यूएन में ललकारने वाली कौन हैं विदिशा, जिन्होंने पाक की बोलती बंद कर दी!
मिलें संयुक्त राष्ट्र में भारत की सबसे नई, प्रथम महिला सचिव 39 वर्षीय विदिशा मैत्रा से...
'परमानेंट मिशन ऑफ इंडिया टू द यूएन' की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 39 वर्षीय विदिशा मैत्रा संयुक्त राष्ट्र में भारत की सबसे नई, प्रथम महिला सचिव हैं। सिविल सर्विसेज परीक्षा में पूरे देश में उन्हे 39वीं रैंक मिली थी। वर्ष 2009 में ट्रेनिंग के दौरान उन्हें बेस्ट ट्रेनिंग ऑफिसर के लिए 'गोल्ड मेडल' भी मिला था।
यूएन में 'राइट टू रिप्लाई' का इस्तेमाल करने वाली, 12 फरवरी 1980 को जन्मीं विदिशा मैत्रा भारतीय विदेश सेवा के 2009 बैच की 39 वर्षीय अधिकारी हैं, जिन्होंने साल 2008 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की थी। विदिशा ने सिविल सर्विसेज परीक्षा में पूरे देश में 39वां रैंक हासिल किया था। जबकि 2009 में ट्रेनिंग के दौरान उन्हें बेस्ट ट्रेनिंग ऑफिसर के लिए गोल्ड मेडल भी मिला था। विदिशा मैत्रा फिलहाल यूएन में भारत की प्रथम सचिव हैं और वहां पर भारत की सबसे नई अधिकारी भी हैं। ‘परमानेंट मिशन ऑफ इंडिया टू द यूएन’ की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार वे संयुक्त राष्ट्र में वह भारतीय मिशन की सबसे जूनियर सदस्य हैं।
संयुक्त राष्ट्र में तैनाती के बाद विदिशा को पहली जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद रिफॉर्म से जुड़े मुद्दे देखने की मिली। वह यूएन में सुरक्षा काउंसिल सुधार, सुरक्षा काउंसिल (पड़ोस/क्षेत्रीय मुद्दे) से जुड़े मामले देखती हैं। विशेष राजनीतिक मिशंस में भी विदिशा की अहम भूमिका होती है। साथ में उनको शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) को भी देखने की जिम्मेदारी संभाल रही है।
इसके अलावा गुट निरपेक्ष देशों के साथ समन्वय और संयुक्त राष्ट्र के जरिे दुनिया भार के चर्चित विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और शिक्षण संस्थान से संपर्क करने की जिम्मेदारी भी विदिशा मैत्रा के पास है। यूएन के राजनीतिक और शांति निर्माण से जुड़े मामलों के लिए मेलजोल बढ़ाना भी उनका काम है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भाषण का करारा जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय की फर्स्ट सेक्रेट्री विदिशा मैत्रा ने कहा,
'क्या इमरान खान इस बात से इनकार कर सकते हैं कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी करार दिए गए 130 दहशतगर्द और 25 संगठन पाकिस्तान में रहते हैं। पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी करार दिए गए शख्स को पेंशन देता है। मानवाधिकारों की आवाज बुलंद करने का दावा करने वाले पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या 23 फीसदी से घटकर 3 फीसदी रह गई है। इमरान का भाषण दर्रा आदमखेल की बंदूकों जैसा असभ्य था।
उन्होंने कहा,
'पेशावर (पश्चिमोत्तर पाकिस्तान) में स्थित यह इलाका हथियारों की कालाबाजारी के लिए बदनाम है। मुजाहिदीन यहां मिलने वाली डुप्लीकेट एके-47 राइफलों के बड़े ग्राहक हैं। एक इंसान जो कभी जेंटलमैन गेम क्रिकेट खेलता था, उन्होंने दुनिया के सामने नफरत भरा भाषण दिया। नहीं भूलना चाहिए कि 1971 में पाकिस्तान ने किस तरह ईस्ट पाकिस्तान में अपने ही लोगों का नरसंहार किया था। लोगों को पाकिस्तान जाकर नागरिकों का हाल देखना चाहिए।'
साथ ही विदिशा ने ये भी कहा,
'इमरान के भाषण में अपरिपक्वता नजर आई। शायद ही कभी महासभा ने इस मंच पर अपनी बात रखने के अवसर का इस तरह से दुरुपयोग होते देखा हो, बल्कि अवसर का दुष्प्रयोग होते देखा है। भारत पर हमला करने के लिए उन्होंने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया जैसे 'तबाही' 'खून-खराबा' 'नस्लीय श्रेष्ठता', 'बंदूक उठाना' और 'अंत तक लड़ना', एक मध्ययुगीन मानसिकता को दशार्ता है न कि 21वीं सदी के दृष्टिकोण को। एक पुराने और अस्थायी प्रावधान - अनुच्छेद 37० को हटाए जाने पर जो भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर के विकास और एकीकरण में बाधा था, उस पर पाकिस्तान की नफरत भरी प्रतिक्रिया इस तथ्य की उपज है कि जो लोग लड़ाई में यकीन करते हैं, वे कभी भी शांति की किरण का स्वागत नहीं करते। क्या प्रधानमंत्री खान यह कबूलेंगे कि पाकिस्तान ओसामा बिन लादेन का बचाव करने वाला देश था। इमरान खान का परमाणु युद्ध की बातें करना उन्हें कुशल राजनीतिज्ञ के तौर पर नहीं बल्कि अस्थिर नेता के तौर पर दिखाता है।'
विदिशा के जवाब के बाद ही ट्विटर पर उनका नाम ट्रेंड करने लगा और लोग उनकी तारीफ करने लगे। वे वहां भारतीय मिशन की सबसे नई सदस्य हैं।
विदिशा मित्रा ने कहा,
'पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान ने यूएन ऑब्जर्वरों को पाकिस्तान आने को कहा है ताकि यह जांच की जा सके कि वहां कोई आतंकी संगठन सक्रिय नहीं है? क्या दुनिया उन्हें यह वादा याद दिलाएगी। हमने इमरान खान से जो कुछ भी सुना वह दुनिया के प्रति उनका एकतरफा नजरिया था। इसमें मैं बनाम बाकी सब, अमीर बनाम गरीब, उत्तर बनाम दक्षिण, विकसित देश बनाम विकासशील देश और मुस्लिम धर्म बनाम अन्य धर्म की बातें थीं। क्या पाकिस्तान इस बात से इनकार कर सकता है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने उसे नोटिस दिया है कि 27 मापदंडों में से 20 का उल्लंघन उसने किया है?'