Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

सरकारी विभागों से तंग आकर महिला ने लिया ‘डिजिटल इंडिया’ का सहारा, सुलझाई पूरे गांव की समस्या

सरकारी विभागों से तंग आकर महिला ने लिया ‘डिजिटल इंडिया’ का सहारा, सुलझाई पूरे गांव की समस्या

Sunday October 14, 2018 , 4 min Read

 सरकारी स्कूल में पानी की किल्लत को लेकर बच्चे और उनके परिवारवाले दोनों ही बेहद परेशान थे। सरकारी महकमों में उनकी अर्ज़ी को तवज्जोह नहीं मिल रहा था और समस्या का कोई भी समाधान नहीं निकल पा रहा था।

फोटो साभार- वी द पीपल

फोटो साभार- वी द पीपल


 महिलाओं की हिम्मत और नई सोच रंग लाई और अब बैतूल के इस गांव के सरकारी स्कूल के सभी हैंडपंप ठीक ढंग से काम कर रहे हैं और अब यहां बच्चों को पानी की समस्या से नहीं जूझना पड़ता।

डिजिटल इंडिया की पहुंच अब देश के छोटे-छोटे गांवों तक हो रही है। इस बात की मिसाल पेश करती हुई कहानी है, मध्य प्रदेश के बैतूल ज़िले के पोलापत्थर गांव की। यहां पर सरकारी स्कूल में पानी की किल्लत को लेकर बच्चे और उनके परिवारवाले दोनों ही बेहद परेशान थे। सरकारी महकमों में उनकी अर्ज़ी को तवज्जोह नहीं मिल रहा था और समस्या का कोई भी समाधान नहीं निकल पा रहा था। इस उपेक्षा के बाद गांव की महिलाओं ने फ़ैसला लिया कि अब वे ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराएंगी। महिलाओं की हिम्मत और नई सोच रंग लाई और अब बैतूल के इस गांव के सरकारी स्कूल के सभी हैंडपंप ठीक ढंग से काम कर रहे हैं और अब यहां बच्चों को पानी की समस्या से नहीं जूझना पड़ता।

पोलापत्थर गांव के सरकारी स्कूल में शौचालय की भी व्यवस्था है और यहां पर पानी के लिए 3 हैंडपंप भी लगे हुए हैं। समस्या यह थी कि ये तीनों ही हैंडपंप ख़राब थे और सिर्फ़ नाम के लिए लगे थे। पानी की कमी की वजह से बच्चों को शौच के लिए भी तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता था और उन्हें खुले में ही शौच के लिए जाना पड़ता था। खुले में शौच की समस्या की वजह से 7वीं कक्षा से ऊपर की कक्षाओं में पढ़ने वाली लड़कियां स्कूल जाने से कतराने लगी थीं।

पोलापत्थर गांव की निवासी रश्मि दीदी लंबे समय से इस समस्या को देख रही थीं और इसका हल निकालने की कोशिश कर रही थीं। उन्होंने गांव के सरपंच से इस समस्या के बारे में बात की। रश्मि दीदी अपनी गुहार लेकर स्कूल के शिक्षकों के पास भी गईं, लेकिन किसी ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। गांव में किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि इस समस्या को सुलझाने की आधिकारिक जिम्मेदारी किसकी थी।

वी द पीपल की रिपोर्ट के मुताबिक हैंडपंप और पानी की किल्लत की चुनौती वैसी ही जारी रही। कुछ समय बाद रश्मि दीदी, सिविक लिटरेसी ऐंड एगेंजमेंट प्रोग्राम का हिस्सा बनीं और इस दौरान ही उन्होंने जाना कि इस तरह के मुद्दों को सुलझाने के लिए संविधान आम लोगों को किस तरह के अधिकार देता है और उन्हें किस आधिकारिक इकाई के पास अपनी गुहार लेकर जाना चाहिए। ये जानकारियां मिलने के बाद रश्मि दीदी ने जनपद पंचायत और बैतूल के ज़िला शिक्षा कार्यालय में अपनी लिखित अर्ज़ी भेजी। अधिकारियों ने उनकी अपील अस्वीकार कर दी और उन्हें पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग (पीएचई) डिपार्टमेंट में अपनी अपील दाखिल करने के लिए कहा। पीएचई विभाग ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस समस्या की सुनवाई जल्द ही की जाएगी, लेकिन विभाग का दावा भी खोखला निकला।

इसी तरह रश्मि दीदी करीबन एक महीने अलग-अलग सरकारी दफ़्तरों के चक्कर लगाती रहीं, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। सरकारी विभागों से निराश होने के बाद उन्होंने अपनी समस्या को ऊपर तक पहुंचाने के लिए डिजिटल इंडिया का सहारा लेना सही समझा और इसलिए उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज कराई। रश्मि दीदी की अपील का यह असर हुआ कि मात्र 15 दिनों के भीतर हैंडपंप ठीक कर दिए और आज की तारीख़ में सरकारी स्कूल के बच्चों को पानी की समस्या से जूझना नहीं पड़ रहा।

रश्मि दीदी का कहना है कि एक सामान्य नागरिक होने के नाते हम अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों को समझ नहीं पाते और इस वजह से ज़्यादातर लोग अपने आस-पास की समस्याओं को देखने के बाद उन्हें सुलझाने की कोशिश नहीं करना चाहते बल्कि उनसे मुंह फेर लेते हैं। वह मानती हैं कि जब एक बार आम नागरिक संविधान द्वारा दिए गए अपने अधिकारों को समझ लेता है, उसके बाद उसे अपने अधिकारों के लिए लड़ने से कोई नहीं रोक सकता।

यह भी पढ़ें: दीपिका पादुकोण निभाएंगी एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी पर बनने वाली फिल्म में लीड रोल