लोकसभा चुनाव: ऐसे मतदाताओं के बूते जीत रहा है लोकतंत्र
झारखंड में बेटे ने वोट डालने के बाद मां का अंतिम संस्कार किया तो लखनऊ में व्यापारी ने दूल्हे के वेश में मतदान के बाद शादी रचाई। राजस्थान में अस्सी किमी साइकिल चलाकर डॉक्टर पहुंचे वोट डालने तो कहीं बूथ पर बस रोककर मतदान के बाद दूसरी ट्रिप लगाई। दिव्यांग निधि ने तो पैर से किया मतदान।
लोकसभा चुनाव 2019 के पांच चरण पूरे हो चुके हैं। इस बार लगभग सभी गत चरणों में चिलचिलाती गर्मी के बीच मतदाताओं के रुझान ने कई ऐसे नमूने दिए हैं, जो हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में वोट न डालने वालो के लिए सबक हो सकते हैं। ऐसे मतदाता इस बार चुनाव में मिसाल बन चुके हैं। किसी ने सात फेरे लेने से पहले बारात रोककर मतदान किया तो किसी ने पहले वोट डाला, फिर पिता का दाह संस्कार किया। छतरपुर (म.प्र.) और पालकोट (झारखंड) में दो ऐसी घटनाएं हुईं।
पालकोट प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित डहूपानी पंचायत निवासी बसंत सिंह की सत्तर वर्षीय मां का ऐन मतदान के दिन ही निधन हो गया। दिन में करीब 12 बजे शव को अस्पताल से घर लाया गया। परिवार के सदस्य तुरंत अंतिम संस्कार करने से पहले डहूपानी स्कूल में बनाये गये बूथ नंबर 36 पर वोट डालने पहुंच गए। वहां से लौटकर फिर अंतिम संस्कार को रवाना हुए। इसीलिए तो चुनाव को लोकतंत्र का महापर्व कहा जाता है।
नरसिंहपुर (म.प्र.) की दिव्यांग निधि ने मतदान के दिन बूथ पहुंच कर लोगों को चौंका ही दिया। उसने दोनों हाथ न होने के बावजूद न सिर्फ पैरों से मतदान किया बल्कि स्याही भी पैरों पर ही लगवाई। अभी दो चरणों का मतदान बाकी है लेकिन लोकतंत्र का महापर्व कहे जाने वाले चुनावों का उत्साह चरम पर है। कोई वोट डालने के तुरंत बाद शादी कर रहा है तो कोई शादी से तुरंत पहले मतदान करता दिख रहा है तो कोई शादी के जोड़े में मतदान करने पहुंच गया।
इसी तरह की दो मिसाल राजस्थान से मिली हैं। पेशे से कार्डियोलॉजिस्ट राजस्थान के डॉक्टर जीएस शर्मा जयपुर से 80 किलो मीटर साइकिल चलाकर अपने गांव सोड़ा वोट डालने पहुंचे। यह सफर तय करने में उन्हें चार घंटे का समय लगा। साइकिल चलाकर उन्होंने हृदय रोग से बचने का संदेश भी दिया। राजस्थान के ही एक अधिकारी ने वोटिंग और स्वास्थ्य के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शानदार मिसाल पेश की। इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज (आईआरएस) अधिकारी सुशील कुल्हाड़ी और उनकी पत्नी ने वोट डालने के लिए 21 किलोमीटर की हाफ मैराथन दौड़ लगाई।
झुंझुनू के रहने वाले सुशील कुमार अभी जयपुर में पोस्टेड हैं। उनका गांव तिलोका का बांस, झुंझुनू शहर से 21 किलोमीटर दूर झुंझुनू-चुरू हाइवे पर स्थित है। अधिकारी दंपति ने झुंझुनू कलेक्ट्रेट से सुबह 5 बजकर 45 मिनट पर दौड़ शुरू की और गांव में पोलिंग बूथ पर पहुंचने के लिए दो घंटे की दौड़ लगाई। सुशील के अनुसार ऐसा करने के पीछे उनका मकसद अन्य लोगों को भी वोट देने के लिए प्रोत्साहित करना था। कुल्हाड़ी ने वोट डालने से पहले अपना ये आइडिया झुंझुनू के सीईओ जिला प्रमुख राजपाल सिंह के साथ शेयर किया और वह फौरन ही हाफ मैराथन का हिस्सा बनने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद तो कई लोग दौड़ लगाते हुए वहां वोट डालने पहुंचे।
मतदान के दिन ही पुराना किला (लखनऊ) निवासी नीरज मौर्य की शादी की बारात इलाहाबाद रवाना होनी थी पर उन्होंने बारात में जाने से पहले वोट करने का फैसला लिया। नीरज मौर्य पेशे से व्यापारी हैं। उनकी शादी की तिथि छह मई निर्धारित हुई थी। बाद में निर्वाचन आयोग के मतदान की तिथियां घोषित हुईं। ऐसे में जब उनको पता चला कि छह मई को ही लखनऊ में मतदान है तभी से उन्होंने शादी बाद में, पहले वोट करने का मन बना लिया था।
उनका मतदान केन्द्र सिंचाई विभाग हैदर कैनाल उदयगंज में स्थित था। वह दुल्हे की ड्रेस में ही सुबह 10:45 बजे अपने बूथ पर पहुंचे और वोट डालने के बाद बारातियों के साथ इलाहाबाद के लिए रवाना हो गए। मतदान का एक ऐसा ही अनोखा वाकया मैंगलुरु (कर्नाटक) का है। मैंगलुरु-शिवमोगा रूट पर चलने वाली जयराज ट्रैवल्स बस के ड्राइवर विजय शेट्टी ने भी वोट डालने के लिए एक नई मिसाल पेश की। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में उन्होंने अपने बेहद बिजी शेड्यूल से समय निकालकर मतदान किया। मतदान केंद्र की तरफ पूरे वेग से दौड़कर आते हुए विजय शेट्टी की एक विडियो क्लिप वायरल हो गई। इससे पहले उन्होंने मूदबिद्री के पास बेलुवई स्थित अपने पोलिंग स्टेशन पर बस को रोका, पोलिंग बूथ की तरफ तेजी से दौड़े, वोट डाला और उसी गति से लौटकर बस समेत गंतव्य को रवाना हो गए।
मतदान की एक और ऐसी ही उल्लेखनीय बात विकासनगर (देहरादून) की है। यहां की निवासी एक युवती ने वोट डालने के लिए अपनी ऑस्ट्रेलिया की यात्रा स्थगित कर दी। विकासनगर के पंजाबी कॉलोनी निवासी तानिया डंग दिल्ली की एक कंसलटेंसी में नौकरी करती हैं। उन्हें ट्रेनिंग के लिए मतदान के दिन ही ऑस्ट्रेलिया रवाना होना था, लेकिन उन्होंने जाना स्थगित कर मतदान किया।
इसके लिए वह दिल्ली से सीधे अपने घर पहुंचीं और अपने परिजनों के साथ विकासनगर के त्रिशला जैन धर्मशाला स्थित मतदान केंद्र पर वोट डाला। तानिया के पिता महेश कुमार डंग ने बताया कि उन्होंने विदेश जाने या न जाने का फैसला उन पर छोड़ दिया था। उधर तानिया का कहना है कि उनकी नौकरी के हिसाब से विदेश जाने के मौके कई बार मिल जाते हैं लेकिन देश की सरकार बनाने का यह मौका पांच साल में एक बार ही आता है और इस मौके को वह गंवाना नहीं चाहती थीं।
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