स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ना है तो मोबाइल एप ‘स्वच्छ भारत क्लीन इंडिया’ से जुड़िए
स्मार्टफोन और ट्विटर के जरिये उपयोगकर्ता गंदगी की तस्वीर भेज सकता हैउपयोगकर्ता द्वारा भेजी गई तस्वीर प्रधानमंत्री कार्यालय को की जाती है प्रेषितगूगल प्ले स्टोर से कोई भी व्यक्ति एप्प को कर सकता है डाउनलोड प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन को नए आयाम दे रहे हैं महक महेंद्र शाह
‘स्वच्छ भारत अभियान’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक महत्वाकांक्षी योजना। जिसके ज़रिए देश को साफ सुथरा रखने की कोशिश है। इस अभियान में गिने चुने लोगों से लेकर देश का हर नागरिक जुड़ता गया। हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवाते हैं जो इस अभियान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए अपनी तरफ से लगातार कोशिश में जुटे थे। इनका नाम है महेंद्र शाह। 29 वर्षीय महक महेंद्र शाह आईआईटी मद्रास से स्नातक करने के बाद इटली के मशहूर पॉलीटेक्नीको-डी-मिलानो संस्थान से एमबीए की डिग्री ले चुके हैं। इस युवा का अपने आसपास के इलाके को साफ-सुथरा रखने का उत्साह इन्हें हम सब से अलग बना देता है। जब हम सब लोग सड़क के किनारे लगे गंदगी के ढेर को अनदेखा कर देते हैं और भयंकर बदबू से बचने के लिये अपनी नाक पर रुमाल रखकर आगे निकल जाते हैं और कुछ समय बाद ही सबकुछ भूल जाते हैं ऐसे में महेंद्र ने इस गंदगी को साफ करने का बीड़ा उठाया।
गंदगी और कचरे की इस समस्या से पार पाने के लिये शाह ने सूचना-तकनीकी के क्षेत्र में आई क्रांति का बखूबी इस्तेमाल किया और ‘स्वच्छ भारत-क्लीन इंडिया’ के नाम से एक मोबाइल एप्प विकसित किया। इस एप्प के द्वारा कोई भी उपयोगकर्ता गंदगी भरे स्थानों की तस्वीर खींचकर ट्विटर के जरिये इनको भेज सकते हैं। बाद में ये लोग इन तस्वीरों को प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रेषित कर देते हैं। 28 सितंबर 2014 को जारी किये इस मोबाइल एप्लीकेशन को शाह ने अपने दम पर तैयार कर जनता को समर्पित किया। इस एप्प को तैयार करने के दौरान उन्हें कई शुभचिंतकों का पूरा सहयोग मिला। एक आम आदमी की इस गंभीर समस्या को एक मंच देने के लिये महेंद्र ने अपनी व्यक्तिगत बचत को लगाया और इस एप्प को सफलतापूर्वक तैयार किया। लेकिन सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को ट्वीट क्यों? क्या कूड़ा प्रबंधन और कचरा निपटान स्थानीय मुद्दे नहीं हैं? ‘‘बिल्कुल’’ महेंद्र कहते हैं। ‘‘किसी भी समस्या की जड़ तक पहुंचने के और उसके समाधान के लिये पहले उसके बारे में विस्तार से तैयारी होनी चाहिये। चूंकि हमारे देश में ऊपर से आदेश मिलने पर ही काम तेजी से होते हैं इसलिये सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को ट्वीट और फोटो भेजने का विचार किया। मेरे विचार से किसी भी क्षेत्र में सफाई के लिये जिम्मेदार प्रशासन के लिये शिकायत के साथ गंदगी की तस्वीर देखकर इस काम को करना और भी आसान हो जाता है।’’
इस एप्लिकेशन को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। चूंकि यह एप्प प्रयोग में बहुत आसान है इसलिये कोई भी व्यक्ति जो एक स्मार्टफोन इस्तेमाल करता है वह इसकी मदद से अपनी आवाज को समुचित मंच तक पहुंचा सकता है। पहली बार इस्तेमाल के समय उपयोगकर्ता को अपने ट्विटर खाते के साथ लॉगिन करने के लिए कहा जाता है। इसके बाद तीन आसान चरणों के प्रयोग से कोई भी इसका उपयोग कर सकता है। इस एप्प का इस्तेमाल करते समय उपयोगकर्ता को अपने मोबाइल का जीपीएस ऑन करना होगा। इसके बाद उपयोगकर्ता गंदगी से भरे किसी भी क्षेत्र को चुनकर वहां की तस्वीर खींचकर उसके बारे में विस्तार से लिख सकता है। उपयोगकर्ता यह भी लिख सकता है कि दिख रही तस्वीर में उसने अस्पताल, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, बैंक, सड़क, चौराहे, कोर्ट इत्यादि सहित किस जगह की गंदगी का जिक्र किया है। अंत में उन्हें सिर्फ इन तस्वीरों को ट्वीट करना होता है।
