पूरा शहर मनाएगा दिवाली, ये खिलाएंगे गरीबों को खाना
बारिश और त्योहार के सीजन की वजह से उन्हें भूखे रह जाने का डर सता रहा था, लेकिन स्वाति महेश कीर्ति द्वारा शुरू किए ग्रुप ने एक छोटी सी पहल करके इन गरीबों को भोजन दिलाने का काम किया है।
स्वाति का मकसद है कि त्योहारों के मौके पर जरूरतमंदों को खाना जरूर मिलना चाहिए। स्वाति ने अपने पति और बेटे के साथ मिलकर यह काम शुरू किया था। धीरे-धीरे उनके साथ और भी लोग जुड़ गए।
पूरे शहर में जब अधिकतर लोग छुट्टियां मना रहे होंगे वहीं स्वाति और उनके वॉलंटियर का ग्रुप मेहनत करके इन जरूरतमंदों को खाना पहुंचाने की कोशिश कर रहा होगा। इस ग्रुप में हर तरह के लोग हैं।
पिछले कुछ दिनों से बेंगलुरु में बारिश हुई है और इस बारिश से लोगों को कई तरह की मुश्किलें भी उठानी पड़ रहीं। इस हाल में सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को होती है जिनके पास न रहने को छत है और न पेट भरने का कोई नियमित साधन। दिवाली के मौसम में जहां एक ओर पूरे शहरवासी पटाखे छुड़ाकर और दिये जलाकर दिवाली मना रहे होंगे वहीं एक परिवार के कुछ लोग इन बेसहारा लोगों को भोजन और जरूरी चीजें देकर अपने त्योहार की खुशियां इन गरीब लोगों के साथ साझा कर रहे होंगे। मंदिर के पास भीख मांगने वाली एक 74 साल की महिला बताती हैं कि छुट्टियों के दिन खाने की दिक्कत नहीं आती, लेकिन छुट्टी होने के बाद वाली रात में परेशानी हो जाती है।
बेंगलुरु मिरर की खबर के मुताबिक, बारिश और त्योहार के सीजन की वजह से उन्हें भूखे रह जाने का डर सता रहा था, लेकिन स्वाति महेश कीर्ति द्वारा शुरू किए ग्रुप ने एक छोटी सी पहल करके इन गरीबों को भोजन दिलाने का काम किया है। स्वाति का मकसद है कि त्योहारों के मौके पर जरूरतमंदों को खाना जरूर मिलना चाहिए। स्वाति ने अपने पति और बेटे के साथ मिलकर यह काम शुरू किया था। धीरे-धीरे उनके साथ और भी लोग जुड़ गए। स्वाति एक हाउसवाइफ हैं और अपने परिवार को होटेल के बिजनेस में भी हाथ बंटाती हैं। स्वाति ने त्योहारों के समय जरूरतमंदों तक सहायता पहुंचाने के बारे में सोचा। वह कहती हैं, 'मैंने इसकी शुरुआत अपने पति, बेटे और कुछ दोस्तों के साथ की थी। धीरे-धीरे और लोगों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई और अब हम एक टीम हैं।'
सोमवार जब शहर में बारिश हो रही थी तो इस समूह के लोगों ने केआर मार्केट और शिवाजीनगर में खाने के पैकेट बांटे। हालांकि बारिश की वजह से कई लोग दूसरी जगहों पर चले गए थे। इसलिए 1,200 पैकेट्स में से लगभग 300 बच गए। खाने के पैकेट बांटने निकले एक सामाजिक कार्यकर्ता सुलेमान ने बताया कि वह हर दिन टेक कंपनियों से उनके सीएसआर के तहत खाना लाकर लोगों में बांटते हैं। उन्होंने बताया कि जलभराव की वजह से वहां से खाना आ नहीं सका। ऐसे में स्वाति की टीम से आने वाले खाने के पैकेट्स ने झुग्गियों में रहने वाले लोगों को काफी मदद पहुंचाई है।
पूरे शहर में जब अधिकतर लोग छुट्टियां मना रहे होंगे वहीं स्वाति और उनके वॉलंटियर का ग्रुप मेहनत करके इन जरूरतमंदों को खाना पहुंचाने की कोशिश कर रहा होगा। इस ग्रुप में हर तरह के लोग हैं। अधिकतर तो स्टूडेंट्स हैं, लेकिन कुछ आईटी प्रोफेशनल और कुछ उद्यमी भी हैं। इस टीम में एक जादूगर महेश भी हैं। नाइक जादू दिखाने का काम करते हैं। इस ग्रुप से जुड़ने के बाद नाइक ने कहा, 'हर एक भूखे इंसान को भोजन देने पर जो खुशी मिलती है न, वही असली जादू है।' मार्केटिंग उद्यमी विद्या ने कहा कि यह उनका पहला प्रयास है, लेकिन वे इसके लिए काफी उत्साहित हैं।
स्वाती बताती हैं कि वे उन लोगों के लिए काम कर रही हैं जो समाज द्वारा तिरस्कृत कर दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि जिन गरीबों के घर हैं और जिन्हें कोई शेल्टर मिल जाता है उन्हें तो किसी न किसी तरह से मदद मिल जाती है, लेकिन जो लोग सड़कों पर अपनी जिंदगी बिताते हैं उनका कोई नहीं होता। स्वाती पूरे शहर में लगभग 1200 लोगों को खाना खिलाने की योजना बना रही हैं। वह कहती हैं कि अगर कोई इस ग्रुप से जुड़कर काम करना चाहे तो ये अच्छी बात होगी, लेकिन अगर कोई खुद से भी ऐसी पहल करता है तो भी अच्छी बात है। इस टीम में सॉफ्टवेयर इंजिनियर क्रुतिका शेट्टी भी काम कर रही हैं। इसके अलावा कुछ इंजिनियरिंग स्टूडेंट्स भी ग्रुप से जुडे़ हुए हैं।
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