसाधनों का दोहन किया और दूसरे जीवों के रहने के लिए जगह नहीं छोड़ी।





इसने हमें याद दिलाया कि इस ग्रह पर सिर्फ इंसानों का ही हक नहीं है और हम इसे सभी के साथ समान रूप से साझा करते हैं। हमारी जीवन सम्मानजनक तरीके से साथ में रहने के बारे में हैं और जब तक हम इसे सीख नहीं जाते हैं, तब तक प्रकृति अपने स्थान को दोबारा हासिल करने के लिए ऐसे कठोर तरीके अपनाती रहेगी।


निश्चित रूप से हम इस संकट पर काबू पाने और बेहतरी के लिए दुनिया को फिर से आकार देने में बेहद लचीले थे और मैं तुम्हें और तुम्हारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी इसी लचीलेपन की कामना करता हूं, जब तुम लोग जीवन के इस खूबसूरत और परस्पर संगीत के जरिए आगे बढ़ोगे, एक ऐसी दुनिया में जिसे मानव, पौधे, पशु, पक्षी और यहां तक की सबसे छोटे कीड़े भी सामान रूप से साझा करते हों। जैसा कि तुम्हारी मां कहती थीं- 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी 'पूरी दुनिया एक परिवार है।'


आगे आने वाले सालों में, तुम कुछ महत्वपूर्ण फैसले लोगी और तुम चाहे जो भी फैसले लो, मुझे आशा है कि तुम अपने जीवन में अपने शानदार दिमाग और कोमल दिल के जरिए दुनिया के कुछ सबसे कठिन चुनौतियों को सुलझाने का काम करोगी।


एक बार फिर से, जन्मदिन मुबारक हो मेरी प्यारी बेटी।


ढेर सारा प्यार

नन्ना


भविष्य की कल्पना के लिए थ्रिशिका कंठराज और जेबा खान की ओर से दिए गए इनपुट के लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं।