फाइनेंस बिल में 'एंजेल टैक्स' प्रावधान स्टार्टअप्स को प्रभावित नहीं करेंगे: DPIIT सचिव
DPIIT सचिव अनुराग जैन ने इंडियन वेंचर एंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन (IVCA) कॉन्क्लेव में बोलते हुए कहा कि DPIIT के साथ पंजीकृत स्टार्टअप इसके दायरे में नहीं आते हैं. 'एंजेल टैक्स' होता क्या है? यहां जानिए...
वित्त विधेयक में 'एंजेल टैक्स' प्रावधान (angel tax provision in the Finance Bill) भारत में स्टार्टअप्स को प्रभावित नहीं करेगा. ये बात DPIIT (Department for Promotion of Industry and Internal Trade) के सचिव अनुराग जैन ने कही है.
DPIIT सचिव अनुराग जैन ने इंडियन वेंचर एंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन (Indian Venture and Alternate Capital Association - IVCA) कॉन्क्लेव में बोलते हुए कहा कि DPIIT के साथ पंजीकृत स्टार्टअप इसके दायरे में नहीं आते हैं.
वेंचर कैपिटल इंडस्ट्री लॉबी ग्रुपिंग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दर्शकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे एक बात बहुत स्पष्ट रूप से बतानी चाहिए. यह कम से कम स्टार्टअप्स को प्रभावित नहीं करता है."
उन्होंने कहा कि एक "स्पष्ट प्रावधान" है जो कहता है कि DPIIT द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स प्रस्ताव के दायरे से बाहर हैं, और कहा कि स्टार्टअप मान्यता प्रक्रिया भी बहुत सरल है जहां कोई भी आवेदक इसे ऑटोमैटिकली हासिल करता है.
आयकर अधिनियम की धारा 56(2) VII बी में संशोधनों के माध्यम से वित्त विधेयक में नियमों में प्रस्तावित परिवर्तनों के कारण स्टार्टअप परेशान थे. विदेशी निवेशकों को भी कराधान के दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव है, जिसमें एक विदेशी निवेशक से फंड जुटाने वाला स्टार्टअप भी आयकर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा, यदि फंड शेयरों के अंकित मूल्य से ऊपर प्राप्त होता है.
निर्दिष्ट किए बिना, जैन ने कहा कि अन्य मुद्दे हैं जो वेंचर इन्वेस्टिंग कम्युनिटी द्वारा उठाए गए हैं और उन्हें रिव्यू के लिए राजस्व विभाग (Department of Revenue) के समक्ष रखा गया है.
उन्होंने कहा कि हमें यह देखने की जरूरत है कि स्टार्टअप्स और नए जमाने की कंपनियों में घरेलू पूंजी को कैसे आगे बढ़ाया जाए.
इस मोर्चे पर पहले ही बदलाव हो चुके हैं, जिसमें दीर्घावधि पेंशन और बीमा कोषों को वैकल्पिक निवेश कोषों में निवेश की अनुमति देना शामिल है.
उन्होंने कहा कि 2047 तक, भारत एक विकसित देश होगा और एक यथार्थवादी अनुमान अर्थव्यवस्था का आकार 30 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर होने का अनुमान लगाता है जो दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा हो सकता है.
उन्होंने कहा, "विकास ज्ञान, स्थिरता और नवाचार से संचालित होगा," उन्होंने कहा कि स्टार्टअप तीनों में सही समाधान प्रदान करते हैं.
जैन ने कहा कि 2022 में प्रतिकूल भू-राजनीतिक घटनाओं के बाद मैक्रोइकॉनॉमिक हेडविंड्स के परिणामस्वरूप भारतीय स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग में गिरावट आई है, इस बात पर जोर देते हुए कि देश दूसरों की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है.
क्या होता है एंजेल टैक्स?
एंजेल टैक्स की शुरुआत 2012 में हुई थी. मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के मकसद से इसे लागू किया गया था. इसमें कहा गया है कि अगर कोई स्टार्टअप एंजेल इनवेस्टर्स से फंड जुटाता है और यह फंडिंग शेयर की फेयर वैल्यू से ज्यादा पर होती है तो इस पर टैक्स लगाया जा सकता है. टैक्स अथॉरिटीज इनवेस्टर्स की तरफ से चुकाए जाने वाले प्रीमियम को इनकम मानते हैं. इस पर करीब 31 फीसदी टैक्स लगता है.
पिछले कई सालों से इनवेस्टर्स और स्टार्टअप्स टैक्स अथॉरिटीज की तरफ से परेशान किए जाने की शिकायतें करते आ रहे हैं. उनका कहना है कि सही इनवेस्टमेंट के मामलों में भी एंजेल टैक्स के नियमों को लागू किया जाता है. स्टार्टअप्स की शिकायत रही है कि 3 से 4 साल पहले जुटाए गए एजेंल इनवेस्टमेंट पर उन्हें टैक्स नोटिस मिलते हैं. कुछ मामलों में स्टार्टअप्स की तरफ से बतौर टैक्स चुकाए जाने वाला अमाउंट फंडिंग अमाउंट से ज्यादा रहा है.
एंजेल टैक्स का मामला 2019 में जब बहुत गरम था तब लोकलसर्किल्स ने एक सर्वे किया था. इसमें बताया गया था कि 50 लाख से 2 करोड़ रुपये के बीच कैपिटल जुटाने वाले 73 फीसदी से ज्यादा स्टार्टअप्स को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से एंजेल टैक्स नोटिस मिले थे.