टीवी रिपेयर करने वाले ने खड़ी कर दी 135 करोड़ रुपए टर्नओवर वाली कंपनी, कैसे?
रमन भाटिया ने इलेक्ट्रॉनिक्स मरम्मत की दुकान में काम करने से लेकर अखबार बेचने और यहां तक कि रिक्शा चलाने तक, हर तरह की नौकरियां की. आज, 30 वर्षों बाद, वे एक NSE-लिस्टेड 135 करोड़ रुपये की टर्नओवर वाली कंपनी के मालिक हैं. आइए जानते हैं कि आखिर उन्होंने ये सब किया कैसे?
Servotech Power Systems Pvt Ltd के फाउंडर रमन भाटिया (अब 45) ने 1991 में अपनी आंत्रप्रेन्योरशिप यात्रा शुरू की थी. हालांकि, उन्होंने अच्छी तरह से जमे-जमाए फैमिली बेजिनेस में शामिल होने का आसान रास्ता नहीं चुना.
इसके बजाय, 15 साल की उम्र में, रमन अजीबोगरीब काम कर रहे थे. आज, तीन दशक बाद, वह एक NSE-लिस्टेड कंपनी चलाते हैं जो एडवांस सोलर प्रोडक्ट्स, चिकित्सा उपकरणों के साथ-साथ LED लाइट्स आदि बनाने, खरीदने और बेचने का कारोबार करती है.
कंपनी ने हाल ही में हाई-टेक EV चार्जिंग टूल के लॉन्च के साथ EV (इलेक्ट्रिक व्हीकल) मार्केट में कदम रखा है.
YourStory के साथ एक इंटरव्यू में, रमन ने सर्वोटेक को शुरू करने और भविष्य की योजनाओं को लेकर अपनी बात रखी.
सेल्फ-मेड शख़्सियत
साइकिल मैन्युफैकचरिंग में एक मजबूत फैमिली बिजनेस बैकग्राउंड से होने के बावजूद, रमन ने सफलता के लिए अपना रास्ता खुद बनाने का फैसला किया.
एक इलेक्ट्रॉनिक्स मरम्मत की दुकान में काम करने से लेकर अखबार बेचने और यहां तक कि रिक्शा चलाने तक, रमन ने हर तरह की नौकरियों की कोशिश की.
90 के दशक की शुरुआत में, ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, रमन ने वीडियोकॉन में नौकरी करना शुरू कर दिया क्योंकि वह इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को समझना चाहते थे. हालांकि, उन्हें जो सैलरी ऑफर की गई, उसे जानकर वह निराश थे और उन्होंने इंटरव्यू नहीं दिया.
वह कहते हैं, “मैं ऑफिस में बैठकर अपनी बारी आने का इंतज़ार कर रहा था. थोड़ी देर बाद मैं रिसेप्शनिस्ट के पास यह समझने के लिए गया कि कंपनी कर्मचारी को सबसे अधिक सैलरी कितनी देती है. उसने एक आदमी की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनकी सैलरी सबसे ज्यादा है और उन्हें प्रति माह 8,200 रुपये मिलेंगे. तो मैंने बस मन ही मन सोचा- क्या मेरी ग्रोथ केवल आठ हजार तक ही सीमित रहेगी? मैंने अपना सामान पैक किया और ऑफिस से निकल गया."
रमन की इलेक्ट्रॉनिक्स में गहरी रुचि थी और उन्होंने रिपेयरिंग की दुकान में काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने पिता से टीवी रिपेयर का बिजनेस शुरू करने के लिए उन्हें अपनी दुकान में एक छोटी सी जगह देने का अनुरोध किया. उनके पिता मान गए और रमन ने अपना काम शुरू कर दिया.
यह साल 1991 की बात थी.
इसके बाद रमन ने स्टेबलाइजर्स बनाने की शुरुआत की. उस समय, इनवर्टर की कीमत ने उपभोक्ताओं को, यहां तक कि रिटेल स्टोर के मालिकों को भी, उन्हें खरीदने से रोक दिया था. फिर उन्होंने अपनी स्किल्स का इस्तेमाल किया और अपने दोस्तों की मदद से एक इन्वर्टर तैयार किया
यह उनकी व्यावसायिक यात्रा का पहला कदम था. क्योंकि सिर्फ 'मौके से बने' प्रोडक्ट ने उन्हें नए बिजनेस अवसरों की खोज करने के लिए प्रेरित किया.
