Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT

ओडिशा के आदिवासियों को गंभीर बीमारियों से बचा रहे डॉक्टर चितरंजन

ओडिशा के आदिवासियों को गंभीर बीमारियों से बचा रहे डॉक्टर चितरंजन

Tuesday March 12, 2019 , 3 min Read

डॉक्टर चितरंजन जेना (तस्वीर साभार- द बेटर इंडिया)


ओडिशा के कई जिलों में आदिवासी लोगों की अच्छी खासी आबादी बसर करती है। इसे कालाहांडी बालांगीर कोरापुट (केबीके रीजन) के नाम से भी जाना जाता है जिसमें नबरंगपुर, मलकानगिरी, रायगढ़, सोनपुर, नुआपाड़ा जैसे जिले शामिल हैं। लेकिन इन जिलों में आदिवासी समाज गरीबी और विपन्नता के बीच संघर्ष कर रहा है। इसे देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक माना जाता है। यहां मातृत्व और शिशु मृत्यु दर काफी ज्यादा है। इस स्थिति में एक सरकारी डॉक्टर इस इलाके के लोगों के लिए काफी काम कर रहे हैं। 


डॉक्टर चितरंजन जेना और उनकी टीम हर हफ्ते इन जिलों का दौरा करती है और आदिवासी लोगों के इलाज की सारी जिम्मेदारी उठाती है। आपको बता दें कि यहां के लोगों की स्थिति ऐसी है कि वे दो वक्त की रोटी का जुगाड़ बड़ी मुश्किल से कर पाते हैं ऐसे हालात में अगर किसी बीमारी की चपेट में आ जाएं तो इलाज के आभाव में मृत्यु तक हो जाती है। डॉक्टर चितरंजन की टीम हर सप्ताह किसी न किसी गांव का दौरा करती है और हर गरीब मरीजों को दवाएं उपलब्ध कराकर उनका इलाज करती है।


अभी दशमंतपुर इलाके में तैनात डॉ. चितरंजन जेना ने बताया, '2007 में यहां कॉलरा फैल गया था जिसे लगभग 350 लोग मौत के मुंह में समा गए और हजारों लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई। उस बुरे हादसे के बाद मैंने मेडिकल की पढ़ाई करने का मन बनाया था।। 2016 में मुझे मेरी पहली पोस्टिंग कोरापुट में मिली। तब जाकर मैंने करीब से इस इलाके की समस्याओं को समझना शुरू किया।' इसके बाद से चितरंजन ने फैसला कर लिया कि वे किसी गरीब को इलाज के आभाव में मरने नहीं देंगे।


उन्होंने एक कमिटी बनाई जिसका नाम रखा, 'गौंकु चला समिति' इसका मतलब होता है, चलो गांव की ओर। उनकी टीम में कई मेडिकल प्रोफेशनल होते हैं जो साथ में एक टीम की तरह गांव वालों का इलाज करते हैं। इलाज करने के साथ-साथ वे गांव वालों को स्वच्छता के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं और जागरूकता फैलाते हैं जिससे बीमारी का खतरा काफी कम हो जाता है। वे हर घर में मच्छरदानी वितरित करते हैं जिससे मलेरिया और डेंगू का खतरा काफी कम हो जाता है।


इस इलाके में बाल विवाह और शराब की कई सामाजिक समस्याएं भी व्याप्त हैं जिनकी वजह से लोगों का जीवनस्तर खराब है। डॉक्टर की टीम गांव के लोगों को इन सब मुद्दों पर भी जागरूक करने का काम करती है। इस अभियान का इतना असर पड़ा है कि अब आसपास के इलाकों में तैनात सरकारी डॉक्टर भी ऐसी ही मुहिम चला रहे हैं। इतना ही नहीं ओडिशा सरकार ने भी गांव के समुचिक विकास के लिए ऐसी ही योजना बनाने पर काम कर रही है। डॉक्टर चितरंजन पूर्व राष्ट्रपति वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं और कहते हैं कि अगर लोगों तक मेडिकल सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं तो इन सुविधाओं को उन तक ले जाने की जरूरत है।


यह भी पढ़ें: 9 हर रोज गरीबों को 7,000 गर्म रोटियां खिला रहा यह एनजीओ