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[YS EXCLUSIVE] पेशेवर वकील विनोद बागड़ा खजूर की खेती से कमाते हैं सालाना 4 लाख का मुनाफा

विनोद बागड़ा को साल 2011 में सरकार के राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत अनुदान स्वरूप संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से खजूर के पौधे उपलब्ध करवाए गए थे। उन्होंने खजूर की दो किश्म (बरही व खुनेजी) के 150 पौधे लगाए थे। आज 10 साल बाद वे इसकी उपज से बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं।

[YS EXCLUSIVE] पेशेवर वकील विनोद बागड़ा खजूर की खेती से कमाते हैं सालाना 4 लाख का मुनाफा

Saturday August 21, 2021 , 5 min Read

संत कबीर का एक दोहा है जिसे आप सभी ने अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान जरूर पढ़ा होगा — बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।


खजूर बहुत ही लाभकारी फल होता है। इसका उपयोग मेवे के रूप में भी किया जाता है। खजूर में 3000 कैलोरी उर्जा प्रति किलो होती है। इसमें बहुत से पोषक तत्व जैसे शुगर, कैल्शियम, निकोटिनिक एसिड, पोटाशियम और आयरन होते हैं। खजूर पाम फैमिली का सदस्य हैं, और ये ट्रॉपिकल क्लाइमेटिक कंडीशन में ही उगता हैं।

Khajoor Ki Kheti_Lawyer Vinod Bagra_Parbatsar

खजूर की खेती मुख्य रूप से अरब देशों, इज़रायल और अफ्रीका में की जाती है। ईरान खजूर का मुख्य उत्पादक और निर्यातक देश है। पिछले दशकों में भारत सरकार ने भी काफी प्रयास किए हैं, जिसके तहत खजूर की खेती के क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई है। भारत में राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडू और केरल खजूर के मुख्य उत्पादक राज्य हैं। 


राजस्थान की जलवायु भी लगभग खाड़ी देशों के समान है, और इसी के मद्देनजर राज्य सरकार यहां खजूर की खेती को बढ़ावा दे रही है, लेकिन इसकी पौध लगाकर उससे उपज पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। खजूर की खेती मुश्किल होती है, परन्तु विनोद बागड़ा ने इसे कर दिखाया, और आज वे सालाना इसकी उपज से करीब 4 लाख रुपये का मुनाफा भी कमा रहे हैं।


राज्य के नागौर जिले के परबतसर शहर के रहने वाले विनोद बागड़ा पेशेवर वकील है। वे परबतसर न्यायालय में अपरलोक अभियोजक भी रहे हैं, और क्राइम के मामले देखते है। वे सुबह-शाम का समय खेती व गौ सेवा में देते है। दिलचस्प बात यह है कि विनोद स्नेक कैचर/रेस्क्यूअर (सांप पकड़ने वाले) भी है।

खजूर की खेती की शुरुआत

साल 2011 में सरकार के राष्ट्रीय बागवानी मिशन (National Horticulture Mission) के तहत अनुदान स्वरूप संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से पौधे उपलब्ध करवाए गए थे। उन्होंने खजूर की दो किश्म — बरहीखुनेजी के 150 पौधे लगाए थे। आज 10 साल बाद वे इसकी उपज से बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं।

कैसे करें खजूर की खेती

खजूर की खेती के लिए जुलाई से सितंबर के महिनों में पौधे लगाने चाहिए। एक पौधे से दूसरे पौधे और एक कतार से दूसरी कतार के बीच 8 मीटर की दूरी होनी चाहिए। जिसका मतलब है 8 गुणा 8 का वर्गाकार स्थान इस पौध के लिए चाहिए। पौधों के फूल आने के समय से लेकर फल लगने तक अत्यधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। इसके लिए ड्रिप इरिगेशन बढ़िया साधन है। वहीं ऊपरी तने और फल लगने वाले हिस्से को गर्मी चाहिए होती है।

