सुरक्षित कार्यस्थल: एक सच्चाई या फिर सपना
सेरेइन की फाउंडर के साथ #SheChat
#MeToo आंदोलन ने मीडिया ही नहीं बल्कि आर्ट, विज्ञापन, बॉलिवुड और बाकी क्षेत्रों में भी तूफान ला दिया है। इस कैंपेन में अलग-अलग क्षेत्रों के बड़े लोगों पर प्रेडेटर (यौन हिंसक) का ठप्पा लगने के बाद से वर्कप्लेस पर महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल तैयार करने का एक नया अर्थ सामने आया है।
कार्यस्थल पर हरैसमेंट क्या होता है, यौन उत्पीड़न से कैसे निपटा जाए और व्यवहार की वह पतली लाइन जिस पर हम सब चलते हैं, जैसे कई नए सवाल लोगों के सामने आए।
ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब देने के लिए योरस्टोरी ने अपनी साप्ताहिक ट्विटर चैट #SheChat के तहत एक्सपर्ट के तौर पर इशानी रॉय को बुलाया। इशानी रॉय बेंगलुरु बेस्ड कंसल्टिंग फर्म सेरेइन की फाउंडर हैं। यह फर्म विविधता और समावेश के लिए डेटा आधारित पद्धति अपनाती है। यहां कुछ सवाल हैं जो ट्विटर यूजर्स ने इशानी से पूछे थे और इशानी ने उनका जवाब दिया...
1. क्या आप बता सकती हैं कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न क्या होता है या सेक्सुअली हरैसमेंट को कैसे परिभाषित किया जाएगा?
इशानी: यौन उत्पीड़न को एक अवांछित व्यवहार के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह शारीरिक उत्पीड़न की किसी भी अवस्था में हो सकता है। इनमें यौन संपर्क (ब्रशिंग यानी हल्का स्पर्श, पिचिंग यानी चिकोटी काटना और ग्रैबिंग यानी जकड़ना शामिल है), उत्पीड़न, सेक्सुअल एडवांस और बलात्कार शामिल है। यौन उत्पीड़न केवल शारीरिक छेड़छाड़ तक ही सीमित नहीं है। यह मौखिक तौर भी हो सकता है जिसमें सेक्सुअल कॉमेंट्स, सेक्सुअल जोक्स और नारी विरोधी हास्य हो सकता है। आमतौर पर यह यौन प्रकृति का होता है। हरैसमेंट अमौखिक या इशारों पर भी आधारित हो सकता है। इसमें किसी को ईमेल/वॉट्सऐप पर अश्लील जोक्स भेजना, ताने मारना, लेटर भेजना, फोन करना, शरीर के किसी अंग को घूरना भी शामिल है।
2: क्या आप बता सकती हैं कि क्या है जो सेक्सुअल हरैसमेंट में नहीं आता?
इशानी: भारतीय कानून सेक्सुअल हरैसमेंट ऑफ विमेन इन द वर्कप्लेस, प्रिवेंशन, प्रोहिबिशन ऐंड रीड्रेसल 2013 के अनुसार, लिंग के आधार पर भेदभाव या किसी अल्पसंख्यक समूह से पक्षपात करना यौन उत्पीड़न में शामिल नहीं है।
3: कृपया हमें हर ऑफिस में ऐसे मामलों के लिए आंतरिक शिकायत समिती (इंटरनल कंप्लेंट कमिटी) के गठन के बारे में बताइए?
जवाब: 10 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी या संगठन में एक इंटरनल कंप्लेंट कमिटी (आईसीसी) का गठन जरूरी है। ऐसी कमिटी में 4 आंतरिक और 1 बाहरी सदस्य होना जरूरी है। इनमें कम से कम 50 फीसदी महिलाएं शामिल हों। आईसीसी (इंटरनल कंप्लेंट कमिटी) का काम सिर्फ जांच करना नहीं बल्कि पीड़ित को आंतरिक सुरक्षा, आरोपी से सुरक्षा और मामले की गोपनियता की रक्षा करना भी होता है।
4: आप क्या करती हैं जब कोई पुरुष सहकर्मी आपके प्राइवेट स्पेस में दखल देता है लेकिन बहुत छोटे तौर पर.... क्या इसे सेक्सुअल हरैसमेंट कहेंगे और इससे कैसे बचा जाए?
