भारतीय लेखक हुए लंदन में सम्मानित
वाणी प्रकाशन और उसके लेखकों को मिला अन्तर्राष्ट्रीय वातायन सम्मान।
लन्दन की ‘वातायन’ संस्था द्वारा लन्दन के नेहरू सेंटर में अन्तर्राष्ट्रीय वातायन सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।समारोह में हिन्दी की प्रकाशन संस्था वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी, कवि और गज़लकार डॉ. हरिओम और संस्कृतिकर्मी स्मिता परिख को सम्मानित किया गया।
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लन्दन की ‘वातायन’ संस्था द्वारा लन्दन के नेहरू सेंटर में अन्तर्राष्ट्रीय वातायन सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में हिन्दी की प्रकाशन संस्था वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी, कवि और गज़लकार डॉ. हरिओम और संस्कृतिकर्मी स्मिता परिख को सम्मानित किया गया। इस बार वातायन संस्था का सबसे प्रतिष्ठित अन्तर्राष्ट्रीय वातायन शिखर सम्मान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी को प्रदान किया गया।
वातायन संस्था ने पहली बार इसी वर्ष से प्रकाशन सम्मान की शुरुआत की है जिसके तहत वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक और वाणी फ़ाउंडेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय वातायन प्रकाशन सम्मान प्रदान किया गया। अरुण माहेश्वरी द्वारा संचालित वाणी प्रकाशन हिन्दी भाषा और साहित्य में स्तरीय पुस्तकों के प्रकाशन के लिए विख्यात है। नोबेल पुरस्कार, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार और अनेक लब्ध प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त लेखक वाणी प्रकाशन की गौरवशाली परम्परा का हिस्सा हैं। वाणी प्रकाशन साहित्य और विमर्श की गम्भीर पत्रिका ‘वाक’ और हिन्दी की पहली पूर्व समीक्षित पत्रिका ‘प्रतिमान’ का नियमित प्रकाशन करता है। एक प्रकाशक के रूप में अरुण माहेश्वरी ने अब तक 6000 से भी अधिक पुस्तकों और 2500 से अधिक लेखकों को प्रकाशित किया है। उन्होंने लगभग समूची दुनिया का भ्रमण किया है और हिन्दी भाषा-साहित्य और हिन्दी में छपी पुस्तकों का अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रचार-प्रसार किया है। हिन्दी के उत्थान और विकास के लिए उनके अथक प्रयासों को दुनिया भर में सराहा गया है। उन्हें स्वीडिश, रशियन और पोलिश के साहित्यिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए नेशनल लाइब्रेरी (स्वीडेन), इंडो-रशियन लिटरेरी क्लब और पोलिश कल्चरल सेंटर द्वारा सम्मानित किया गया है। फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स द्वारा वर्ष 2008 में उन्हें डिस्टिंग्विश्ड पब्लिशर्स अवार्ड से नवाजा गया है। अरुण माहेश्वरी साहित्य अकादेमी की कार्यकारिणी समिति के सम्मानित सदस्य और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय के नामित सदस्य भी हैं। उनकी संस्था वाणी फ़ाउंडेशन ने इन्द्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय के साथ मिलकर दो दिवसीय हिन्दी महोत्सव (3-4 मार्च 2017) का आयोजन किया जो देश भर में लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है।
वर्ष 2017 का अन्तर्राष्ट्रीय वातायन कविता सम्मान डॉ. हरिओम को प्रदान किया गया। श्री हरिओम 1997 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उत्तर प्रदेश काडर में कलेक्टर जैसे विभिन्न उच्च पदों पर लम्बे समय से कार्यरत हैं। उन्होंने हिन्दी साहित्य से एमए, एमफिल और पीएचडी की उपाधियाँ प्राप्त की हैं। ‘कपास के अगले मौसम में,’ ‘अमेरिका मेरी जान’ और ‘धूप का परचम’ उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं। वाणी प्रकाशन ने हाल ही में ‘दास्ताँ कहते-कहते’ शृंखला के तहत उनकी नई गज़लों का संग्रह ‘ख़्वाबों की हँसी’ प्रकाशित किया है। उन्होंने फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की गज़लों को गाया है जो ‘इंतिसाब’ एलबम के रूप में उपलब्ध है। उन्हें साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान के लिए फ़िराक़ सम्मान, राजभाषा अवार्ड और तुलसी श्री सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
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वाणी प्रकाशन से जुड़ी लेखिका सुश्री स्मिता परिख को इस वर्ष का अन्तर्राष्ट्रीय वातायन संस्कृति सम्मान प्रदान किया गया। मुम्बई निवासी स्मिता परिख रेडियो चैनल एफएम रेनबो पर वरिष्ठ रेडियो जॉकी हैं। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न टीवी चैनलों पर ‘अपने मेरे अपने,’ ‘किट्टू सब जानती है,’ ‘जय माँ वैष्णो देवी,’ ‘बाइस्कोप’ और ‘फिल्मी सरगम’ जैसे लोकप्रिय कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी की है। स्मिता परिख मनोरंजन कंपनी ई-बिज एंटरटेनमेंट की निदेशक हैं। यह कंपनी समय-समय पर विभिन्न मनोरंजन कार्यक्रमों, फैशन शोज और संगीत कार्यक्रमों का आयोजन करती है। वे फरवरी 2017 में आयोजित मुम्बई लिट-ओ-फेस्ट की फेस्टिवल डाइरेक्टर भी रही हैं। वाणी प्रकाशन से प्रकाशित उनकी कविता पुस्तक ‘नज़्में इंतज़ार की’ काफी चर्चित और प्रशंसित हुई है।
लन्दन स्थित ‘वातायन: पोएट्री ऑन साउथ बैंक’ का उद्घाटन 28 नवम्बर 2003 को विलियम ब्लेक के जन्मदिन के अवसर पर प्रसिद्ध लेखक और कैंब्रिज में भाषाशास्त्र के अध्यापक डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव द्वारा किया गया। यह संस्था लगातार ऐसी सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियों का आयोजन करती है जिनमें गैर-अंग्रेजी कवियों, लेखकों को एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच प्रदान किया जाता है और उनकी कृतियों के अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं में अनुवाद की व्यवस्था की जाती है। वर्ष 2004 से इस संस्था ने ‘वातायन पोएट्री अवार्ड’ की शुरुआत की जिसके तहत एक भारतीय लेखक को 2 सप्ताह के लिए आमंत्रित किया जाता है ताकि वे इंग्लैंड स्थित विद्वानों और चिंतकों के सान्निध्य में रहकर विचारों का आदान-प्रदान करें। नई दिल्ली स्थित आई.सी.सी.आर (इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चरल रिलेशंस) वातायन पुरस्कार विजेता के हवाई यात्रा के खर्च का वहन करती है। वातायन संस्था ने कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया है जिनमें इंग्लैंड स्थित कवियों के तीन संचयनों का प्रकाशन मुख्य है। इसके अलावा स्ट्रेटफोर्ड अपोन ओवन स्थित शेक्सपीयर हाउस और अन्य ऐतिहासिक स्थलों पर पोएट्री पिकनिक का आयोजन भी किया जाता है। वातायन संस्था के प्रबंधन के लिए सुयोग्य और कर्मठ विद्वानों/लेखकों की एक पूरी टीम लगातार काम करती है। दिव्या माथुर ‘वातायन’ की संस्थापक अध्यक्ष हैं और सत्येन्द्र श्रीवास्तव, मोहन राणा, अनिल शर्मा, पद्मेश गुप्ता और इस्माइल चुनारा इस संस्था के संस्थापक सदस्य हैं।