Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

इंस्टाग्राम की दिलचस्प दास्तां: केविन और लिंडेल की सोच ने बदल दी फोटो की दुनिया

इंस्टाग्राम की दिलचस्प दास्तां: केविन और लिंडेल की सोच ने बदल दी फोटो की दुनिया

Friday September 28, 2018 , 5 min Read

ये है इंस्‍टाग्राम के फाउंडर-सीईओ केविन सिस्‍ट्रॉम और अमेरिकी स्टार्टअप पर्सन माइक लिंडेल के अरबपति बनने की एक दिलचस्प दास्तान, जिनका स्टार्टअप आज के युवाओं के लिए एक अनोखी मिसाल जैसा है।

image


आज इंस्‍टाग्राम पचास अरब डॉलर यानी लगभग 3.34 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक की कंपनी बन चुकी है। इसके यूजर्स की संख्‍या चालीस करोड़ से ज्यादा है। कंपनी की इस तरक्की का श्रेय पूरी तरह से केविन को ही जाता है।

इंस्‍टाग्राम के फाउंडर-सीईओ केविन सिस्‍ट्रॉम और अमेरिकी स्टार्टअप पर्सन माइक लिंडेल के अरबपति बनने की बड़ी दिलचस्प दास्तानें हैं। यद्यपि उनकी तरह सपने देखना और उन्हें हकीकत में बदल लेना हर किसी के वश की बात नहीं, फिर भी आज की उद्यमी पीढ़ी के लिए वे एक आदर्श बिजनेस मैन तो हैं ही। केविन सिस्ट्रोम का जन्म 30 दिसंबर 1983 में हुआ था। इनकी मां जिपकार की मार्केटिंग एग्जुक्यूटिव, पिता टीजेएक्स कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट के वाइस प्रेसीडेंट थे। स्कूल में पढ़ते समय केविन का परिचय कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से हुआ। आगे बढ़कर डूमटो गेम खेलते हुए और खुद के लेवल बढ़ाते हुए उनकी सबसे पहले कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में दिलचस्पी बढ़ी। बड़े होने पर उन्होंने अपने दोस्तो के मैसेंजर अकाउंट्स को हैक करने जैसा प्रोग्राम तैयार किया।

टेक्नॉलोजी के प्रति उनका प्यार उनको अपनी मां से मिला, जो शुरुआत से ही टेक वर्ल्ड में काम कर रहीं थी लेकिन केविन का पहला जॉब टेक्नोलॉजी से काफी अलग था। केविन ने कॉलेज में पहले कंप्यूटर साइंस को चुना लेकिन आगे वे मैंनेजमेंट साइंस और इंजनियरिंग प्रोग्राम की ओर चले गए। केविन उन 12 स्टूडेंट्स में से एक रहे, जिन्हें स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित फेलोज प्रोग्राम में भाग लेने के लिए चुना गया था। यहां पर उन्हें पहली बार स्टार्टअप की दुनिया का अनुभव हुआ था।

अब याद करिए कि अक्टूबर 2010 में एक ऐसा ऐप लॉन्च हुआ था, जिसे आज दुनिया के सबसे बड़े हस्तियों के साथ विश्व के एक बिलियन से भी ज्यादा लोगों ने सराहते हैं। ये वो ऐप है, जिसने फोटोग्राफी और फोटो शेयरिंग का पूरा परिदृश्य ही बदल दिया। इसकी शुरुआत एपल के ऐप स्टोर से हुई। इस कंपनी का सिर्फ एक ही लक्ष्य था कि मोबाइल फोटो को फास्ट, सिम्पल और खूबसूरत बनाना। आज हम जिस कंपनी के बारे में बात कर रहे हैं, वो कोई और नहीं बल्कि हर यूथ का सबसे चहेता ऐप इंस्टाग्राम है, जिसका पूरा क्रेडिट केविन सिस्ट्रोम को जाता है। केविल सिस्‍ट्रॉम की ऐसी बेमिसाल कामयाबी की दास्तान किसी कल्पना लोक जैसी लगती है। आज उनके इंस्‍टाग्राम प्‍लेटफॉर्म से दुनिया भर के टॉप सेलिब्रिटी जुड़े हुए हैं। वर्ष 2012 में जब फेसबुक ने इसे खरीदा था, उस समय इसकी वैल्‍यूएशन एक बिलियन डॉलर यानी लगभग 6.5 हजार करोड़ रुपए थी, जो इस समय केविन के ही नेतृत्‍व में बढ़कर 50 गुना से भी अधिक हो चुकी है।

