मौजूदा वक्त में MSMEs की दो अहम समस्याएं क्या हैं? सर्वे से आया सामने
सर्वे में 5600 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों ने भाग लिया.
मांग में गिरावट और उच्च परिवहन लागत के कारण कच्चे माल (Raw Material) की कीमतों में वृद्धि पिछले 27 महीनों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की प्रमुख समस्या बनकर उभरी हैं. यह बात भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट (BYST) के एक सर्वेक्षण से सामने आई है. सर्वे में यह भी कहा गया है कि हालांकि बाजार स्थिर हो गए हैं. सर्वे में भाग लेने वाली लगभग 57 प्रतिशत यूनिट, अपने मर्चेंडाइज के लिए नए ऑर्डर प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, BYST की फाउंडिंग व मैनेजिंग ट्रस्टी लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेशन का कहना है कि उपभोक्ताओं की कम खरीद शक्ति के कारण मांग में कमी आई है और ईंधन की कीमतों में वृद्धि से उच्च परिवहन लागत के कारण कच्चे माल की लागत में वृद्धि हुई है.
5600 से अधिक MSME ने लिया हिस्सा
सर्वे में 5600 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterpr) ने भाग लिया. रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि कोविड-19 का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन कई कारकों के कारण आर्थिक स्थिति अभी पूरी तरह से स्थिर नहीं हुई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सर्वे में शामिल करीब 27 प्रतिशत उद्यमियों ने कहा है कि उन्हें समय पर कर्ज की किस्त चुकाने में मुश्किल हो रही है. रिपोर्ट के अनुसार, 53 प्रतिशत एमएसएमई ने कहा कि वे कुछ पहलुओं में महामारी से पहले के दौर की तुलना में बेहतर कर रहे हैं.
अर्थव्यवस्था में MSME का योगदान दोगुना करना चाहती है सरकार
सरकार ने देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम क्षेत्र (MSME) की पूर्ण क्षमता का उपयोग कर अर्थव्यवस्था में योगदान को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. यह बात दिसंबर माह की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा (Bhanu Pratap Singh Verma) ने कही थी. देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में MSME (Micro, Small and Medium Enterprises) क्षेत्र का योगदान फिलहाल एक-तिहाई है. एमएसएमई राज्य मंत्री वर्मा ने कहा था कि मंत्रालय, एमएसएमई क्षेत्र के समक्ष बाधाओं को दूर कर इस दिशा में काम कर रहा है.
MSMEs को समर्थन देने के लिए कुछ अहम पहल
सरकार ने देश में MSMEs को समर्थन देने के लिए हाल ही में कई पहल की हैं, जिनमें से कुछ इस तरह हैं...
- MSME सहित अन्य कारोबारों के लिए 5 लाख करोड़ रुपये का कोलेटरल फ्री ऑटोमेटिक लोन
- MSME आत्मनिर्भर भारत कोष के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश
- MSME के वर्गीकरण के लिए नए संशोधित मानदंड
- 200 करोड़ रुपये तक की खरीद के लिए कोई ग्लोबल टेंडर नहीं
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए MSME के लिए "उद्यम रजिस्ट्रेशन"
- MSME की शिकायत निवारण और हैंडहोल्डिंग समेत ई-गवर्नेंस के कई पहलुओं को कवर करने के लिए जून 2020 में ऑनलाइन पोर्टल "चैंपियंस" लॉन्च
- 2 जुलाई, 2021 से खुदरा और थोक व्यापारों को MSMEs में शामिल करना
- MSME के स्टेटस में ऊपर की ओर बदलाव के मामले में गैर-कर लाभ को 3 साल के लिए बढ़ाया गया
Edited by Ritika Singh