दिये की रोशनी से जगमगा उठे विधवाओं के चेहरे
सदियों पुरानी कुप्रथा को तोड़ते हुए वृन्दावन व वाराणसी की करीब एक हजार विधवा महिलाओं ने दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया।
वृंदावन का ऐतिहासिक गोपीनाथ मंदिर पहली बार एक खूबसूरत घटना का गवाह बना है। इस बड़ी घटना ने लोगों के मन में विधवाओं के प्रति चल रही कुंठा को तो खतम किया ही है, साथ ही समाज के उस तबके को भी दिये में जगमगाने का मौका दिया है, जिनकी ज़िंदगियों में हमारी परंपराओं ने सिवाय अंधेरे के और कुछ नहीं भरा। रंगहीन कपड़ों में इस रंगीन उज्जवल पर्व का आनंद विधवाओं के दिल की खुशी बयान कर रहा था।
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सदियों से समाज में उपेक्षित रह रहीं विधवा महिलाओं में हाथों में जलता हुआ दिया लेकर वृंदावन के गोपीनाथ मंदिर में प्रवेश किया। सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ बिंदेश्वर पाठक की पर वृंदावन और वाराणसी से आयी विधवाओं ने दिये की जगमग रोशनी से मंदिर की दिवारों के साथ साथ अपनी ज़िंदगी की दिवारों को भी रोशन किया है। इस आयोजन में करीब एक हज़ार विधवा महिलाओं ने हिस्सा लिया। जिनमें से कुछ वाराणसी से भी आई हुई थीं।
दीप प्रज्वलन के बाद विधवाओं ने रंग और फूलों की रंगोली से मंदिर को सजाया साथ ही फुलझड़ियां भी जलाईं। यह कार्यक्रम सिर्फ एक दिन का नहीं था, बल्कि अभी चार दिन तक चलेगा। यानि की दिवाली तक यह मंदिर दियों, रंगोलियों और फुलझड़ियों से नगर में रौनक बिखेरेगा। सुलभ नामक इस संस्था ने यह आयोजन चौथी बार किया है। हाथों में दिये और मोमबत्तियां लेकर चल रही विधवा महिलाओं की कतार ऐसी मालूम पड़ रही थी, मानो यह पवित्र आत्माएं ज़िंदगी का अंधेरा हरने जा रही हैं।
यहां पिछले साल भी हजार के करीब विधवा महिलाओं ने दिये की रोशनी का पर्व मनाया था।
सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की दिशा में अपनी तरह से सुलभ संस्था ऐसे सकारात्मक कदम उठा रही है।
इन विधवाओं ने पहली बार किसी मंदिर में एकत्र होकर हाथों में मिट्टी से बने दीपक और मोमबत्तियां जलाकर दीपों के त्यौहार का आनंद महसूस किया।
वाराणसी से आईं कुछ विधवाओं के साथ-साथ वृन्दावन की ये महिलाएं पति की मृत्यु के पश्चात हंसी-खुशी के इन त्यौहारों से खुद का महरूम कर दिए जाने की भारतीय परंपरा का धता बताते हुए एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटकर बेहद प्रसन्न महसूस कर रही थीं। यह इस श्रृंखला का चौथा वर्ष है जब वे दिवाली का त्यौहार मना रही हैं।
इस बार की दिवाली का महत्व भारतीय संस्कृति के केंद्र माने जाने वाले एक प्राचीन मंदिर में प्रकाशोत्सव मनाने का था।
वे हाथों में दीपक लिए यमुना किनारे केशी घाट तक गईं और वहां पहुंचकर दीपदान किया।
इस मौके पर सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. पाठक ने कहा, ‘हम इन विधवा महिलाओं के जीवन में खुशियों और उम्मीद की एक किरण लाने के लिए ही इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। इससे इनके जीवन पर लगा परित्यक्तता का दाग हमेशा के लिए मिट जाए और ये सब भी आमजन के समान ही जीवन यापन कर सकें और खुशियां मना सकें।’