करामाती घड़ी बनाकर समय को अपना बनाया सिद्धांत वत्स ने
भारतीय युवक ने लायी डिजिटल मीडिया में नयी क्रांतिआधे से ज्यादा देशों में हुआ नये आविष्कार का इस्तेमाल"यूथ आइकॉन" अब दुनिया-भर में सुना रहा है कामयाबी का रहस्यसिद्धांत ने सपना पूरा होने तक नहीं ली थी चैन की नींद
भारत के मशहूर वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने सपनों के बारे में कहा है कि "सपने वे नहीं होते जो आपको रात में सोते समय नींद में आए, लेकिन सपने वे होते हैं जो रात में सोने न दें।"
ऐसे ही सपने देखने वाले एक शख्स का नाम है सिद्धांत वत्स। बिहार की राजधानी पटना के रहने वाले सिद्धांत वत्स की उम्र १९ साल हैं लेकिन उन्होंने जो आविष्कार किया है उससे उनकी ख्याति दुनिया-भर में फ़ैल गयी।
सिद्धांत ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर मोबाइल फोन, कम्प्यूटर और जीपीएस प्रणाली वाली एनड्रायड घड़ी का आविष्कार किया । ये घड़ी कोई मामूली घड़ी नहीं है। ये करामाती घड़ी है और अपने किस्म की पहली भी। इस घड़ी की वहज से दुनिया-भर में एक नयी क्रांति आयी। लोगों को एक नयी और अद्भुत सुविधा मिली। कलाई पर पहनी जानी वाली ये घड़ी काफी लाभकारी है और इसके कई फायदे हैं।
ये घड़ी अपने आप में एक मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर सिस्टम हैं और यहाँ पर सारे काम आसानी से किये जा सकते हैं। यानी ईमेल, डॉक्यूमेंट्स, कांटैक्ट जैसे मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर सिस्टम के सारे फीचर सिमटकर एक घड़ी में समा दिए गए हैं। एक मायने में मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर इंसान की कलाई पर बंध गया है। स्मार्ट वॉच के नाम से मशहूर हुई इस घड़ी की वजह से लोग अब चलते-फिरते, उठते-बैठते मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर पर किये जाने वाले सारे काम कर सकते हैं।
कलाई पर लगे स्मार्ट वॉच पर एक उंगली की चाल से कोई भी ईमेल भेज सकता है, फ़ोन कर सकता है। मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर पर होने वाले हर काम कर सकता है। यह घड़ी मैप और जीपीएस सुविधा से भी लैस है। यानी फोन करने से लेकर इंटरनेट का इस्तेमाल और कैमरा भी कलाई पर ही मौजूद है। इस आविष्कार ने गजैट्स और स्मार्टफोन की दुनिया में नयी क्रांति लाई। और अब इस घड़ी का इस्तेमाल दुनिया के आधे से ज्यादा देशों में हो रहा है।
महत्वपूर्ण बात ये भी है कि इस आविष्कार का जनक कोई पश्चिमी वैज्ञानिक नहीं है। ना ही ऑक्सफ़ोर्ड, कैम्ब्रिज जैसे विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाला कोई विद्वान। इस आविष्कार का जनक वो सपने देखनेवाला शख्स है जो रात को नहीं आते बल्कि जब आते हैं तो नींद उड़ा देते हैं और सोने नहीं देते।
एक आविष्कार ने पटना के एक युवा को कुछ ही दिनों में दुनिया-भर में मशहूर कर दिया । इसी आविष्कार ने सिद्धांत को "यूथ आइकॉन" बना दिया। दुनिया-भर की विभिन्न संस्थाओं ने उन्हें सम्मान और पुरस्कार दिए। सिद्धांत को दुनिया के अलग-अलग शहरों में हुए बिजनेस मीट और दूसरे समारोहों में व्याख्यान के लिए बुलाया जाने लगा। सिद्धांत ने दुनिया में कई जगह विश्व-प्रसिद्ध बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के महारथियों के बीच अपने देश और दुनिया के विकास को लेकर अपने सपनों और विचारों को साझा किया ।
उनकी उपलब्धियों और विचारों को कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सराहा गया। सिद्धांत के आविष्कार को हाल के दिनों में सबसे प्रभावशाली और श्रेष्ट आविष्कारों में गिना जाने लगा।
ख़ास बात ये भी है कि इस आविष्कार के लिए सिद्धांत ने काफी मेहनत की। उन्हें कई त्याग करने पड़े।
सिद्धांत को बचपन से ही विज्ञान और प्रोद्योगिकी में रूचि थी। बचपन से ही उनका मन नयी खोज करने या फिर कोई नया आविष्कार करने में लग गया।