जवाब: यह (यौन उत्पीड़न) हमेशा ही छोटे रूप में होता है। यौन उत्पीड़न कभी अच्छा या बुरा नहीं होता है। किसी के प्राइवेट स्पेस में दखल देना, हल्का छूना, शरीर पर हल्का टच करना, सभी यौन उत्पीड़न में शामिल हैं। अगर आपको किसी का व्यवहार अवांछित लग रहा है या फिर आपकी मर्जी के खिलाफ है तो उसे तुरंत ना कहें। अगर नहीं मानता है तो आईसीसी से शिकायत करें। छोटे रूप के यौन शोषण का विरोध करना मुश्किल होता है। अगर आप विरोध नहीं जता पा रहे हैं तो अपनी आईसीसी से बात करें। वे इसके बारे में जानेंगे और या तो शख्स से बात करके गलत व्यवहार को करने से रोकेंगे या फिर वे आपकी उस शख्स के खिलाफ आगे शिकायत करने में मदद करेंगे और एक जांच कराएंगे।
5: अगर संकेत छोटे रूप में है तो हम किस तरह से फ्लर्ट/तारीफ और यौन उत्पीड़न के बीच फर्क कर सकते हैं?
इशानी: यह तब तक एक फ्लर्टिंग है जब तक वह आपको परेशान ना करे। अगर आप ऐसी हरकतों से परेशान होकर खुद को असहाय महसूस करते हैं, इसका मतलब है कि आपकी सहमति की लाइन पार हो चुकी है। ऐसे में आपको आवाज उठानी चाहिए।
6: अगर इंटरनल कमिटी की कार्यवाही से आप संतुष्ट नहीं हैं और आपको एक अंतराल के बाद उसी शख्स के साथ काम करना पड़े तो ऐसी स्थिति में आप क्या कर सकते हैं?
जवाब: ऐसे मामले में आप कोर्ट में अपील कर सकते हैं। अगर कंपनी के अधिकारी आईसीसी के कहे अनुसार कार्रवाई नहीं करते हैं तो आप ऐसे मामलों में कोर्ट जा सकते हैं।
7: अगर आप केस करने के लिए वकील का खर्चा नहीं उठा सकते हैं। क्या ऐसे मामलों में कुछ लीगल मदद मिल सकती है?
जवाब: हां, कई वकील होते हैं जो ऐसे मामलों में बिना किसी फी के ही मदद करने को तैयार रहते हैं। आप मुझे मेसेज करिए मैं आपसे लिस्ट शेयर कर दूंगी।
8: जिस संस्थान में आईसीसी महज एक औपचारिकता हो, ऐसे में आप उस संस्थान को पूरी तरह से कैसे जिम्मेदार ठहरा सकते हैं?
इशानी: कंपनी में ऐसी आईसीसी गठित करना जो नियमों की अनदेखी करती है या फिर जिसे बनाने में नियमों का उल्लघंन किया गया है तो आप इसके लिए कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
9: यह मुकदमा सिविल कोर्ट या क्रिमिनल कोर्ट में से किसमें दायर करना होगा?
जवाब: यह लेबर कोर्ट में चलेगा। ऐक्ट में लेबर कमिश्नर बनाया गया है।
10: जिन लड़कियों ने इंटर्न के तौर पर या फिर हाल ही में नौकरी शुरू की है। उन्हें ऐसे मामलों से निपटने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
इशानी: संगठनों से उम्मीद की जाती है कि वे ना केवल फुल टाइम कर्मचारियों बल्कि इंटर्न और कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड कर्मचारियों को भी सुरक्षा प्रदान करें। कंपनियों को अपने सभी कर्मचारियों को उनके अधिकारों के बारे जानकारी देनी चाहिए और सभी के लिए कार्यस्थल पर एक सुरक्षित माहौल बनाना चाहिए। कार्यस्थल में कैंटीन, वेंडर मीटिंग स्थल और वर्चुअल प्लैटफॉर्म भी शामिल हैं।
11: युवा लड़कियों के काम करने के लिए लीडर के तौर पर महिला और पुरुष किस तरह से अच्छा माहौल बना सकते हैं?
इशानी: यह एक अच्छा सवाल है। आमतौर पर किसी नए कर्मचारी (महिला या पुरुष) के लिए यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाना उतना आसान नहीं होता। अगर आप किसी संस्थान में पहले से काम कर रहे हैं। भले ही आप सीनियर हैं या जूनियर, चुप मत रहिए और अपनी आवाज उठाइए। कम से कम अपने नए साथियों को आईसीसी के बारे में तो बताइए ताकि वे अपनी शिकायत दर्ज करा सकें।
12: अगर आपका कोई सहकर्मी कार्यस्थल के अलावा किसी दूसरी जगह पर (जैसे: निजी पार्टी) गलत हरकत करता है तो इसे आप कैसे देखेंगी?
