शराब पीकर गाड़ी चलाने से रोकने के लिए शुरू हुआ 'ड्राइव सेफ डैडी' कैंपेन
एक सर्वे के मुताबिक दिल्ली जैसे शहर में आधे से भी अधिक टैक्सी और कैब ड्राइवर रात में नशे में गाड़ी चलाते हैं। इस प्रवत्ति पर रोक लगाने और सड़क पर चलने वालों की जान सुरक्षित रखने के लिए एक एनजीओ ने ‘ड्राइव सेफ डैडी’ नामक एक अनोखा अभियान शुरू किया है।
एनजीओ द्वारा जारी बयान के मुताबिक इस पहल का उद्देश्य ड्राइवरों के साथ जुड़ना और विशेषकर त्यौहारों के दौरान सड़क पर सुरक्षित ड्राइविंग की आवश्यकता और उसके महत्व पर उन्हें संवेदनशील बनाना है।
भारत में हर साल 90,000 लोगों की मौत शराब पीकर गाड़ी चलाने से होती है। एक सर्वे के मुताबिक दिल्ली जैसे शहर में आधे से भी अधिक टैक्सी और कैब ड्राइवर रात में नशे में गाड़ी चलाते हैं। इस प्रवत्ति पर रोक लगाने और सड़क पर चलने वालों की जान सुरक्षित रखने के लिए एक एनजीओ ने ‘ड्राइव सेफ डैडी’ नामक एक अनोखा अभियान शुरू किया है। समय-समय पर लोगों को शराब पीकर गाड़ी न चलाने के लिए प्रोत्साहित करने वाले‘कम्युनिटी अगेन्स्ट ड्रंकन ड्राईविंग’ (CADD) नामक एनजीओ की तरफ से इस पहल की शुरुआत की गई है।
इस अभियान में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ छात्र शामिल हैं और वे पूरे शहर में इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड, सीएनजी गैस पंपों पर ड्राइवरों के साथ बातचीत करेंगे। CADD के फाउंडर और रोड सेफ्टी स्पेशलिस्ट प्रिंस सिंहल बताते हैं, 'दिवाली के दौरान हर साल घातक दुर्घटनाओं की दर में करीब 22-25 प्रतिशत का इजाफा हो जाता है और शराब की बिक्री बढ़ जाती है।' उन्होंने कहा कि सुरक्षित गाड़ी चलाने की आवश्यकता के प्रति आम लोगों को जागरूक बनाने के लिए यह अभियान चलाया गया है।
एनजीओ द्वारा जारी बयान के मुताबिक इस पहल का उद्देश्य ड्राइवरों के साथ जुड़ना और विशेषकर त्यौहारों के दौरान सड़क पर सुरक्षित ड्राइविंग की आवश्यकता और उसके महत्व पर उन्हें संवेदनशील बनाना है। एनजीओ ने बीते साल 10 सितंबर से लेकर 10 दिसंबर तक दिल्ली के 10,000 कैब ड्राइवरों का अध्ययन किया गया था। CADD दिल्ली पुलिस के साथ बीते 15 सालों से सम्मिलित होकर काम कर रहा है। सर्वे में यह बात निकलकर सामने आई थी कि 55.6% कैब ड्राइवर नशे में गाड़ी चलाते हैं।
इतना ही नहीं 62.1 प्रतिशत ड्राइवरों ने खुद स्वीकार किया कि वे गाड़ी चलाते वक्त शराब का सेवन करते हैं। इसमें से 55 फीसदी ड्राइवरों ने माना कि शराब पीकर गाड़ी चलाते वक्त वे सतर्क रहते हैं, लेकिन उनका मानना था कि थोड़ी शराब पीकर गाड़ी पीने में कोई बुराई नहीं है।सर्वे में यह भी खुलासा हुआ कि एप बेस्ड टैक्सी, रेडियो टैक्सी और काली-पीली टैक्सी को संचालित करने वाली कंपनियां कभी अपने ड्राइवर्स की चेकिंग नहीं करती हैं।
सर्वे के मुताबिक 90 फीसदी ड्राइवर्स की कभी चेकिंग ही नहीं होती है।दिल्ली के जिन इलाकों में यह सर्वे कराया गया था उसमें आईजीआई एयरपोर्ट, दिल्ली के सभी रेलवे स्टेशन, कनॉट प्लेस, नेहरू प्लेस, ग्रेटर कैलाश और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी जैसे इलाके शामिल थे।
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