इसके मीठे फल को चींटियों, पक्षियों और गिलहरियों से बचाने के लिए ढंककर रखना पड़ता है।


खजूर की खेती के लिए वर्ष में एक बार पौधों को खाद डाली जाती है। इसमें पौधों के वर्षभर में एक बार फल लगते है। इसमें नरमादा पौधे होते है, जिनमें परागण क्रिया किसान को खुद करवानी होती हैपौधों में परागण होगा, तो हो खजूर के फल लगेंगे। इसके लिए बगीचे में 10% नर पौधों का होना आवश्यक है। परागण के बाद 4 से 6 महीने के बीच खजूर पककर तैयार हो जाते हैं। वर्तमान में विनोद बागड़ा के खेत में 231 पौधे करीब ढाई एकड़ जमीन पर लगे हुए हैं।


सरकार दे रही सब्सिडी और तकनीकी सहयोग

राज्य सरकार खजूर की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसानों को सिर्फ आयातित और टिश्यू कल्चर से तैयार पौध उपलब्ध कराई जा रही है, बल्कि सब्सिडी और पौध लगाने के बाद तकनीकी सहयोग भी दिया जा रहा है। एक हैक्टेयर में 156 पौधे लगाए जा सकते हैं। वहीं अब सरकार ने आधा हैक्टेयर तक के लिए पौधे देने का प्रावधान शामिल किया है।


सब्सिडी के लिए जिला कृषि अधिकारी के यहां निश्चित प्रारूप में आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ किसान को 25 फीसदी राशि जमा करानी होगी। किसानों को पौध रोपण और तैयारी अधिकारियों की देखरेख में करवाई जाएगी।


राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत खजूर की खेती की परियोजना राज्य के 12 जिलों — बाड़मेर, चूरू, जैसलमेर, सिरोही, श्रीगंगानगर, जोधपुर, हनुमाानगढ़, नागौर, पाली, जालौर, बीकानेर और झुंझुनूं में संचालित की जा रही है।

खजूर के पके हुए फलों को तोड़ते हुए विनोद बागड़ा

खजूर के पके हुए फलों को तोड़ते हुए विनोद बागड़ा

खजूर से कमाई

खुजर के एक पौधे से करीब 4000 से 15000 रुपये तक कि आमदनी सम्भव है। एक पौधे से 80 से 100 किलो खजूर का उत्पादन लिया जा सकता है। यह खजूर बाजार में 100-150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। विनोद बागड़ा के परबतसर में करीब 200 स्थानीय नियमित ग्राहक है, इसके अलावा नजदीकी शहर किशनगढ़ में भी एक फल विक्रेता इनसे खजूर की उपज खरीदता है। लोगों में जागरूकता के अभाव के कारण खजूर को कम खरीदा जाता है।


खजूर की खेती से वर्षभर में विनोद बागड़ा को करीब 4 लाख रुपये की आमदनी प्राप्त होती है। विनोद का कहना है कि भविष्य में उन्हें इस खेती से करीब 9 लाख रुपये तक कि वार्षिक आमदनी प्राप्त हो सकती है। खजूर से विभिन्न प्रसंस्कृत उत्पाद जैसे कि छुहारा, कैण्डी आदि भी बनायी जा सकती है, जिसकी मांग हमेशा रहती है।

खजूर का बाजार

मिश्र, ईरान, सऊदी अरब, पाकिस्तान इराक मिलकर खजूर का लगभग 75 प्रतिशत तक उत्पादन करते हैं। यदि इसमें अल्जीरिया, संयुक्त अरब अमीरात, सूडान, ओमान मोरक्को को सम्मिलित कर लिया जाए तो यह आंकड़ा 90 प्रतिशत तक पंहुच जाता है। विश्व में खजूर का उत्पादन 2000 में 5.4 मिलियन टन था, जो बढ़कर 2014 में 8.46 मिलियन टन हो गया है।

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