बाहर से खाने पीने की चीजें लाने पर सिनेमाघर नहीं लगा सकते रोक: बॉम्बे हाई कोर्ट
मल्टीप्लेक्सेस की मनमानी के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बार फिर से लताड़ लगाई है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी इंसान को मल्टीप्लेक्स में बाहर से सामान लाने से रोका नहीं जाना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर दर्शकों को बाहर से खाने-पीने के सामान लाने पर पाबंदी लगानी है तो फिर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जाए और अंदर किसी भी तरह का खाने-पीने का सामान न बेचा जाए।
आप आज कल के आधुनिक मल्टीप्लेक्स सिनेमाहॉल में जाते होंगे तो अक्सर वहां बिकने वाली खाने की चीजों के दाम देखकर होश उड़ जाते होंगे। किसी भी आम इंसान के लिए सामान्य चीजों को आसमानी दाम पर खरीदना मुमकिन नहीं हो पाता है। लेकिन कई बार मजबूरी में व्यक्ति को ये चीजें खरीदनी पड़ती हैं क्योंकि बाहर से किसी भी चीज को ले जाने पर प्रतिबंध लगा होता है। मल्टीप्लेक्सेस की मनमानी के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बार फिर से लताड़ लगाई है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी इंसान को मल्टीप्लेक्स में बाहर से सामान लाने से रोका नहीं जाना चाहिए।
महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि थियेटर के भीतर खाने-पीने के सामानों के दाम को नियंत्रित करने के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं। जस्टिस एस.एस. केमकर और जस्टिस एम. एस. कार्णिक की डिविजन बेंच ने जैनेंद्र बख्शी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। याचिका में कहा गया था कि सिनेमाघरों की इस मनमानी से संविधान के अनुच्छेद-21 के अंतर्गत जीने का अधिकार प्रभावित होता है। इससे खासतौर पर वृद्ध और बीमार लोगों को परेशानी होती है। याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया कि सिनेमा हॉल में सामान को अवैध तरीके से बेचना महाराष्ट्र सिनेमा (रेग्युलेशन) कानून, 1966 का भी उल्लंघन होता है।
याचिकाकर्ता के वकील आदित्य प्रताप ने कहा कि सिनेमाघरों के भीतर मनमाने दाम पर पीने का पानी और खाद्य सामग्री बिकती है। इसे रोकने के लिए कोई नियम कानून नहीं बना है। इसके अलावा किसी व्यक्ति को अपना खाने पीने का सामान ले जाने की इजाजत भी नहीं होती है। जस्टिस केमकर ने कहा, 'सिनेमाघरों के भीतर खाने और पीने की चीजों को मनमाने दाम पर बेचना बिल्कुल गलत है।' उन्होंने सिनेमाघर मालिकों से कहा कि वे बाजार द्वारा नियमित दाम पर ही अपने सामान बेचें।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर दर्शकों को बाहर से खाने-पीने के सामान लाने पर पाबंदी लगानी है तो फिर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जाए और अंदर भी किसी भी तरह का खाने-पीने का सामान न बेचा जाए। सरकार की तरफ से कोर्ट में पक्ष रखते हुए वकील पूर्णिमा कांथरिया ने कहा कि राज्य सरकार छह हफ्तों के भीतर इस पर एक नीति तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि नीति तैयार करते वक्त मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन और ऑल इंडिया सिनेमा थिएटर मालिकों से भी इस बारे में सुझाव मांगे जाएंगे। सरकार के पक्ष के बाद कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 12 जून तक के लिए बढ़ा दी है।
यह भी पढ़ें: हैदराबाद की महिलाओं को रोजगार देने के साथ-साथ सशक्त बना रहा है 'उम्मीद'