दुनिया को जेंडर बराबरी का लक्ष्य हासिल करने में अभी 132 साल लगेंगे
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक जेंडर बराबरी तक पहुंचने में दुनिया 132 साल और दक्षिण-एशिया 197 साल पीछे.
कोविड के पहले की दुनिया में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि दुनिया भर में जेंडर गैप को भरने और स्त्री-पुरुष के बीच बराबरी सुनिश्चित करने में हमें अभी और 30 साल लगेंगे. लेकिन कोविड महामारी ने दुनिया को 100 साल पीछे ढकेल दिया है. जेंडर बराबरी का यह लक्ष्य भी 100 साल पीछे जा चुका है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक जेंडर बराबरी के इस लक्ष्य को हासिल करने में हमें अभी 132 साल लगेंगे. पिछले साल 2021, जुलाई में आई वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट में यह समय 136 साल था, जो अब चार साल कम होकर 132 साल हो गया है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम हर साल एक रिपोर्ट जारी करता है, जिसमें जेंडर बराबरी के लिहाज से दुनिया के देशों की रैंकिंग की जाती है. इस लिस्ट में वही देश शामिल हैं, जो वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का हिस्सा हैं. रैंकिंग कुल 146 देशों के बीच होती है
इस रिपोर्ट के मुताबिक इस साल भी आइसलैंड जेंडर बराबरी के मामले में दुनिया का सबसे उन्नत देश है. स्त्री-पुरुष समता और वर्कफोर्स में महिलाओं की बराबरी की हिस्सेदारी की दृष्टि से आइसलैंड पहले नंबर पर है. आइसलैंड के बाद अगला नंबर फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूजीलैंड और स्वीडन का है. टॉप 10 देशों में बाकी देश रवांडा, निकारागुआ, नामीबिया, आयरलैंड और जर्मनी हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक जेंडर गैप के मामले में सबसे पिछला हुआ क्षेत्र दक्षिण एशिया है, जहां जेंडर गैप 62.3 फीसदी है. रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया को जेंडर बराबरी का लक्ष्य हासिल करने में 197 वर्ष लगेंगे. दक्षिण एशिया के देशों की बात करें तो रिपोर्ट के मुताबिक भारत, बांग्लादेश और नेपाल प्रोफेशनल और टेक्निकल वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी पिछले साल के मुकाबले बेहतर हुई है. पिछले रिपोर्ट की तुलना में इस रिपोर्ट में 1.8 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की यह रिपोर्ट कहती है कि इसमें शामिल 146 देशों में हर पांच में से सिर्फ एक देश ऐसा है, जिसने जेंडर गैप को कम करने में पिछले साल के मुकाबले 1 फीसदी की मामूली बढ़त दर्ज की है.
दुनिया के कुल 146 देशों की इस सूची में भारत का नाम 135वें नंबर पर है. लेकिन साथ ही यह रिपोर्ट यह भी कह रही है कि जेंडर गैप को कम करने, बड़े जिम्मेदार पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के मामले में भारत और बांग्लादेश की स्थिति पिछले साल के मुकाबले बेहतर हुई है.
Edited by Manisha Pandey