धूम्रपान और तंबाकू के नुकसान को कम करने के लिए डॉक्टरों ने शुरू की मुहिम
भारत में कैंसर की मरीजों की तादाद काफी तेजी से बढ़ रही है। पुरुषों में कैंसर की सबसे बड़ी वजह धूम्रपान और तंबाकू का सेवन है। इस पर अंकुश लगाने के लिए हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने देश के नामी डॉक्टरों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री से जरूरी कदम उठाने की गुजारिश की है। फाउंडेशन ने पीएमओ और स्वास्थ्य मंत्रालय एवं राज्य स्वास्थ्य विभाग को ई-सिगरेट सहित वेपिंग उत्पादों की नीतियों एवं विनियमों के बारे में लिखा है।
इण्डियन जर्नल ऑफ क्लिनिकल प्रेक्टिस की वेबसाईट पर साझा किया गया सहमति वक्तव्य इन उत्पादों के लिए विनियामक ढांचे की आवश्यकता पर रोशनी डालता है, जिसके अनुसार व्यस्क लोग धूम्रपान की लत छोड़ने के लिए गुणवत्ता-नियन्त्रित उत्पादों का इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि उन्हें कम नुकसान पहुंचे। हार्ट केयर फाउन्डेशन ऑफ इण्डिया से जुड़े डॉ के के अग्रवाल कहते हैं, 'भारत में कराधान, सख्त लेबलिंग नीतियों के बावजूद तंबाकू के बोझ को कम करने के प्रयास कारगर साबित नहीं हो रहे हैं, इन सब कोशिशों के बावजूद सिगरेट के इस्तेमाल में कोई खास गिरावट नहीं आई है।'
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रतिनिधि चिकित्सक जैसे पीके जुल्का, टी एस क्लेर और अशोक सेठ हमेशा से धूम्रपान करने वालें को यह लत छोड़ने के लिए सहयोग प्रदान करते रहे हैं, उनके स्वास्थ्य को महत्व देते रहे हैं। धूम्रपान करने वालों को सिगरेट की लत छोड़ने में मदद करने के लिए हम चिकित्सकों को सलाह देते हैं कि अपने मरीज़ों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करने वाले उत्पाद इस्तेमाल करने की सलाह दें, साथ ही उन्हें व्यवहार के लिए काउन्सिलंग भी दी जाए। इसके अलावा जिन मामलों में उपरोक्त तरीके कारगर न हों, वहां वेपिंग डिवाइसेज़ जैसे विकल्पों की सलाह दी जानी चाहिए।
फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर अनूप मिश्रा ने कहा, 'हमारे पत्र में हमने यह अनुशंसा भी दी है कि भारत सरकार को वेपिंग उत्पादों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पर अनुसंधान के लिए वित्तपोषण आवंटित करना चाहिए और इन प्रमाणों के आधार पर समय-समय पर नीतियों के लिए मार्गदर्शन भी देना चाहिए। विनियामक प्राधिकरणों को उत्पादों एवं अवयवों के मानकों पर उचित मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए, ताकि तंबाकू उत्पादों की लत और इनके हानिकर प्रभावों को दूर किया जा सके।'
इसके अलावा सहमति वक्तव्य इस बात पर ज़ोर देता है कि अच्छा होगा कि लोग तम्बाकू एवं इनसे संबंधित उत्पादों की शुरूआत से अपने आप को बचा कर रखें। हालांकि धूम्रपान करने वालों के लिए कम हानिकर उत्पादों का इस्तेमाल, धूम्रपान के कारण होने वाले नुकसान को कम कर सकता है, इसके लिए चिकित्सकों की ओर से उचित सहयोग एवं विनियमों की आवश्यकता है।
प्रोफेसर डेविड स्वेनर, एडजंक्ट प्रोफेसर, फैकल्टी ऑफ लॉ-युनिवर्सिटी ऑफ ओटावा ने कहा, 'सिगरेट, नहीं जलने वाले निकोटीन उत्पादों जैसे ई-सिगरेट की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ज़्यादा खतरनाक हैं, जो उप-उत्पादों जैसे धुएं और टार के बिना निकोटीन डिलीवर करते हैं। हमें उम्मीद है कि सरकार एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ इन विकल्पों के कम हानिकर महत्व को समझेंगे, जो न केवल तम्बाकू उद्योग के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। इसके बजाए, ऐसी नीतियां बनाने की आवश्यकता है जो लोगों को व्यवहार में बदलाव तथा कम हानिकर विकल्पों के इस्तेमाल से सिगरेट के कारण होने वाले नुकसान से बचा सकें।'
बिहेवियर साइन्स एण्ड हेल्थ इन्स्टीट्यूट ऑफ एपीडेमोलोजी एण्ड हेल्थ, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में एसोसिएट प्रोफेसर प्रोफेसर लायन शाहब ने कहा, 'वैज्ञानिक प्रमाण दर्शाते हैं कि सिगरेट के बजाए ई-सिगरेट के इस्तेमाल से कार्सिनोजन के खतरे से 95 फीसदी तक बचा जा सकता है। कम हानिकर विकल्पों जैसे एनआरटी, ई-सिगरेट या फार्मेकोलोजिकल विकल्पों के साथ व्यवहार थेरेपी से निकोटीन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। हालांकि व्यवहारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ई-सिगरेट सिगरेट के समान ही है, लेकिन धूम्रपान की लत छोड़ने और धूम्रपान के नुकसान को कम करने में कारगर पाई गई है। तम्बाकू के करण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए बनाइ गई नीतियों में इन आधुनिक उत्पादों पर विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि वे तम्बाकू की तुलना में कम खतरनाक हैं और धूम्रपान की लत को छोड़ने में कारगर हो सकते हैं।'
'हालांकि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से देखा जाए तो धूम्रपान को पूरी तरह से छोड़ना ही आदर्श होगा, लेकिन हर मामले में ऐसा नहीं हो पाता। ऐसे मामलों में ई-सिगरेट या न जलने वाले विकल्प उपयोगकर्ता के लिए कम घातक होते हैं। मैं हार्ट केयर फाउन्डेशन ऑफ इण्डिया की इस पहल को अपना समर्थन प्रदान करता हूं और सरकार से आग्रह करता हूं कि इन उत्पादों के संदर्भ में उचित विनियामक ढांचा बनाया जाए ताकि आम जनता को इस खतरे से बचाया जा सके।' डा रिकार्डो पोलोसा, डायरेक्टर, इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनल मेडिसिन एण्ड क्लिनिकल इम्युनोलोजी-युनिवर्सिटी ऑफ कैटेनिया ने कहा। डॉ पोलोसा और उनकी टीम ई-सिगरेट के स्वास्थ्य पर प्रभाव के अध्ययन के लिए कई चिकित्सकीय परीक्षण कर चुके हैं।'
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