आज इंस्‍टाग्राम पचास अरब डॉलर यानी लगभग 3.34 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक की कंपनी बन चुकी है। इसके यूजर्स की संख्‍या चालीस करोड़ से ज्यादा है। कंपनी की इस तरक्की का श्रेय पूरी तरह से केविन को ही जाता है। यह स्‍टार्टअप इतना विशाल हो जाएगा, इसका अनुमान तो केविन को भी नहीं था। इंस्‍टाग्राम को अरबों लोगों के लिए विजुअल स्‍टोरी-टेलिंग का अनोखा जरिया बना देना ही उनकी कामयाबी का सबसे बड़ा राज है। गौरतलब है कि 34 साल के केविन ने जब वर्ष 2006 में डिग्री पूरी करने के बाद गूगल को ज्वॉइन किया था, तीन साल तक उसके साथ रहे। वह नौकरी छोड़ने के दो दिन बाद ही बेसलाइन वेंचर और एंड्रेसेन होरोविट्ज से उन्‍हें पांच लाख डॉलर की फंडिंग मिल गई और उसके लॉन्‍च होने के पहले ही ढाई हजार से ज्यादा लोग देखते ही देखते उससे जुड़ गए। जुड़ते जाने की यह रफ्तार ऐसी रही कि नौ महीने के भीतर इसकी यूजर्स संख्या सत्तर लाख तक पहुंच गई।

केविन जैसी तो नहीं, मगर कामयाबी की मिसाल जैसी ही दास्तान अमेरिका के एक अन्य बिजनेस मैन 'मायपिलो' कंपनी के माइक लिंडेल की है। आज उनका भी कारोबार इक्कीस सौ करोड़ रुपए के सालाना टर्नओवर तक पहुंच चुका है। उनको आज अमेरिका का पिलो किंग कहा जाता है। लिंडेल ने अपने बिजनेस की शुरुआत अपने गृहनगर चास्का से की थी। लिंडेल का एक वक्त ऐसा भी रहा, जब अपनी पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए उनकी दो-दो नौकरियां करनी पड़ती थीं। आखिरकार पढ़ाई बीच में छूट गई। जहां नौकरी करते थे, वहां के मैनेजर से तकरार हो गई। निकाल दिए गए। उसके बाद उन्होंने कई तरह के काम-धंधे किए लेकिन असफल रहे।

कार्पेट क्लिनिंग का बिजनेस करने लगे। सुअर पालन किया। ड्रग्स की वजह से पत्नी से तलाक भी हो गया। घर से भी हाथ धो बैठे। उधर सारा बिजनेस भी तबाह। वह वर्ष 2011 का साल था। वह तकिया (पिलो) बनाकर बेचने लगे। तभी उनको एक रिटेल स्टोर तकिया सप्लाई करने का ऑफर मिला। दस लाख उधार लेकर उन्होंने अपना खुद का पिलो स्टोर खोल लिया। त्योहार पर अस्सी तकिए बिके तो उनकी जान में जान पड़ी। इस दौरान नशे से भी तौबा कर लिया। काम-धंधे में पूरी तरह रम गए। अब तो हर साल वह ढाई-तीन करोड़ तकिए बेच लेते हैं। कोई इक्कीस सौ करोड़ का बिजनेस ऐसे ही थोड़े खड़े कर लेता है। लिंडेल ने तो कर लिया। करने को कोई भी कर सकता है लेकिन उसमें लिंडेल और केविन जैसा जुनून तो हो!

यह भी पढ़ें: भारत की यह कंपनी बनाती है इस्राइल पुलिस की वर्दी, फिलिपीन्स आर्मी का भी मिला काम