तो क्या वातानुकूलित ट्रेन चलाने से और बढ़ेगा कोविड-19 संक्रमण?
तिरुवनंतपुरम, राज्य सरकार द्वारा संचालित एक परमार्थ संगठन ने मंगलवार को रेलवे की आलोचना करते हुए कहा कि वातानुकूलित डिब्बों में सीमित यात्रियों को ले जाने से कोविड-19 के मरीज और बढ़ेंगे।
लॉकडाउन के कारण 50 दिन बंद रहने के बाद सीमित संख्या में यात्रियों को ले जाने की सेवा शुरू करते हुए रेलवे ने कहा था कि ट्रेनें पूरी तरह वातानुकूलित होंगी और दिल्ली से सभी प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले राजधानी के रेल मार्ग पर चलेंगी।
परमार्थ संगठन केरल सामाजिक सुरक्षा मिशन के कार्यकारी निदेशक मोहम्मद अशील ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार ने भी दिशा निर्देश जारी कर कहा था कि बहुत आवश्यक होने पर ही वातानुकूलन का प्रयोग करें।
अशील ने पीटीआई-भाषा से कहा,
“केंद्र सरकार के दिशा निर्देश में भी यह लिखा है कि लोग वातानुकूलन का अत्यधिक प्रयोग न करें और यदि उन्हें प्रयोग करना ही है तो तापमान 24-30 डिग्री सेल्शियस रखें। उसमें आर्द्रता पर भी निर्देश दिया गया है।”
उन्होंने कहा,
“अगर रेल के डिब्बों में तापमान समेत सबकी व्यवस्था है तब भी कुछ देर के लिए खिड़की खोली जानी चाहिए।”
अशील ने कहा कि विमान यात्रा में हवा के दबाव और अन्य कारणों से यह संभव नहीं है और विमान यात्रा तीन से चार घंटे से भी कम की होती है।
उन्होंने कहा,
“लेकिन वातानुकूलित डिब्बे में जहां लोग चल-फिर सकते हैं, 24 से 48 घंटे रहना ठीक नहीं है।”
अशील ने वातानुकूलित यात्रा के सबंध में चिंता प्रकट करते हुए ट्वीट किया था,
“आज से चलने वाली ट्रेनें पूरी तरह वातानुकूलित हैं! अगर इनमें कोई संक्रमित यात्री है तो गंतव्य पर पहुंचने से पहले कई लोगों को कोविड-19 संक्रमण हो जाएगा। ट्रेन आज से शुरू हो रही है, मैं थोड़ा चिंतित हूं।”
उन्होंने कहा कि जब सरकार के पास लोगों को पहुंचाने के लिए सस्ते और सुरक्षित माध्यम हैं तो वातानुकूलित ट्रेन चलाना गलत कदम साबित हो सकता है।
Edited by रविकांत पारीक