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कैसे इन मार्केटिंग ग्रेजुएट्स ने शुरू किया कस्टम स्नीकर्स ब्रांड, हर महीने कमा रहे हैं 10 लाख रुपये का राजस्व

कैसे इन मार्केटिंग ग्रेजुएट्स ने शुरू किया कस्टम स्नीकर्स ब्रांड, हर महीने कमा रहे हैं 10 लाख रुपये का राजस्व

Monday November 18, 2019 , 9 min Read

अंकिता देब (Ankeeta Deb) को जब पहली बार जूते मिले थे तो वे व्हाइट कलर के पेंट किए हुए फेडेड जूते थे। ये जूते उन्हें उनकी बड़ी बहन ने दिए थे। परिवार को उम्मीद थी अंकिता इन जूतों को देखकर चिल्लाएगी, लेकिन परिवार ने उसे जाने दिया। एक बार अंकिता ने एक एक्स्ट्रा क्लास में उन जूतों को पहना हुआ था कि तभी उनके शिक्षक की नजर उन जूतों पर पड़ी।


वह कहती हैं,

"टीचर ने मेरे रंग-बिरंगे जूते देखे और मुझे प्रोत्साहित किया कि मैं अपने खुद के डिजाइन के जूते पहनने की कोशिश करूँ। उन्होंने मुझे 500 रुपये दिए और कहा कि मैं पेंट करने के लिए और जूते खरीदूं।"


अंकिता ने ठीक वैसा ही किया, और एक स्कूल ईवेंट में उन्हें शोकेस किया। अंकिता के डिजाइनर जूतों ने एक नया मोड़ लिया और उन्हें स्कूल के घंटों के बाद भी डिजाइन करने के लिए प्रेरित किया।


वह कहती हैं,

"मैं जूते हमेशा से ही पसंद करती थी और हील्स की बजाए आरामदायक जूते पसंद करती थी, जैसे कि स्नीकर्स। मैं बाकी भीड़ से अलग थी।"

अंकिता के अंदर उद्यमिता के बीज पहले से ही थे, लेकिन बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई करने का विकल्प चुना।


वे कहती हैं,

"मेरे परिवार में पेंटर्स और आर्टिस्ट हैं, और मैं भी पढ़ाई और कामकाज के दौरान सामान्य पेंटिंग करती थी। मैंने विशेष रूप से केवल जूते पेंटिंग करना नहीं सीखा।"


एमबीए करने के बाद उनकी मुलाकात मार्केटिंग ग्रेजुएट वीरेश मदान से हुई। अंकिता और वीरेश का कॉमन इंट्रेस्ट था और उन्होंने महसूस किया कि वे भारत के बड़े फुटवियर उद्योग में एक व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं।


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अंकिता देब और वीरेश, फाउंडर्स- Rivir Shoes

चीन के बाद भारत फुटवियर का दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक है, लेकिन यहां बाजार काफी हद तक असंगठित है। रिसर्च और मार्केट्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 75 प्रतिशत के करीब फुटवियर का उत्पादन असंगठित लोगों या संगठनों द्वारा होता है। ऐसे में अंकिता ने पाया कि उनके लिए अपने शू-पेंटिंग कॉन्सेप्ट के आसपास व्यवसाय स्थापित करके जुनून को पेशे में बदलने का एक बड़ा अवसर था।


2015 में, वीरेश और अंकिता ने गुरुग्राम में फुटवियर फैशन टेक ब्रांड रिविर शूज (Rivir Shoes) शुरू किया। उन्होंने इसमें अपनी व्यक्तिगत बचत से लगभग 15 लाख रुपये का निवेश किया। अंकिता ने डिजाइन और वीरेश ने संचालन संभाला। उन्होंने अंकिता के डिजाइन वाले स्नीकर्स बनाने के लिए मैन्युफैक्चरर्स से कॉन्ट्रैक्ट करना शुरू किया।

रिविर के शुरुआती दिन

दोनों ने जल्द ही महसूस किया कि उनका मॉडल काम नहीं कर रहा था। कई सारी युनिट्स स्टॉक के तौर पर जमा हो रही थीं और बिकने की भी कोई गारंटी नहीं थी। काम नहीं हो रहा था लेकिन फिर भी उन्हें लेबर चार्ज देना पड़ रहा था।


अंकिता कहती हैं,

"स्टॉकिंग से हमारी पूंजी खत्म हो रही थी। क्योंकि हमारा पैसा जूतों में फंस गया था जो बिक नहीं रहे थे। और अगर जूतों का उपयोग नहीं किया जाता है, तो वे तेजी से खराब हो जाते हैं।"

हालांकि, मांग थी। चीन और अमेरिका के बाद, भारत सबसे अधिक जूते का उपभोग करने वाला देश है। भारत के नागरिकों की डिस्पोजल इनकम और स्पेंडिंग पावर बढ़ रही है। बढ़ती ब्रांड चेतना के बावजूद, उपभोक्ता स्नीकर्स की एक जोड़ी के लिए वंस (Vans) और कॉनवर्स (Converse) से परे देखने से डरते नहीं हैं।