सिद्धांत कोई बड़ा आविष्कार करने के सपने देखते। सपनों में नए आविष्कार के सिवाय कुछ और नहीं होता।
अपने सपने को साकार करने के लिए सिद्धांत ने स्कूल की पढ़ाई बीच में ही रोक दी। पहले तो माँ-बाप को सिद्धांत के फैसलों पर बहुत आश्चर्य हुआ लेकिन, बाद में उन्होंने सिद्धांत का खूब साथ दिया। वे जल्द ही जान गए कि सिद्धांत में प्रतिभा है और उनमें कुछ नया और बड़ा करने की काबिलियत भी । माँ-बाप ने सिद्धांत को कभी निराश नहीं किया और हमेशा उनके फैसलों का समर्थन कर उन्हें प्रोत्साहित किया।
सत्रह साल की उम्र में ही सिद्धांत ने अपनी कंपनी " अँड्रॉइडली सिस्टम्स" खोल ही। अपने तीन साथियों की मदद से सिद्धांत ने दुनिया के पहले एंड्राइड स्मार्ट का आविष्कार कर डाला।
सिद्धांत की कामयाबी की बड़ी वजह रही अपने सपनों को साकार करने के लिए दिन-रात मेहनत करना। सिद्धांत खुद ये कहते हैं कि सपने देखना उनकी आदत है। और, जब तक सपना साकार नहीं हो जाता उन्हें चैन की नींद नहीं आती। सपनों ने ही उन्हें एक उद्यमी बनाया। सपनों ने ही उन्हें मेहनत करना और ज़िंदगी में जोखिम उठाना सिखाया।
युवा उद्यमी सिद्धांत की एक और खासियत ये भी है वो नियमों के दायरे में रहकर काम करना पसंद नहीं करते। उनका मानना है कि कुछ अलग और बड़ा करना है तो सामान्य नियमों के दायरों से हटना होगा।
फिल्मों के दीवाने सिद्धांत का ये भी मानना है कि हर चीज़ का अंत बॉलीवुड की फिल्मों के अंत की तरह ही होना चाहिए यानी अंत सुखद होना चाहिए । अंत भला तो सब भला। सिद्धांत की राय में अगर अंत भला और सुखद नहीं है तो फिल्म का अंत नहीं हुआ है। फिल्म जब तक जारी रहेगी तब तक अंत सुखद नहीं होता। अपने जीवन को भी कुछ इसी अंदाज़ में ढाला है सिद्धांत ने। वो तब तक अपना संघर्ष जारी रखते हैं तब तक उन्हें उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिलती।
सिद्धांत के मुताबिक, उन्हें लम्बे समय तक एक ही काम करने में मज़ा नहीं आता। उन्हें अलग-अलग काम करना और नए-नए प्रयोग करने में आनंद मिलता है। जो मन में आता है , उसी को करने की चाहत होती है। चाहत अक्सर सपना बनती है और सिद्धांत सपनों के पीछे दौड़ने लगते हैं। सपनों के पीछे दौड़ते-दौड़ते ही सिद्धांत कामयाबी की राह पर चल पड़ते हैं।
अपनी कामयाबी के सिलसिले में जानकारियां देते-देते सिद्धांत एक और दिलचस्प बात बताते हैं। उनका कहना है कि भारत में सबसे बड़ी समस्या पड़ोसियों और पारिवारिक मित्रों से होती है। दोनों - पड़ोसी और पारिवारिक मित्र अक्सर लोगों को हतोत्साहित करते हैं। उनको कोई भी नया विचार या नयी योजना बताइये वो आपको ऐसी-ऐसी बातें कहेंगे जिससे आप निराश होंगे। आपको लगने लगेगा कि आप का विचार गलत है और आपकी योजना कामयाब हो ही नहीं सकती। इतना ही नहीं जो नयी सलाह पड़ोसी और पारिवारिक रिश्तेदार आपको देंगे , उससे आप उलझ भी जाएंगे।
सिद्धांत ने अब भी सपने देखना बंद नहीं किया है। वो "स्मार्ट वॉच" से भी बड़ा आविष्कार की तैयारियों में जुटे हैं।
बाज़ार में नए-नए प्रोडक्ट लाने की उनकी कोशिश जारी है। १९ साल की उम्र में ही वे एक सफल वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि एक कारोबारी और उद्यमी के रूप में खुद को स्थापित कर चुके हैं।
सिद्धांत ने समाज सेवा भी शुरू की है। वे एक गैरसरकारी संगठन "फलक" के भी संस्थापक हैं। उन्होंने अपनी माँ की मदद से इस गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) की शरुआत की। सिद्धांत इस एनजीओ के माध्यम से देश और मानवता की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने अपनी उद्यमिता और अविष्कारों से मानवता की सेवा करने का संकल्प लिया है। वे भारत में सांस्कृतिक और सामाजिक खाई को ख़त्म करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि गरीब बस्तियों में रहने वाले बच्चों और अनाथ बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले ताकि वे भी देश की तरक्की में शामिल हो सकें।