इशानी: अगर यह पार्टी कंपनी ने आयोजित की है तो यह भी कंपनी के कार्यक्षेत्र में ही शामिल होगा। अगर उत्पीड़न किसी प्राइवेट पार्टी में होता है और फिर उसके बाद कार्यस्थल पर गलत वातावरण बनाया जाता है तो इसे आईसीसी देखेगी। इसलिए आवाज उठाइए।
13: स्टार्टअप्स द्वारा सेक्सुअल हरैसमेंट पॉलिसी को लागू करने पर आपकी क्या राय है? यह अनिवार्य होना चाहिए या वैकल्पिक?
इशानी: अगर स्टार्टअप में कर्मचारियों की संख्या 10 को पार कर चुकी है, भले ही उनमें एक भी महिला ना हो, ऐसे में यह अनिवार्य है। इसमें पॉलिसी बनाना, आईसी गठित करना, आईसी और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना और DO के पास वार्षिक रिपोर्ट फाइल करना शामिल है।
14: कंपनियों को सेक्सुअल हरैसमेंट पर वर्कशॉप कितने समय अंतराल पर रखने चाहिए? क्या ये किसी तरह से मदद करते हैं?
इशानी: कंपनियों को सेक्सुअल हरैसमेंट पर वर्कशॉप एक नियमित अंतराल के बाद आयोजित करने चाहिए। एक संस्थान को DO के पास वार्षिक रिपोर्ट जमा कराने से पहले ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि कंपनी के फुल टाइम, पार्ट टाइम और कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड कर्मचारी प्रशिक्षित हों। प्रशिक्षण एक खुली बातचीत होनी चाहिए जो हरैसमेंट के प्रकार पर निर्भर हो और इसमें उत्पीड़न से जुड़े सभी सवालों और संशयों का जवाब मिल सके।
15: कार्यस्थल पर किसी सीनियर पुरुष सहकर्मी का रोज आपके पहनावे पर कॉमेंट करने को हरैसमेंट में गिना जाएगा?
इशानी: बिल्कुल, आपके कपड़ों या लुक्स पर कॉमेंट करना आपको असहज बना सकता है। अगर कोई सीनियर पुरुष सहकर्मी ऐसा करता है तो इसमें एक शक्ति की झलक भी दिखती है। अगर आपको ऐसे कॉमेंट अवांछनीय लगें तो इसके बारे में खुलकर बोलें, आईसीसी से बात करें ताकि इसका हल निकाला जा सके।
16: अगर आपको कार्यस्थल पर किसी खास व्यक्ति के साथ काम करना असुरक्षित लगता है। क्या हमें पीछे हट जाना चाहिए? बिना अपने करियर को खतरे में डालकर हम ऐसा कैसे कर सकते हैं?
इशानी: इस बारे में आईसीसी से बात करें। यहां पर अनौपचारिक शिकायत करने का भी विकल्प होता है। वे इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि आगे आपको किसी भी तरह से असुरक्षा के माहौल में काम नहीं करना पड़े।
17: क्या आपको लगता है कि पुरुषों को भी आईसीसी का सदस्य होना चाहिए? आप नकली दावों और असली मामलों में कैसे अंतर करेंगी?
जवाब: नियम के अनुसार आईसीसी में 50% महिलाएं होना जरूरी है। मेरा अनुभव कहता है कि पुरुषों को भी आईसीसी का सदस्य होना चाहिए। यह पुरुषों के लिए भी PoSH (प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हरैसमेंट) का विजेता बनने का अवसर होता है। यह नियम काफी विस्तार से है। अच्छी तरह प्रशिक्षित आईसीसी घटना से जुड़े सबूतों को इकठ्ठा करके आरोप सही हैं या फिर झूठे, यह पता करना अच्छे से जानती है। एक अध्ययन से पता चलता है कि 90% के करीब शिकायतें तो दर्ज ही नहीं होती हैं। ऐसे में झूठे केस दर्ज होने की संभावनाएं काफी कम हैं।
18: #MeToo के इस दौर में कार्यस्थल पर होने वाली यौन उत्पीड़न की घटना से कैसे निपटा जाए?
इशानी: सीधे अपनी शिकायत सीधे आईसीसी से कीजिए। इसके औपचारिक और अनौपचारिक दो तरीके हैं।
यह भी पढ़ें: जम्मू कश्मीर से बिहार तक के बच्चों के लिए ऑनलाइन स्कूल बना यह ऐप