‘‘बाकी सब हमारी जिम्मेदारी है,’’ वे कहते हैं। इस एप्प में गंदगी की तस्वीरों को अपलोड करना अनिवार्य है। ‘‘जीपीएस के द्वारा मैपिंग होने के कारण हमारे और किसी भी प्रशासनिक संस्था के लिये मौके की सही स्थिति को जानना काफी आसान हो जाता है। इस एप्प की सहायता से हम 2019 तक स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।’’
इसके अलावा गंदगी से संबंधित इन तस्वीरों को प्रतिमाह इकट्ठा कर प्रधानमंत्री कार्यालय को डाक के द्वारा भी भेजा जाता है। पीएमओ को ट्वीट्स भेजने के लिए चुनने के पीछे तर्क समझाते हुए शाह कहते है कि, ‘‘चूंकि PMO ट्विटर पर काफी सक्रिय हैं इसलिये इस बात की पूरी संभावना रहती है कि उन्हें उल्लिखित करते हुए किये गए ट्वीट उनकी नजर के सामने आएंगे और वे उचित कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।’’
शाह कहते हैं कि फेसबुक और ट्विट्र दोनों की काफी सशक्त माध्यम हैं लेकिन उन्होंने जानबूझकर अपने एप्प के लिये ट्विटर का चयन किया। ‘‘मुझे पता था कि इसमें उपयोगकर्ता के पास 140 शब्दों में अपनी शिकायत के बारे में बताने का विकल्प रहेगा। हम चाहते थे कि तस्वीर के साथ हमें कम शब्दों में लोगों की परेशानी के बारे में पता लग सके। अगर हमने इस काम के लिये फेसबुक का प्रयोग किया होता तो लोग अपनी शिकायत में पूरा निबंध ही लिखकर भेज देते। ट्विटर की मदद से हमारी टीम को तस्वीरों और स्थान की प्रामाणिकता की जांच की आवश्यकता नहीं होती है और हमारा काम बहुत आसान हो जाता है।’’
इस एप्प की मदद से शाह ने अपने गृहनगर हैदराबाद के कई बदसूरत धब्बों को साफ-सुथरा बनाने में सफलता प्राप्त की है। हालांकि इस एप्लीकेशन पर 5 हजार से अधिक शिकायतें आ चुकी हैं लेकिन अभी तक सिर्फ 10-15 पर ही उचित कार्रवाई हो पाई है। लेकिन फिर भी हम में से कितने अपने दम पर एक गंदी जगह को बदलने में सक्षम हैं?
फिलहाल लोगों को ट्विटर पर साइनअप करवाने के लिये प्रेरित करना एक बहुत बड़ी चुनौती है। वे अफसोस जताते हुए कहते हैं कि अधिकतर लोग फेसबुक के जरिये इस काम को करने के इच्छुक हैं। हैदराबाद और बैंगलोर जैसे देश के सबसे तकनीक प्रेमी शहरों की प्रशासनिक इकाइयों ने इनके एप्प के प्रयोग में खासी दिलचस्पी दिखाई है और जल्द ही आने वाली शिकायतों पर कार्रवाई कर रहे हैं। दूसरी तरफ देश के अन्य शहरों की प्रशासनिक इकाइयों में ट्विटर और इस एप्प के प्रयोग के प्रति अभी तक इन्हें अनिच्छा ही देखने को मिली है।
15 से भी अधिक देशों की यात्रा कर चुके शाह अब भी इन स्थानीय निकायों की कार्यप्रणाली के बारे में किसी तरह का शिकायती भाव नहीं रखते हैं। बुनियादी सुविधाओं के घोर अभाव के बावजूद हमारे देश के निकाय जिस सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं वह उन्हें दुनिया के अन्य निकायों से कहीं आगे खड़ा कर देता है। हमें अपने चारों तरफ फैली गंदगी के लिये इन निकायों को दोष देने की जगह इनके आधुनिकीकरण, उन्नत तकनीक के प्रयोग इत्यादि की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे।