खाने की बर्बादी रोकने के साथ ही भूखे लोगों की मदद कर रहा है यह 'मैजिक फ्रिज'
गुड़गांव के सेक्टर- 54 में स्थित सनसिटी सोसाइटी में रहने वाले लोगों ने सोसाइटी के गेट के पास यह कम्यूनिटी फ्रिज लगाया है। इस फ्रिज में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के खाने वाली चीजें रखी होती हैं।
लोग अपने घर में बची हुई खाद्य सामग्री इस फ्रिज में सुरक्षित रख देते हैं और उसे जरूरतमंदों को बांट दिया जाता है।
खाना रखने वाले को खाने के डिब्बों पर डेट और शाकाहारी- मांसाहारी लिखे हुए स्टिकर लगाने होते हैं। ये स्टिकर फ्रिज के पास ही रखे होते हैं।
हर घर में रोजाना कुछ न कुछ खाना बच ही जाता है जिसे डस्टबिन में फेंक दिया जाता है। लेकिन उसी खाने को तरसते हुए न जाने कितने परिवार भूखे पेट सोने को मजबूर हो जाते हैं। इस स्थिति में बदलाव लाने के लिए गुड़गांव के कुछ लोगों ने एक पहल की शुरुआत की है जिसके तहत सोसाइटी में एक कम्यूनिटी फ्रिज की स्थापना की गई है। लोग अपने घर में बची हुई खाद्य सामग्री इस फ्रिज में सुरक्षित रख देते हैं और उसे जरूरतमंदों को बांट दिया जाता है।
इस पहल के पीछे अपना योगदान देने वाले आईटी प्रोफेशनल राहुल खेरा ने बताया कि इससे हमारे समाज में जरूरतमंदों को भोजन मिल रहा है और साथ ही कचरा प्रबंधन में सहयोग मिल रहा है क्योंकि खाना बाहर नहीं फेंका जाता जिससे कचरा कम होता है। इस पहल में लगभग 30 परिवार शामिल हैं। राहुल बताते हैं कि वे इस बारे में भी सोच रहे हैं कि कैसे खाद्य अपशिष्ट को कम से कम किया जा सके। दिलचस्प बात है कि यहां अधिकतर लोग अपने जन्मदिन पर मिठाइयां और ताजे खाने के पैकेट रख जाते हैं।
मुंबई और कोच्चि में ऐसे प्रयोग चल रहे हैं और काफी सफल भी हो चुके हैं। लेकिन गुड़गांव में यह नई-नई पहल शुरू हुई है और इसे काफी अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है।
गुड़गांव के सेक्टर- 54 में स्थित सनसिटी सोसाइटी में रहने वाले लोगों ने सोसाइटी के गेट के पास यह कम्यूनिटी फ्रिज लगाया है। इस फ्रिज में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के खाने वाली चीजें रखी होती हैं। इस फ्रिज के दरवाजे हमेशा जरूरतमंद लगों के लिए खुले रहते हैं। इसमें सोसाइटी और आसपास के लोग आकर खाना रख जाते हैं जिसे गरीब और भूखे लोग बिना किसी झिझक के निकाल कर खा लेते हैं। इस मुहिम की खासियत है कि खाना रखने वाले लोगों का नाम किसी को नहीं बताया जाता है, हालांकि खाना रखने वाले को खाने के डिब्बों पर डेट और शाकाहारी- मांसाहारी लिखे हुए स्टिकर लगाने होते हैं। ये स्टिकर फ्रिज के पास ही रखे होते हैं।
इस फ्रिज में समय-समय पर खाना उपलब्ध करवाने वाली एक महिला ने बताया कि जो खाना उऩके लिए किसी काम का नहीं है या उसे वे नहीं खाने वाले उससे अगर किसी की भूख मिट सकती है तो यह सबसे नेक काम है। हालांकि इंडिया में यह कॉन्सेप्ट कोई नया नहीं है। क्योंकि इससे पहले से ही मुंबई और कोच्चि में ऐसे प्रयोग चल रहे हैं और काफी सफल भी हो चुके हैं। लेकिन गुड़गांव में यह नई-नई पहल शुरू हुई है और इसे काफी अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है।
राहुल बताते हैं कि पहले तो यह काफी बहुत चुनौतीपूर्ण था लेकिन लोगों के सहयोग से इसे लागू करने में आसानी आई। खाना निकालने वालों की प्रतिक्रिया पर राहुल ने कहा कि शुरुआत में लोग फ्रिज से खाना निकालने में हिचकिचाते थे और आश्चर्यचकित होकर पूछते थे क्या यह खाना वाकई फ्री में है? धीरे धीरे वे फेमिलियर हो गए। अब तो वो बेहिचक खाना ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से उनका यह प्रयास कई लोगों तक पहुंचा है। लोगों ने उनकी तारीफ की और यह बाकी जगहों पर भी शुरू हो रहा है। दिल्ली, नोएडा गुड़गांव जैसे इलाकों में कई सोसाइटी के लोग ऐसी ही फ्रिज लगाने के बारे में सोच रहे हैं।
कोच्चि के पप्पड़वाड़ा इलाके में 2016 में ऐसी ही फ्रिज की स्थापना हुई थी। वहां मिनू नाम के एक रेस्टोरेंट मालिक ने अपनी दुकान के आगे एक फ्रिज लगाया था जहां से लोग आसानी से खाना ले सकते थे। वहां अब भी लोग या इवेंट मैनेजर खाने-पीने की चीजें रख जाते हैं जिसे जरूरतमंदों में बांट दिया जाता है। इन सभी फ्रिज में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि खाना खाने योग्य है और साफ है। ताकि उससे किसी को नुकसान न पहुंचे।
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