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रिजर्व बैंक ने आवश्यकता के अनुरूप करेंसी छापने का ऑर्डर दिया : पुराने 500 रपये और 1,000 रपये के नोटों को चलन से बाहर करने के बाद जारी नकदी की समस्या के बीच सरकार ने आज कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक नियमित आधार पर करेंसी की जररतों पर नजर रख रही है और उसके के अनुरूप छपाई के आर्डर देती है। एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्यमंत्री अजरुन राम मेघवाल ने कहा कि पुराने अधिक मूल्य वाले नोटों को चलन से बाहर किये जाने के बाद बैंक नोटों की नई श्रृंखला को लागू किया गया है जो 10 नवंबर से प्रभाव में है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि बैंक नोटों की नई श्रृंखला देखने, डिजाइन, आकार और रंग में पुराने से काफी भिन्न है। मंत्री ने कहा, " रिजर्व बैंक नियमित आधार पर नोटों की आवश्यकता की निगरानी करती है और उसी के अनुरूप छपाई के ऑर्डर देता है। "
ढाई लाख करोड़ रपये बैंकिंग प्रणाली में नहीं लौटेंगे : एसबीआई ... भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का अनुमान है कि नोटबंदी के बाद करीब 2.5 लाख करोड़ रपये बैंकिंग प्रणाली में वापस नहीं आएंगे। सरकार ने गत 8 नवंबर को 500 और 1,000 रपये के पुराने नोटांे पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे अर्थव्यवस्था से करीब 14 लाख करोड़ रपये की मुद्रा बाहर निकल गई। एसबीआई के आर्थिक अनुसंधान विभाग की रपट में कहा गया है कि करीब ढाई लाख करोड़ रपये बैंकिंग प्रणाली में नहीं लौटेंगे।’’ एसबीआई के विश्लेषण के अनुसार 14.18 लाख करोड़ रपये की मुद्रा के अनुमान :बैंकांे के पास मौजूद नकदी को छोड़कर: मार्च, 2016 के आंकड़ों पर आधारित है। यह नोटबंदी के एक दिन बाद 9 नवंबर के आंकड़ांे पर आधारित होना चाहिए। एसबीआई ने कहा कि 9 नवंबर के आंकड़ों के अनुसार बड़ी मूल्य की मुद्रा के बंद किए गए नोट 15.44 लाख करोड़ रपये होने चाहिए। इसमें के पास मौजूद नकदी शामिल नहीं है। यह मार्च के आंकड़ों से 1.26 लाख करोड़ रपये अधिक है। रपट में कहा गया है कि 10 से 27 नवंबर तक बैंकों में 8.44 लाख करोड़ रपये जमा किए गए और बदले गए। इन अनुमानांे के आधार पर बैंकिंग प्रणाली में 13 लाख करोड़ रपये आने की संभावना है।
क्रुगमैन ने कहा कि नोटबंदी ‘काफी बाधक’, व्यवहार नहीं बदलेगा : नोबेल से सम्मानित पॉल क्रुगमैन ने 500 और 1,000 रपये के नोट को बंद करने की आलोचना करते हुए कहा है कि यह काफी बाधा पैदा करने वाली है। इससे लोगांे के बर्ताव में कोई बदलाव नहीं आएगा, बल्कि वो मनी लांड्रिंग के लिए अधिक सावधानी बरतंेगे और बेहतर तरीके निकालेंगे। सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर क्रुगमैन ने एचटी लीडरशिप समिट को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं इसके पीछे की प्रेरणा को समझता हूं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इससे लोगांे के व्यवहार में कोई विशेष बदलाव आएगा। लोग मनी लांड्रिंग में अधिक सावधानी बरतेंगे जिससे अगली बार वे संरक्षित रहंे।’’ उन्होंने कहा कि यह असामान्य कदम है और उंचे मूल्य के नोटांे को बंद करने की अच्छी वजह है। उन्होंने कहा कि 2,000 रपये का नोट जारी करना एक खराब कदम नहीं है बल्कि यह जमाखोरांे को रोकने का प्रयास है। कम मजदूरी वाले रोजगार चीन से अन्यत्र स्थानांतरित होने के बारे में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत में निचली मजदूरी वाली विनिर्माण की कुछ संभावना है, लेकिन कई अन्य देशों में भी ऐसी क्षमता है।
बैंक यूनियनों ने नकदी संकट से निपटने के लिए जेटली से हस्तक्षेप को कहा ... दो बड़ी बैंक यूनियनों ने आज बैंकिंग प्रणाली में नकदी की भारी कमी से निपटने के लिए वित्त मंत्री अरण जेटली से हस्तक्षेप की अपील की है। नोटबंदी के बाद बैंकिंग प्रणाली में करंेसी की कमी हो गई है और लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। जेटली को लिखे पत्र में ऑल इंडिया बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन और ऑल इंडिया बैंक आफिसर्स एसोसिएशन ने कहा कि रिजर्व बैंक को बैंकों को पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराने को तत्काल कदम उठाने चाहिए और उसे दैनिक आधार पर आपूर्ति की गई नकदी का ब्योरा देना चाहिए। पत्र में कहा गया है कि नोटबंदी के काफी दिन बीतने के बाद भी नकदी संकट कायम है। इसकी वजह कम मूल्य के नोट उपलब्ध न होना और एटीएम का काम नहीं करना है। इसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक द्वारा 100 रपये के जो नोट भेजे जा रहे हैं वे इतने गले-मुड़े हैं कि ग्राहक इन्हंे स्वीकार नहीं कर रहे। पत्र में कहा गया है कि रिजर्व बैंक बार-बार घोषणा कर रहा है कि बैंकों को पर्याप्त नकदी भेजी जा रही है, लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है। लोगांे को लग रहा है कि बैंक जानबूझकर उन्हें भुगतान नहीं कर रहे हैं।