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तो सवाल उठता है कि कैसे अंकिता संभावित उपभोक्ताओं तक अपने डिजाइनर जूतों को पहुंचा सकती थीं वो भी उस तरीके से जिससे ज्यादा कमाई भी नहीं हो रही थी? इस मुद्दे को हल करने की कोशिश में और इन्वेंट्री-राइडेड फुटवियर इंडस्ट्री को भी प्रभावित करने के प्रयास में, अंकिता ने एक मेड-टू-ऑर्डर अप्रोच को अपनाया। इसके तहत रिविर किसी इन्वेंट्री का रखरखाव नहीं करेगा; बल्कि सीधे ऑर्डर मिलने के बाद ही जूते को मैन्युफैक्चर किया जाएगा।


28 वर्षीय अंकिता बताती हैं,

"ग्राहक ऑनलाइन ऑर्डर दे सकते हैं और या तो मौजूदा डिजाइन चुन सकते हैं या कस्टम का ऑप्शन चुन सकते हैं। ऑर्डर प्लेस होने के बाद, हम अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चर के साथ बात करके प्रोडक्ट हासिल कर सकते हैं। डिजाइन और प्रिंट इन-हाउस होती है, इसलिए टर्नअराउंड समय 48 घंटे से कम का है।"


रिविर की वर्तमान में तीन वर्कशॉप हैं: दो आगरा में और एक गुरुग्राम में। कंपनी में सात फुल टाइम कर्मचारी हैं। कंपनी दावा करती है कि यह प्रति दिन औसतन 20 से 30 जोड़ी जूते बेचती है और मासिक बिक्री 9 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक होती है। अनुमान है कि इस साल इसकी बिक्री 1.5 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी।

प्रोडक्ट ओवरव्यू

रिविर शूज एस्पाड्रिल्स (पट्टेदार फाइबर सोल वाले हल्के कैनवास के जूते) और हाई टॉप और लो टॉप कैनवास स्नीकर्स बेचता है। अंकिता द्वारा डिजाइन किए गए एस्पाड्रिल्स की एक वाइड रेंज है, लेकिन उन्हें कस्टमाइज्ड नहीं किया जा सकता है। उनकी कीमत 999 रुपये है, और अंकिता कहती हैं कि वह अक्सर डिजाइनों को रीफ्रेश करती रहती हैं।


वे कहती हैं,

"एस्पाड्रिल्स हमारी स्प्रिंग और समर रेंज है। ये साइज में तीन से 11 नंबर में होते हैं और पहनने में आसान होते हैं। जल्द ही, हम 12 और 13 के साइज की तलाश कर रहे हैं।"


रिविर के स्नीकर्स की कीमत 1,500 रुपये है जबकि कस्टम वालों की कीमत 1,999 रुपये है।


वह कहती हैं,

"हमारे पास रेडीमेड स्नीकर्स के लिए वेबसाइटों पर 150 डिजाइन उपलब्ध हैं। यदि ग्राहक जूते पर अपनी खुद की डिजाइन चाहते हैं, तो हम उनके पास पहुंचते हैं और उनकी आवश्यकताओं को समझते हैं।"

कस्टम जूते की कीमत अधिक होती है क्योंकि वे एक युनिक प्रोडक्ट होते हैं और इसमें समय की लागत भी शामिल होती है।


वह कहती हैं,

"जब हम एक डिजाइन पर निर्णय ले लेते हैं और उन्हें टेम्पलेट के लिए भेजने से पहले ग्राहक से पूरी तरह से बात कर लेते हैं, तो फिर हम जूते का निर्माण शुरू करते हैं।"
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रिवीर वर्कशॉप

प्राइसिंग अभी काम कर रहा है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था। जब कंपनी ने पहली बार लॉन्च किया था तब रिविर के रेडीमेड जूते की कीमत 2,500 रुपये थी। इस मूल्य निर्धारण के लिए अंकिता का तर्क यह था कि जूते युनिक थे और वे प्रीमियम प्राइस डिजर्व करते थे। उन्होंने पाया कि 2,500 रुपये कोई आसान कीमत नहीं थी। इसके बाद कंपनी ने इनकी कीमतों को लगभग 1,800 रुपये तक कम कर दिया, लेकिन यह अभी भी कुछ लोगों के लिए ज्यादा थी।


वे कहती हैं,

"जब हमने मैन्युफैक्चरिंग डील शुरू कर दी, तो हम प्रोडक्शन की लागत को कम करने में सक्षम थे। हम कीमतों को और भी कम करने में सक्षम हो सकते हैं। जैसा कि ज्यादा ऑर्डर आए, हमने रेडीमेड स्नीकर्स 1,500 रुपये और 999 रुपये में एस्पाड्रिल्स शूज बेचे।"


