अपने कार्बन क्रेडिट बेच कर 29 करोड़ कमा चुकी है दिल्ली मेट्रो
दिल्ली मेट्रो रेल कॉपोर्रेशन प्रदूषण को नियंत्रित करने में न सिर्फ़ देश और दुनिया में अग्रणी है, अपनी कार्बन क्रेडिट को अमीर मुल्कों को बेचकर राजस्व भी काम रही है.
पर्यावरण को बचाने और प्रदूषण को नियंत्रित करने में दिल्ली मेट्रो रेल कॉपोर्रेशन सभी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में सबसे आगे है. जलवायु परिवर्तन के लिहाज से तय मानकों के मुताबिक परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में दिल्ली मेट्रो शुरू से आगे रहा है.
केंद्रीय परियोजनाओं को आगे बढाते हुए डी.एम.आर.सी ऊर्जा की बचत कर कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में सफल रही है. पर्यावरण को स्वच्छ रखने के अपने इस प्रयास से उसने कार्बन क्रेडिट भी अर्जित किया है.
बता दें कि 2007 में दिल्ली मेट्रो विश्व की पहली मेट्रो या रेल परियोजना बनी, जिसे क्लीन डेवलपमेंट मेकेनिज्म के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ में रजिस्टर किया गया था. इसके बाद से दिल्ली मेट्रो अपने रीजनरेटिव ब्रेकिंग प्रोजेक्ट के लिए कार्बन क्रेडिट्स क्लेम करने में सक्षम हो सकी. क्योटो प्रोटोकॉल के तहत एक प्रोजेक्ट-आधारित ग्रीन हाउस गैस आफसेट मेकेनिज्म निम्न और मध्यम आय वाले देशों में निजी क्षेत्रों में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने वाले प्रोजेक्ट्स से कार्बन क्रेडिट्स क्रय करने की अनुमति देता है. यह प्रयास क्योटो प्रोटोकॉल के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय उत्सर्जन के लक्ष्यों को पूरा करने के प्रयासों का एक हिस्सा है.
वैश्विक पहल जैसे पेरिस समझौते इत्यादि के कारण कार्बन क्रेडिट्स की मांग बढ़ी है. इस पहल पर काम करते हुए दिल्ली मेट्रो रेल कॉपोर्रेशन (DMRC) ने वर्ष 2012 से 2018 के बीच 3.55 मिलियन कार्बन क्रेडिट्स की बिक्री से 19.5 करोड़ रु. की कमाई की है. अपने 3.55 मिलियन क्रेडिट्स को डीएमआरसी ने अंतरराष्ट्रीय खरीदारों जैसे, मैसर्स साउथ पोल, स्विटजरलैंड; मैसर्स समिट एनर्जी सर्विसेस, संयुक्त राज्य अमेरिका और मैसर्स ईवीआई इंटरनेशनल, सिंगापुर को बेचा है जिनके साथ वह एमिशन रिडक्शन परचेज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करके बिक्री करने में सफल रही है. शुरुआत से अब तक डीएमआरसी को कार्बन क्रेडिट की बिक्री से कुल 29.05 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हो चुका है.
वर्ष 2015 से, दिल्ली मेट्रो भारत में अन्य मेट्रो सिस्टम्स के लिए सीडीएम कंसल्टेंसी सेवाएं भी उपलब्ध करा रही है. गुजरात मेट्रो, मुंबई मेट्रो और चेन्नई मेट्रो ने पहले ही अपनी परियोजनाओं को दिल्ली मेट्रो के गतिविधि कार्यक्रम के तहत पंजीकृत कराया है, ताकि वे कार्बन क्रेडिट अर्जित कर सकें.
कार्बन क्रेडिट एक परमिट है, जिसके तहत किसी भी कंपनी को एक निश्चित मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की अनुमति दी जाती है. एक टन कार्बन डाइ ऑक्साइड के बराबर होने वाले उत्सर्जन के बराबर एक क्रेडिट होता है. इसे प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों को क्रेडिट किया जा सकता है, ताकि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित किया जा सके.
(फीचर इमेज क्रेडिट: @OfficialDMRC)