पक्का मकान भी बना, घर में खुशियाँ भी आयीं
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
छत्तीसगढ़ में दूसरों से भिक्षा मांग अपना पेट भरना जिनकी नियति थी, उन अति पिछड़े एवं सुविधा-साधनों से विहीन परिवारों के जीवन में 'प्रधानमंत्री आवास योजना' लेकर आयी कई नये बदलाव...
शासन के द्वारा इन परिवारों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत पंजी बद्ध कर लिया गया था। जैसे ही इनके आवास निर्माण का काम शुरू हुआ उन्हे इसमें रोजगार भी मिलने लगा।
यह कहानी है जिला मुख्यालय कबीरधाम से 40 दूर स्थित ग्राम पंचायत बिडोरा के आश्रित ग्राम नूनछापर में निवास करने वाले घुमन्तु समुदाय के लोगों की । ये ऐसे समुदाय की कहानी है जिनका जीवन - यापन भिक्षा मांगकर होता है। समाज के अति पिछडे एवं सुविधा व साधन विहीन परिवारों के जीवन में प्रधानमंत्री आवास मिलने से आये बदलाव की यह कहानी है। घर-घर जाकर दूसरो से भिक्षा मांग कर अपना पेट भरना इनकी नियति थी। अपना खुद का पक्का मकान तो मानो इनके लिये एक स्वर्णिम सपना था। नूनछापर में रहने वाले ऐसे 10 परिवार शासन की योजनाओं से हुये लाभ की कहानी को यथार्थ मे सिद्ध करते है। ग्राम सभा बिड़ौरा द्वारा सर्वसमति से अपने गांव के इन पिछडे़ तपके के लोगो को लाभ देने के लिये प्रस्ताव किया।
जिला प्रशासन ने ग्राम सभा के प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुये शत्रुहन गिर पिता विपत गिर, मोहित पिता प्रभु, प्रभु पिता विपत, राजकुमार, मोहन गिर गोस्वामी, अघनु पिता विपत गिरि, भुवनेश्वर पिता अधनु, धुरगी, विपत गिर एवं भारती गिर पिता विपत गिर को मकान स्वीकृत कर दिया गया। प्रत्येक परिवारों को 1.30 लाख की लागत से प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किया गया। अब इनका अपना खेद का पक्का छत बनाने को सपना मानो सकार होने के कगार पर था। शासन के द्वारा इन परिवारों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत पंजी बद्ध कर लिया गया था। जैसे ही इनके आवास निर्माण का काम शुरू हुआ उन्हे इसमें रोजगार भी मिलने लगा। समी परिवारों को 95-95 दिवस का रोजगार मिल गया और साथ में मिला लगभग 15-15 हजार की मजदूरी।
आवास निर्माण के लिये लगने वाले जरूरी सामानों को खरीदने में कोई परेशानी न हो इस लिये उनके बैंक खाते में सीधे प्रथम किस्त की राशि 52 हजार रूपये दे दी गई । आर्थिक मदद मिलते ही इनके सपनों के घरों ने आकार लेना प्रारंभ कर दिया और देखते ही देखते इनका घर लेंटल लेवल तक खड़ा हो गया। पुनः इन्हे दूसरी किस्त की राशि 52 हजार रूपये मिल गई और इन्होने अपना मकान बनाकर तैयार कर लिया। मकान पूरा होने पर इन्हे अंतिम किस्त की राशि 26 हजार रूपये मिल गया। मकान बनते ही इन्हे और भी सौगाते शासन द्वारा मिलने लगी।
जैसे स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय, पं.दीन दयाल ग्राम ज्योति योजना के तहत विधुत कनेक्शन, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गैस-चूल्हा, मुख्यमंत्री खाद्यान योजना से राशन सामाग्री,बेहतर स्वास्थ सुविधा हेतु 50 हजार रूपये तक मुफ्त इलाज आदि शासन की विभिन्न योजनाओं में इन परिवारों के जीवन को खुशियों से भर दिया कभी अलग-अलग स्थानों में रहकर यह परिवार अपना जीवन - यापन करते थे किन्तु आज पक्के आवास बन जाने से इनके जीवन में एक स्थायीत्व आ गया है। इन परिवारों ने कभी सोचा भी नही था कि यह कभी एक साथ एक ही स्थान पर निवास कर सकेगें। आज यह सभी परिवार शासन को कोटि-कोटि धन्यवाद दे रहे है।
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