सौर ऊर्जा कारोबार से हर महीने कमायें लाखों
सौर ऊर्जा की मांग और आपूर्ति के मद्देनजर एक बात साफ होती जा रही है कि यह भविष्य का सबसे ज्यादा लाभकर कारोबार होने वाला है। इस क्षेत्र में लगातार नई-नई तकनीकें भी आ रही हैं।
कारोबार के लिहाज से कई लघु व्यावसायियों ने भी कदम बढ़ा दिए हैं क्योंकि मांग के हिसाब से दुकान से लेकर यूनिट तक स्थापित करना फायदेमंद है। बिजली की किल्लत और स्मार्ट बिजनेस के लिए वैकल्पिक ऊर्जा पर निर्भरता आने वाले दिनों में बढ़ती जानी है।
पिछले कुछ-एक वर्षों में सौर ऊर्जा उत्पादन की लागत घटने से यह कारोबार एसएमई के लिए फायदेमंद है। चार साल पहले केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने सौर ऊर्जा का शुल्क 17.91 रुपये प्रति यूनिट तय किया था और अब यह घटकर एक-तिहाई रह गया है।
सौर ऊर्जा की शहरों में मांग छलांग लगाने लगी है। बिजली के बिल और बार-बार कट ऑफ से लोग परेशान हैं और अपने घरों में सोलर सिस्टम लगवाना चाहते हैं। गांवों में तो हफ्तों बिजली ही नहीं आती है। इसलिए आज सौर ऊर्जा के बिजनेस में कोई नुकसान नहीं है। इस बिजनेस में जितनी बड़ी लागत लगेगी, उतना ज्यादा मुनाफा। इसे छोटी सी लागत से शुरू किया जा सकता है। इस बिजनेस से तीस हजार से लेकर एक लाख रुपए तक की हर माह कमाई हो सकती है। इसके सोलर पैनल 25 साल तक खराब नहीं होते हैं।
कम्पनी सोलर पैनल की 25 साल की वारण्टी देती है। सौर ऊर्जा का बिजनेस मार्च से अक्टूबर तक तेजी से चलता है। सर्दियों के मौसम में सोलर वाटर हीटर बेच सकते हैं। इस बिजनेस में सोलर पैनल, सोलर बैटरी, सोलर इन्वर्टर, सोलर चार्ज कंट्रोलर, सोलर लालटेन, सोलर डीसी फेन, कॉपर का तार, डीसी लाइटें, डीसी मोबाइल चार्जर, सोलर मोबाइल चार्जर आदि की मांग बढ़ती जा रही है। आज हर जगह घर, हॉस्पिटल, बैंक, स्कूल, ऑफिस, पेट्रोल पंप आदि सब जगह सौर ऊर्जा काम आने लगी है।
सौर ऊर्जा की मांग और आपूर्ति के मद्देनजर एक बात साफ होती जा रही है कि यह भविष्य का सबसे ज्यादा लाभकर कारोबार होने वाला है। इस क्षेत्र में लगातार नई-नई तकनीकें भी आ रही हैं। कर्नाटक सरकार ने सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए बिड निकाली है। इस बिड के तहत 3 मेगावाट से ऊपर के सोलर पॉवर प्रोजेक्ट इंस्टॉल किए जाने हैं। करीब 500 मेगावाट अगले बीस से पच्चीस सालों में बिड के जरिए लगाया जाना है। इसी तरह मध्य प्रदेश का रीवा अब अमेरिका को सीधी टक्कर देने जा रहा है।
यहां दुनिया का सबसे बड़ा और देश का पहला अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट स्थापित करने की तैयारी है। इसकी लागत करीब 4 हजार करोड़ रुपए आएगी। इस संयंत्र से 700 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। अनुमान है कि इससे बनने वाली बिजली की कीमत 5 रुपए 40 पैसे प्रति यूनिट होगी, जो देश में सबसे कम होगी। यह तीन वर्षों में तैयार हो जाएगा। भविष्य में राजस्थान, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर में भी यह अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट स्थापित किए जाने की योजना है। मप्र ने प्रोजेक्ट शुरू करने में बाजी इसलिए मार ली है, क्योंकि राज्य सरकार ने इस प्रस्तावित सोलर पॉवर प्लांट के लिए भूमि आरक्षित कर ली है।
