आज ही के दिन हुई थी रेडियम की खोज, जो कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी साबित हुआ
वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद 21 दिसंबर के दिन मैरी को अपनी प्रयोगशाला में वो चमकने वाला जादुई तत्व मिला.
21 दिसंबर, 1898. यह तारीख विज्ञान और मानवता के इतिहास में अमर है क्योंकि इसी दिन अपने लैब में काम करते हुए अचानक उस महान वैज्ञानिक स्त्री को वो तत्व मिला, जिसने आने वाले दिनों में विज्ञान की, चिकित्सा विज्ञान की और समूची मनुष्यता की दिशा बदल देनी थी.
अंधेरे में सितारे की तरह चमकने वाला यह जादुई तत्व था रेडियम. आज ही के दिन रेडियम की खोज हुई थी और खोज करने वाली थीं- पोलैंड की रसायन शास्त्री मैरी स्कोलोडोव्सका क्यूरी और फ्रांस के रसायन शास्त्री पियरे क्यूरी.
रेडियम की खोज की कहानी बड़ी दिलचस्प है. 21 दिसंबर की तारीख इतिहास में उस दिन की तरह दर्ज है, जब पता चला कि रेडियम नाम का कोई नया तत्व भी प्रकृति में मौजूद है. लेकिन उसे खोजे जाने के पीछे कई वर्षों की गहन अनथक मेहनत, लगन और समर्पण है.
मैरी कई साल से खनन के दौरान पाए जाने वाला पिंचब्लेड नामक एक खनिज पर काम कर रही थीं. सालों की मेहनत के बाद मैरी और पियरे पिंचब्लेड से यूरेनियम नामक एक तत्व को अलग करने में सफल हुए थे. उनकी इस खोज की कहानी फ्रांस के प्रतिष्ठित साइंस जरनल में छपी थी, जिसके चर्चे पूरे यूरोप के विज्ञान जगत में हो रहे थे.
लेकिन प्रयोगशाला में काम करते हुए एक दिन मैरी ने पाया कि पिंचब्लेड ने यूरेनियम को अलग करने के बाद जो वेस्ट बचा था, उसमें अभी काफी मात्रा में रेडियोधर्मिता मौजूद है. वह सिर्फ वेस्ट नहीं हो सकता था. उन्हें यकीन था कि यूरेनियम को निकालने के बादअब भी पिंचब्लेड में कोई और तत्व छिपा हुआ है, जिसे उनकी लैब की मशीन पकड़ नहीं पा रही.
![discovery of radium on this day in history of science](https://images.yourstory.com/cs/12/f6e35340d1bd11ec993bb701a097a52d/INSIDE-noble-1671539836302.jpg?fm=png&auto=format)
पिंचब्लेड का खनन अपने आप में एक महंगी प्रक्रिया थी. पियरे और मैरी अपना पैसा लगाकर पिंचब्लेड का खनन करवा रहे थे और प्रयोग कर रहे थे. उन्हें किसी तरह की आर्थिक सहायता नहीं मिल रही थी. मौजूदा प्रयोगशाला और मशीनों की अपनी सीमा थी. लेकिन मैरी को यकीन था कि कुछ तो और है, जो हमारी पकड़ में नहीं आ रहा.
लेकिन मैरी ने अपने सीमित संसाधनों के साथ ही रिसर्च का काम जारी रखा. काफी दिनों तक कई टन पिंचब्लेड को रिफाइंड करने के बाद उन्हें थोड़ी सी मात्रा में एक नया तत्व मिला. यह तत्व अंधेरे में तारे की तरह चमकता था. उन्होंने इसे नाम दिया- रेडियम. और इस तरह रेडियम की खोज हुई.
रेडियम क्या है
रेडियम एक धातु है, जिसमें अपनी अंदरूनी चमक होती है. यह एक रेडियोएक्टिव पदार्थ है, जो रौशनी में देखने पर नमक की तरह दिखाई देता है, लेकिन अंधेरे में चमकता है.
रेडियोएक्टिव पदार्थ होने का अर्थ यह है कि वह तत्व, जिसका नाभिकीय केंद्र बहुत जल्दी और आसानी से टूट सकता है और टूटने की प्रक्रिया में इसमें से एक किरण या रौशनी निकलती है.
रेडियम यूरेनियम के अयस्क से मिलता है. हालांकि बहुत बड़ी मात्रा में यूरेनियम को प्योरीफाई करने के बाद बहुत थोड़ी सी मात्रा में रेडियम प्राप्त होता है. कह सकते हैं कि यह एक तरह से यूरेनियम का बाई-प्रोडक्ट है.
रेडियम का इस्तेमाल आज कहां-कहां नहीं होता. इसका सबसे ज्यादा प्रयोग मेडिसिन के क्षेत्र में होता है, जहां एक्सरे से लेकर कैंसर के इलाज के लिए की जाने वाली रेडिएशन थैरेपी तक में रेडियम का प्रयोग किया जाता है. घड़ी के डायल में, विमान में रेडियम का इस्तेमाल होता है. आपको कोई भी चीज अगर अंधेरे में चमकती हुई दिखे तो समझ जाएं कि इसमें रेडियम का प्रयोग किया गया है.
Edited by Manisha Pandey