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24 दिसंबर: राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के मौके पर जानें अपने अधिकार

24 दिसंबर: राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के मौके पर जानें अपने अधिकार

Tuesday December 24, 2019 , 3 min Read

24 दिसंबर के दिन को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में जाना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता आंदोलन के महत्व और प्रत्येक उपभोक्ता को उसके अधिकारों और ज़िम्मेदारियों के प्रति जागरूक बनाने की आवश्यकता को रेखांकित करना है।


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सांकेतिक फोटो (Shutterstock)



आपको बता दें कि 24 दिसम्बर को ही हमारे देश का उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में लागू हुआ था। इस अधिनियम का उद्देश्य ख़राब सामान, त्रुटिपूर्ण सेवाओं और अनुचित व्यापार परिपाटियां जैसे विभिन्न प्रकार के शोषण से उपभोक्ताओं को सुरक्षा प्रदान करना है।


सन् 1986 में इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम विधेयक पारित हुआ था। इसके बाद इस अधिनियम में 1991 तथा 1993 में संशोधन किये गए। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम को अधिकाधिक कार्यरत और प्रयोजनपूर्ण बनाने के लिए दिसम्‍बर 2002 में एक व्‍यापक संशोधन लाया गया और 15 मार्च 2003 से लागू किया गया। परिणामस्‍वरूप उपभोक्‍ता संरक्षण नियम, 1987 में भी संशोधन किया गया और 5 मार्च 2004 को अधिसूचित किया गया था। 


भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस घोषित किया है, क्योंकि भारत के राष्‍ट्रपति ने उसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधिनियम को स्वीकारा था।


इसके अलावा 15 मार्च को प्रत्‍येक वर्ष विश्‍व उपभोक्‍ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। यह दिन भारतीय ग्राहक आन्दोलन के इतिहास में सुनहरे अक्षरो में लिखा गया है। भारत में यह दिवस पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया।





ग्राहक संरक्षण कानून से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य यह है की किसी भी शासकीय पक्ष में इस विधेयक को तैयार नहीं किया। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने प्रथमत: इस विधेयक का मसौदा तैयार किया। 1979 में ग्राहक पंचायत के अर्न्तगत एक कानून समिति का गठन हुआ। ग्राहक संरक्षण कानून समिति के अध्यक्ष गोविन्ददास और सचिव सुरेश बहिराट थे। शंकरराव पाध्ये एड. गोविंदराव आठवले, सौ. स्वाति शहाणे इस समिति के सदस्य थे।

उपभोक्ताओं के अधिकार

  • जीवन एवं संपत्ति के लिए हानिकारक सामान और सेवाओं की बिक्री के खिला़फ सुरक्षा का अधिकार।
  • खरीदी गई वस्तु की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, स्तर और मूल्य, जैसा भी मामला हो, के बारे में जानकारी का अधिकार, ताकि उपभोक्ताओं को गलत व्यापार पद्धतियों से बचाया जा सके।
  • जहां तक संभव हो उचित मूल्यों पर विभिन्न प्रकार के सामान तथा सेवाओं तक पहुंच का आश्वासन।
  • उपभोक्ताओं के हितों पर विचार करने के लिए बनाए गए विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्व का अधिकार।
  • अनुचित व्यापार पद्धतियों या उपभोक्ताओं के शोषण के विरुद्ध निपटान का अधिकार।
  • सूचना संपन्न उपभोक्ता बनने के लिए ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का अधिकार।
  • अपने अधिकार के लिए आवाज़ उठाने का अधिकार।


(सौजन्य से: Wikipedia)