रमन बताते हैं, “जो कोई भी हमारी दुकान पर आता था, वह उस छोटे इन्वर्टर बॉक्स पर फिदा हो जाता था और मेरे दोस्त इसे यह कहते हुए ले जाते थे कि उन्हें अपनी दुकान में इसकी आवश्यकता है. मैंने फिर एक और बनाया लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान, मैंने सोचा कि यह एक अच्छा बिजनेस हो सकता है. मैंने फिर बेचने के उद्देश्य से इनवर्टर बनाना शुरू किया और इसे 8,000 रुपये प्रति नग के हिसाब से बेचा.“
1994 तक, रमन ने 30 लाख रुपये बना लिए थे, जो न केवल उनके लिए बल्कि उनके पूरे परिवार के लिए सबसे बड़ा मील का पत्थर था.
वे कहते हैं, "उस दिन मुझे लगा कि नौकरी न करने का मेरा निर्णय बेहद सही था."
टेक्नोलॉजी से बढ़ाया बिजनेस
रमन के सबसे ज्यादा बिकने वाले इनवर्टर ने उन्हें बिजनेस को व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी और उन्होंने सुल्तानपुरी नई दिल्ली में भाटिया इलेक्ट्रॉनिक्स (Bhatia Electronics) के नाम से अपनी खुद की दुकान खोली. हालांकि, ज़िंदगी हमेशा अपनी योजनाओं के अनुसार नहीं चलती, और एक साल पहले उनके द्वारा बेचे गए सभी इनवर्टर फैल होने लग गए.
हालांकि, उन्होंने बेहतर इनवर्टर बनाने के लिए जल्दी से कोच्चि के एक इंस्टीट्यूट से इन्वर्टर बनाने की नई टेक्नोलॉजी को जाना. इसके बाद उन्होंने Servotech ब्रांड के तहत एक नई इन्वर्टर रेंज लॉन्च की.
90 के दशक के मध्य से, रमन ने अपने बिजनेस को बढ़ाना शुरू कर दिया. 1996 तक, उन्होंने रेवेन्यू के मामले में अपने पिता के बिजनेस को पीछे छोड़ दिया और 2003 में, बिजनेस को कॉर्पोरेट रुख हुए,
नाम से एक नई फर्म की शुरुआत की.2004 से 2006 के बीच, रमन ने अपने इनवर्टर, स्टेबलाइजर्स और यूपीएस बेचने के लिए BigBazaar, Spencers, Croma, More और बैंकिंग संस्थानों जैसे Kotak, HDFC आदि के साथ हाथ मिलाकर रिटेल बिजनेस में कदम रखा.
वे बताते हैं, “बिजनेस ठीक तरह से चल रहा था लेकिन 2008 में मंदी ने भारत को प्रभावित किया. उस समय हर कोई 'पैसे बचाने' की स्थिति में था और कोई भी किसी भी चीज़ पर एक पैसा भी खर्च नहीं करना चाहता था. मैंने ऐसे प्रोडक्ट्स लाकर इस अवसर का फायदा उठाने की कोशिश की जो कंपनियों को बिजली बचाने में मदद करेंगे, बदले में पैसे बचाएंगे और इस तरह मैंने LED (light emitting diode) और VFD (variable frequency drive) में कदम रखा.“
इस विस्तार ने रमन के लिए नए अवसर खोले और उसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा.
2014 तक Servotech ने स्कूलों में यूपीएस लगाने के लिए सरकार के साथ भागीदारी की. रमन कहते हैं कि उन्होंने सोलर रूफ टॉप लगाने के लिए (अब) तेलंगाना, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों की सरकारों के साथ भागीदारी की.
