'क्रॉपइन' ने 55 लाख एकड़ खेत डिजिटलाइज कर 85 करोड़ का फंड जुटाया
खेती में आधुनिक टेक्नोलॉजी के प्रयोग, डिजिटलाइजेशन आदि से अब क्रांतिकारी परिवर्तन आ चुका है। इसी दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए स्टार्टअप 'क्रॉपइन' ने लगभग 55 लाख एकड़ खेत डिजिटलाइज करते हुए अब तक 21 लाख किसानों को लाभ पहुंचाने के साथ ही खुद भी 85 करोड़ रुपए जुटा लिए हैं।
देश के सभी हिस्सों में किसानों की जोत को डिजिटल किया जा चुका है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने कृषि क्षेत्र के आंकड़ों को तैयार करने में मदद मिली है। सटीक आंकड़ों और आधुनिक टेक्नोलॉजी के कारण भारतीय कृषि की तस्वीर बदल रही है। योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए 'टच-स्क्रीन डिजिटल किसान क्योस्क' की ऐतिहासिक शुरूआत भी हो चुकी है। अब किसान तेजी से सरकार के डिजिटल प्लेटफार्म से जुड़ रहे हैं।
झारखंड में तो कंप्यूटर ऑपरेटर मोबाइल नेटवर्क खोजकर खेतों में गोल्डेन कार्ड बना रहे हैं। किसानी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और आधुनिक टेक्नोलॉजी का जमकर प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे में दुनिया के 45 देशों में फैल चुके कृष्ण कुमार, कुणाल प्रसाद और चितरंजन के डिजिटल खेती स्टार्टअप 'क्रॉपइन' ने तो कमाल ही कर दिया है, जिसने लगभग 55 लाख एकड़ खेत डिजिटलाइज कर अब तक 21 लाख किसानों को सीधे सीधे लाभ पहुंचाने के साथ ही लगभग 85 करोड़ रुपए का फंड इकट्ठा कर लिया है।
खेती में इस क्रांतिकारी परिवर्तन यानी डिजिटलाइजेशन के कारण ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अब तक देश के दो करोड़ किसानों को 3.5 बिलियन डॉलर की धनराशि का भुगतान संभव हो सका है। इस समय खेती में मुख्यतः ये दस डिजिटल तकनीक इस्तेमाल हो रही हैं - आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग, कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल, ब्लॉकचैन, क्लाउड एवं कंप्यूटिंग, बिग डाटा मैनेजमेंट, इमेज सेन्सिंग एवं जियोस्पेशल और अगुमेंटेड एवं वर्चुअल रियलिटी। आज, जबकि भारत के 12 करोड़ किसान सीधे कृषि एवं कृषि आधारित व्यवसायों से जुड़े हैं, 50 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं, डिजिटल तकनीक में उनको कृषि प्रशिक्षण, खेती से जुड़े हर माह के दस लाख रोजगार के साथ पूरी किसानी का भी कायाकल्प कर सकता है।
आज स्मार्ट खेती के लिए स्मार्ट तकनीक पहली जरूरत बन गई है। इसी दिशा में बड़ी पहल करने वाले कृष्ण कुमार डिजिटल स्टार्टअप 'क्रॉपइन' के फाउंडर, कुणाल प्रसाद को-फाउंडर और चितरंजन जेना सीटीओ हैं, जिन्होंने आज से नौ साल पहले अपनी नौकरी छोड़कर सात लाख रुपए से किसानों के लिए इस क्रांतिकारी बदलाव की नींव रखी थी, जिसका आज भारत से बाहर तक एशिया, यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका सहित पैंतालीस मुल्कों में नेटवर्क फैल चुका है। दुनिया की 185 कंपनियां स्टार्टअप 'क्रॉपइन' की बिजनेस क्लाइंट बन चुकी हैं।
इस समय 'क्रॉपइन' स्टार्टअप लगभग साढ़े तीन सौ फसलों पर काम कर रहा है। उसने एक ही प्लेटफॉर्म पर किसानों को तमाम तकनीकी जरूरतें मुहैया करा दी हैं, मसलन, रियल टाइम मौसम की जानकारी, सरकार, डेवलपमेंट एजेंसी, कॉरपोरेट संपर्क, सैटेलाइट से मॉनिटरिंग आदि।
कृष्ण कुमार बताते हैं कि पिछले वित्तीय वर्ष में उनके स्टार्टअप की 300 फीसद ग्रोथ रही है। इस स्टार्टअप की शुरुआत से पहले उन्होंने भारतीय कृषि के ताजा हालात पर नजर दौड़ाई तो पता चला कि डिजिटलाज खती से उपज में भारी इजाफा किया जा सकता है। छोटी-छोटी जोत के साथ ही कमजोर इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी का अपेक्षित इस्तेमाल न होना ही इस हालात की तीन प्रमुख वजहें हैं। स्टार्टअप शुरू करते हुए हुए उन्होंने सबसे पहला खेतों के डिजिटलाइजेशन का किया।
इसके बाद खेती का ट्रेडिशन बदलने के लिए उन्होंने डेटा बेस पद्धति अपनाई। किसानों को जलवायु आपदा से निपटने के लिए मौसम आधारित एग्रो एडवायजरी सिस्टम विकसित किया। इसके तहत खासकर बिहार और मध्य प्रदेश में एक हजार से अधिक कृषि फॉर्म डिजिटलाइज कर दिए गए।
उसके बाद उन किसानों को मौसम के अनुसार लगभग बाईस तरह की फसलों की जानकारी मिलने लगी और उनका काम आसान होता चला गया। आज पूरी दुनिया के पैंतालीस देशों में उनका स्टार्टअप डिजिटलाइज खेती को प्रोत्साहित कर रहा है।