क्या है एंजल टैक्स और स्टार्टअप क्यों कर रहे हैं इसका विरोध?
सैकड़ों स्टार्टअप्स को इनकम टैक्स के एंजल टैक्स सेक्शन के तहत ये नोटिस भेजा गया है। सेक्शन 56(2) को मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए लाया गया था ताकि एंजल इन्वेस्टमेंट में धोखाधड़ी और कर चोरी को रोका जा सके।
सरकार ने स्टार्टअप और एंजल निवेशकों के सामने रही टैक्स संबंधी दिक्कतों पर गौर करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्णय किया है।
इन दिनों एंजल टैक्स की चर्चाएं जोरो पर हैं। खासतौर पर स्टार्टअप की तरफ से इस टैक्स का विरोध किया जा रहा है। दरअसल सैकड़ों स्टार्टअप्स को इनकम टैक्स के एंजल टैक्स सेक्शन के तहत ये नोटिस भेजा गया है। सेक्शन 56(2) को मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए लाया गया था ताकि एंजल इन्वेस्टमेंट में धोखाधड़ी और कर चोरी को रोका जा सके। हालांकि अभी सरकार की तरफ से ये घोषणा हुई है कि स्टार्टअप्स के खिलाफ इसके तहत कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। आइये जानने की कोशिश करते हैं कि ये एंजल टैक्स है क्या?
जब कोई नई कंपनी प्रचलित मार्केट वैल्यू से ज्यादा कीमत पर अपने शेयर जारी करती है तो उसे कुछ रकम ज्यादा मिलती है। इस ज्यादा मिली रकम को दूसरे स्रोत से अर्जित की गई आय में गिना जाता है और उस पर लगे टैक्स को एंजल टैक्स कहा जाता है। एंजल इन्वेस्टमेंट उसे कहते हैं जब शुरुआती दौर में किसी स्टार्टअप या कंपनी को निवेश के तौर पर पैसे मिलते हैं।
कब हुई थी शुरुआत
एंजल टैक्स का प्रावधान 2012 के बजट में किया गया था। तब यूपीए की सरकार में वित्त मंत्री रहे प्रणब मुखर्जी ने इसे लागू किया था। सरकार का मकसद था कि कंपनियों द्वारा की जाने वाली हेरफेस और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए ऐसा किया गया था। इसके बाद वर्तमान सरकार ने इसी साल 2018 के अप्रैल में एक आदेश जारी करते हुए इनकम टैक्स ऐक्ट की धारा 56 के तहत एंजेल इन्वेस्टर के योगदान सहित 10 करोड़ रुपये तक के कुल निवेश वाली स्टार्टअप्स को टैक्स में छूट की इजाजत दी थी।
स्टार्टअप में हिस्सेदारी लेने के इच्छुक एंजेल इन्वेस्टर की मिनिमम नेटवर्थ दो करोड़ रुपये या पिछले तीन वित्तीय वर्ष में 25 लाख रुपये से ज्यादा एवरेज रिटर्न्ड इनकम होनी चाहिए। लेकिन अभी हाल ही में मुंबई और बेंगलुरु की कुछ स्टार्टअप्स को टैक्स विभाग से नोटिस मिले हैं। स्टार्टअप्स की तरफ से विरोध सामने आने के बाद कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री मिनिस्टर सुरेश प्रभु ने ट्वीट किया था कि उनकी मिनिस्ट्री ने यह मुद्दा फाइनैंस मिनिस्ट्री के सामने उठाया है। प्रभु का मंत्रालय ही स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम का प्रभारी है। इसके बाद सरकार ने स्टार्टअप और एंजल निवेशकों के सामने रही टैक्स संबंधी दिक्कतों पर गौर करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्णय किया है।
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