जिसने आत्मरक्षा के लिए सीखा था जूडो, वही दृष्टिहीन बनी नेशनल चैंपियन
हम कभी निःशक्त महिलाओं की बात नहीं करते हैं, जबकि शारीरिक उत्पीड़न का खतरा उन्हें सबसे ज्यादा होता है। इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'साइटसेवर्स' नाम का एक संगठन मध्य प्रदेश में काम करता है।
2016 में जारी हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर रोज 100 से भी ज्यादा रेप केस दर्ज होते हैं। मध्य प्रदेश में 4,882 रेप दर्ज हुए थे और यह राज्य इस क्राइम में सबसे ऊपर रहा।
भारत में महिलाओं के साथ दुराचार और छेड़छाड़ की घटनाएं इतनी आम बनती जा रही हैं कि हर एक महिला को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। हम कभी निःशक्त महिलाओं की बात नहीं करते हैं, जबकि शारीरिक उत्पीड़न का खतरा उन्हें सबसे ज्यादा होता है। इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'साइटसेवर्स' नाम का एक संगठन मध्य प्रदेश में काम करता है जो इन महिलाओं को जूडो की ट्रेनिंग देकर आत्मरक्षा के गुर सिखाता है। यहीं पर ट्रेनिंग लेने वाली जबलपुर की एक लड़की जानकी गाउद आत्मरक्षा के गुर सीखते-सीखते नेशनल चैंपियन बन जाती है।
जबलपुर जिले में पिपरिया के कुर्रे गांव की रहने वाली जानकी गाउद जब पांच साल की थी तभी उनकी आंखों की रोशनी चली गई। इसके बाद तो मानो उसके ऊपर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा। हालांकि वह कहती हैं, 'मेरे गांव में दृष्टिहीनता की वजह से मुझे कोई दिक्तत नहीं होती थी, लेकिन जब मैं पड़ोस के गांव में जाती थी तो मुझ पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी जाती थीं। इतना ही नहीं कई लोग तो मेरा फायदा उठाने की सोचते थे।' जानकी कभी अपने गांव से बाहर कदम रखने की सोच सकती थी, क्योंकि उनके माता-पिता को अक्सर सुरक्षा की चिंता रहती थी।
2010 में जानकी को साइटसेवर्स संगठन का साथ मिला और उसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एनजीओ द्वारा मिलने वाली ट्रेनिंग से जानकी आत्मनिर्भर तो बन ही गई साथ ही उसने नेशनल चैंपियनशिप में भी भाग लेने का फैसला कर लिया। 2016 और 2017 में जानकी ने दृष्टिहीन और बधिरों के लिए होने वाली चौथी और पांचवी जूडो नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर और गोल्ड मेडल हासिल किया।
2016 में जारी हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर रोज 100 से भी ज्यादा रेप केस दर्ज होते हैं। मध्य प्रदेश में 4,882 रेप दर्ज हुए थे और यह राज्य इस क्राइम में सबसे ऊपर रहा। साइटसेवर्स संगठन मध्य प्रदेश की नि:शक्तजन महिलाओं को आत्मनिर्भर बना कर उनका आत्मविश्वास बढ़ा रहा है। अब ऐसी महिलाएं बिना किसी डर के सार्वजनिक जगहों पर घून आती हैं। इनमें से कुछ महिलाएं खुद ही ट्रेनिंग देने लगी हैं तो वहीं कुछ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने की तैयारी करती हैं। ये महिलाएं राज्य के लिए मेडल जीतकर लाती हैं।
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