रिवीर ने 1,700 रुपये में रेडीमेड स्नीकर्स भी लॉन्च किए, जिसमें से 200 रुपये नाभनगन फाउंडेशन के बच्चों के लिए जाते हैं (बच्चे स्नीकर्स की इस रेंज पर डिज़ाइन में योगदान देते हैं)। रिविर का प्रोडक्ट मार्जिन 35 प्रतिशत से 40 प्रतिशत के बीच है, अंकिता का दावा है, "अगर उत्पादन लागत में और भी कमी आती है, तो हम वाटरप्रूफ जूते बनाना शुरू कर सकते हैं।"

कस्टमर डेमोग्राफिक्स एंड इंगेजमेंट

रिविर को 25 से 30 प्रतिशत तक कस्टम शूज के ऑर्डर मिलते हैं। अंकिता कहती हैं कि 50 प्रतिशत ग्राहक मुंबई और बेंगलुरु से हैं, और उन्हें हैदराबाद और नॉर्थ ईस्ट इंडिया के कुछ शहरों से भी अच्छा ट्रैक्शन मिल रहा है।


वे कहती हैं,

"इन जगहों से लोग हमेशा बड़े ब्रांड्स के जूते नहीं खरीदते हैं। वे फैशन के साथ एक्सपेरिमेंट करना पसंद करते हैं।"

रिविर ब्रांड का टारगेट कस्टमर 18 से 27 वर्ष के बीच का युवा है, लेकिन अंकिता का कहना है कि 18 और 21 के बीच के लोगों के पास डेबिट या क्रेडिट कार्ड नहीं हो सकता है।




वे कहती हैं,

"कैश ऑन डिलीवरी ऑप्शन ठीक से काम नहीं करता है क्योंकि कई बार ग्राहक अपना मन बदल लेते हैं और जो प्रोडक्ट हमने तैयार करके उन्हें भेजा है वे बाद में अपना ऑर्डर कैंसिल कर सकते हैं।"


अंकिता बताती हैं,

"जो ग्राहक 25 वर्ष से अधिक के हैं, वे युवा बनकर रहना पसंद करते हैं और उसी तरह के कपड़े पहनना पसंद करते हैं। इसके अलावा, वे ऑनलाइन पेमेंट भी कर सकते हैं, और उनके पास आम तौर पर युवा ग्राहकों की तुलना में अधिक खर्च करने की शक्ति होती है।"

रिविर कई बार डिमांड में उतार-चढ़ाव का सामना करता है। बारिश के मौसम में इसे सबसे कम ऑर्डर मिलते हैं। अंकिता कहती हैं,

"इस साल, मांग की भविष्यवाणी करना मुश्किल हो गया है क्योंकि देश के विभिन्न क्षेत्रों में अनिश्चित बारिश हो रही है।"

वे बताती हैं कि वर्तमान में, वे अपनी वेबसाइट पर, अमेजॉन और एलबीबी जैसी कुछ इंटरनेट साइटों के माध्यम से प्रोडक्ट बेच रही हैं।


वह कहती हैं,

"हम आम तौर पर डिस्काउंट नहीं देते क्योंकि हमारे पास उतनी भरी हुई इन्वेंट्री नहीं है जिसे क्लियर करना पड़े। लेकिन दिवाली और अन्य अवसरों पर, हम नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत पर बिक्री करते हैं।"

रिविर ने घरेलू डिलीवरी के लिए ब्लू डार्ट और डेल्हीवरी के साथ काम किया है। इसका अंतर्राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स Aramex द्वारा संभाला जाता है, लेकिन अंकिता कहती हैं कि वह बोर्ड पर डीएचएल को जोड़ने की कोशिश कर रही हैं। रिविर डिजिटल मार्केटिंग कैंपेन के माध्यम से ऑडियंस को जोड़ना चाहता है।


"इंस्टाग्राम से बहुत सारे लोग आते हैं क्योंकि यह एक विजुअल फॉर्म में होता है। फेसबुक से ट्रैक्शन धीमा हो गया है। हम Google एड्स भी करते हैं लेकिन यह सीजनल होता है।" अंकिता ने अनुमान लगाया कि रिविर को कस्टम डिजाइनर शू ब्रांड्स से सीधे प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि वे "उतने युनीक नहीं हैं"।


वह कहती हैं,

"कुछ ऐसे ब्रांड्स बंद हो गए हैं क्योंकि वे उनके प्रोडक्ट्स को शीर्ष पायदान पर सुनिश्चित नहीं कर सके।"


ज्यादा ऑर्डर को पूरा करने के लिए रिविर मैन्युफैक्चरिंग और विस्तार को बढ़ावा देने का इरादा रखता है। हालांकि, अंकिता का कहना है कि कंपनी में निवेश किया गया कोई भी पैसा मार्केटिंग में चला जाएगा क्योंकि रिविर का मैन्युफैक्चरिंग ऐसेट्स-हैवी नहीं है।