वे कहते हैं, "मैंने अपने बिजनेस की हर कैटेगरी में प्रोडक्ट बनाए और इससे मैं पर्याप्त पैसा कमा रहा था लेकिन एक बात है जो मैंने लगातार खुद से पूछी - आगे क्या और क्यों? फिर मैंने पर्यावरण के लिए कुछ करने का सोचा और बिजनेस को ग्रीन एनर्जी में आगे बढ़ाया. अब मेरा मिशन इस प्लेनेट को हरा-भरा बनाना है ताकि जीवन में सुधार हो और इस तरह मैंने 2014 में ही सौर ऊर्जा में कदम रखा.”
सर्वोटेक ने देश का पहला पोर्टेबल सोलर रूफटॉप सिस्टम भी तैयार किया है, जिसका उद्घाटन अप्रैल में गुजरात के गांधीनगर में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर परिसर में किया गया था. रमन का कहना है कि नई दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में भी यही प्रोजेक्ट चल रहा है. रमन के अनुसार, ये लैंप भारत और विदेशों दोनों में सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाते हैं. भारत में, इन लैंप्स को स्वर्ण मंदिर, अमृतसर, अयोध्या में राम मंदिर और अन्य जगहों पर देखा जा सकता है.
2022 में, सर्वोटेक ने ईवी चार्जर्स में कदम रखा और लोकल ईवी चार्जिंग मशीनें तैयार करने के लिए ब्रिटेन की कंपनियों के साथ करार किया. रमन का दावा है कि कंपनी के चार्जर्स इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के कुछ पेट्रोल पंपों में लगे हैं.
ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर के जरिए बचा रहे ज़िंदगियां
महामारी की दूसरी लहर के बीच, रमन को अपने एक दोस्त के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर (oxygen concentrators) खोजने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा, जो COVID-19 के कारण गंभीर था. जबकि वह एक की व्यवस्था करने में सक्षम थे, उस कॉन्सेंट्रेटर की क्वालिटी ने उन्हें चौंका दिया.
रमन बताते हैं, "वह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उस रोगी के लिए एक जीवन सहायक मशीन थी लेकिन इसकी क्वालिटी सबसे खराब थी. आसपास की कमी और उपलब्ध क्वालिटी को देखते हुए, मैंने अपने जानकारों से बात करने की कोशिश की, जो हम कर सकते थे, हमने किया.”
इसके बाद रमन ने 2021 में ही गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बनाने के लिए IIT Jammu और DRDO (Defence Research Development Organisation) से संपर्क किया. 5 लीटर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 5 LPM ऑक्सीजन तैयार करता है और 24 घंटे लगातार ऑक्सीजन सप्लाई प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
रमन ने 2020 की महामारी के बीच एक मिलियन यूरो के अनुदान के माध्यम से UV-C लाइट भी तैयार की. UV-C हैंडहेल्ड डिसइंफेक्शन लैंप एक रिचार्जेबल और पोर्टेबल कीटाणुनाशक उपकरण है जिसे सतहों को साफ, रोगाणु मुक्त और निष्फल बनाने के लिए 99 प्रतिशत वायरस और कीटाणुओं को मारकर तेजी से और प्रभावी स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
बाजार का हाल और भविष्य की योजनाएं
IBEF के अनुसार, भारतीय अक्षय ऊर्जा (renewable energy) क्षेत्र दुनिया का चौथा सबसे आकर्षक अक्षय ऊर्जा बाजार है. जैसा कि भारत अपनी ऊर्जा मांग को अपने दम पर पूरा करना चाहता है, जो 2040 तक 15,820 TWh तक पहुंचने की उम्मीद है. अक्षय ऊर्जा इसमें बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. सरकार की योजना 2030 तक 523 गीगावॉट (हाइड्रो से 73 गीगावॉट सहित) की अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की है.
रमन इस अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं क्योंकि वे कहते हैं, "जाने से पहले कुछ अच्छा करके जाना है." हालांकि वह टेक्नोलॉजी अपनाने और मैनपावर खोजने की चुनौतियों के बारे में भी बात करते हैं. उन्होंने अंत में कहा कि उनका लक्ष्य सर्वोटेक को हरित जीवन जीने के लिए अधिक हरित ऊर्जा का उत्पादन करने में एक मजबूत भूमिका निभाना है.