जहां तक सोर ऊर्जा क्षेत्र में बिजनेस के भविष्य की बात है, हमारे देश में सौर ऊर्जा के प्लेट, बैट्री, इंस्टालेशन, उपकरण, रिसर्च जैसी चीजों में अपार संभावनाएं हैं। कारोबार के लिहाज से कई लघु व्यावसायियों ने भी कदम बढ़ा दिए हैं क्योंकि मांग के हिसाब से दुकान से लेकर यूनिट तक स्थापित करना फायदेमंद है। बिजली की किल्लत और स्मार्ट बिजनेस के लिए वैकल्पिक ऊर्जा पर निर्भरता आने वाले दिनों में बढ़ती जानी है। डब्ल्यूटीओ के मानकों पर 2022 तक 20,000 मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा से पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है।
ऐसे में सरकार के लक्ष्य के अलावा परिवार की भी जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का कारोबार बड़ी संभावनाएं और अवसर लेकर आ रहा है। सौर ऊर्जा को तीन घटकों से जोड़ा गया है। पहला बड़े ग्रिड, दूसरा छोटे ग्रिड, और तीसरा ऑफ ग्रिड। इनमें पहला काम छोड़कर दूसरा और तीसरा मिनिस्ट्री ऑफ न्यू रेन्यूबल एनर्जी कर रही है। अभी बड़े ग्रिड पर ज्यादा काम हो रहा है। आने वाले समय में ऑफ ग्रिड पर ज्यादा काम की गुंजाइश है। दरअसल, जवाहर लाल नेहरू सोलर मिशन के तहत एक बड़े लक्ष्य को प्राप्त करना है। जो बड़े निवेश औऱ उपकरणों के बिना संभव नहीं है। अनुमान के अनुसार 2040 तक विश्व की कुल ऊर्जा खपत का पांच प्रतिशत भाग अकेले सौर ऊर्जा से पूरी होने की उम्मीद जताई जा रही है।
सौर ऊर्जा उत्पादन में अवसर बढ़ते जा रहे हैं। लिहाजा, कई एक कारोबारी सौर ऊर्जा इन्वर्टर बना रहे हैं। इन इन्वर्टर की चार्जिंग क्षमता अधिक है। दूरसंचार क्षेत्र से भारी मांग आ रही है, क्योंकि सोलर जेनरेटर सेट पर डीजल जेनरेटर सेट की तुलना में कम खर्च आता है। सौर ऊर्जा एक विकल्प नहीं बल्कि अब एक रणनीतिक अनिवार्यता है, इसलिए इस कारोबार में विस्तार के लिए बहुत मौके हैं। पिछले कुछ-एक वर्षों में सौर ऊर्जा उत्पादन की लागत घटने से यह कारोबार एसएमई के लिए फायदेमंद है। चार साल पहले केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने सौर ऊर्जा का शुल्क 17.91 रुपये प्रति यूनिट तय किया था और अब यह घटकर एक-तिहाई रह गया है।
एसएमई मॉड्युल्स, सोलर सेल्स, केबल्स और छोटे इलेक्ट्रॉनिक पाट्र्स बना सकते हैं। हमारे देश के रेगिस्तानी इलाकों में 2050 315.7 गीगावाट सोलर और पवन ऊर्जा की संभावनाएं हैं। इसमें करीब 43,74,550 रुपए निवेश की जरूरत पड़ेगी। सरकार देश के रेगिस्तानी इलाकों में इस जरूरत को पूरा करने पर विचार कर रही है। इससे सौर ऊर्जा से जुड़े कारोबारियों को बड़े मौके मिल सकते हैं।
आज किसी भी अच्छी कंपनी का डिस्ट्रीब्यूटर या डीलर बन कर सोलर का बिजनेस शुरू किया जा सकता सकता है। बड़ी कंपनियां सोलर पैनल और सोलर उपकरण बनाती हैं। इस बिजनेस में आज सैकड़ों प्रकार के उपकरण बाजार में मौजूद हैं, जिनका बिजनेस किया जा सकता है। सोलर पैनल, बैटरियां, सोलर चार्ज कंट्रोलर, सोलर इन्वर्टर, डीसी लाइटें, पंखे, मोबाइल चार्जर आदि, डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में ज्यादा इन्वेस्टमेंट करना पड़ता है, कम से कम 15 से 20 लाख रूपये तक। कंपनियां पांच वाट सोलर पैनल से लेकर पांच सौ तक के सोलर पैनल बनाती हैं। सबसे ज्यादा मांग पचास वाट, सौ वाट, डेढ़ सौ वाट, ढाई सौ वाट सोलर पैनल की है।
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