बच्चों ने बंद किया स्कूल जाना तो टीचर ने बच्चों के घर पर शुरू की क्लास
कई अध्यापक ऐसे हैं जो बच्चों की पढ़ाई के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं। गुजरात के गोधरा में एक ऐसा ही स्कूल है जहां के शिक्षक बच्चों के घर जाकर उन्हें पढ़ाई कराते हैं।
इस पहल का इलाके के बच्चों पर काफी असर पड़ा और वे पढ़ाई के प्रति आकर्षित हुए। गोपाल बताते हैं कि नवा नादिसर प्राइमरी स्कूल में हर साल 30 से 40 बच्चे एडमिशन लेने के लिए आते हैं।
शिक्षा ही एकमात्र ऐसा तरीका है जिसकी मदद से समाज और इंसान दोनों को बदला जा सकता है। इसके जरिए समाज में जागरूकता, उत्तरदायित्व और समाज की आर्थिक स्थिति भी दुरुस्त की जा सकती है। इसीलिए देश के तमाम शिक्षाविद हमेशा शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए योजनाएं बनाते रहते हैं। हालांकि अभी देश का एक बड़ा तबका अभी भी अच्छी शिक्षा से वंचित है। अधिकतर सरकारी स्कूलों के शिक्षक इतने प्रतिबद्ध नहीं दिखते जितना कि उनको होना चाहिए। लेकिन फिर भी कई अध्यापक ऐसे हैं जो बच्चों की पढ़ाई के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं। गुजरात के गोधरा में एक ऐसा ही स्कूल है जहां के शिक्षक बच्चों के घर जाकर उन्हें पढ़ाई कराते हैं।
गुजरात के गोधरा में नवा नादिसर प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल गोपालकृष्ण को एक वक्त अहसास हुआ कि जिले में स्कूल में आने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट आ रही है। स्कूल न जाने वाले अधिकतर बच्चे सामाजिक रूप से पिछड़ी पृष्ठभूमि से होते हैं, जिन्हें लगता है कि पढ़ाई-लिखाई पर पैसे खर्च करना बेकार है। खासकर ऐसे लोगों के लिए जिनके माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं होते। ऐसे हालात में गोपालकृष्ण पटेल के दिमाग में एक आइडिया आया। उन्होंने सोचा कि आसपास के इलाकों में अगर बच्चों के घर के आसपास ही उनके पढ़ाने की सुविधा कर दी जाए तो हो सकता है कि वे पढ़ाई के प्रति आकर्षित हो जाएं।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए वह कहते हैं, 'हफ्ते में एक बार हम स्कूल के बच्चों को लेकर गांव में जाते हैं और वहीं पर क्लास लगाते हैं। इससे क्या होता है कि गांव के जो बच्चे स्कूल नहीं जाते उनका भी मन पढ़ाई करने के लिए करने लगता है।' गोपाल कहते हैं कि इस खुली असेंबली में आसपड़ोस के सारे बच्चे आकर पढ़ाई कर सकते हैं। इतना ही नहीं बच्चों के अभिभावक भी यहां आकर देख सकते हैं कि उनके बच्चे कैसी पढ़ाई कर रहे हैं। गोपाल ने इस पहल को मोहल्ला प्रार्थना सभा का नाम दिया है।
इस पहल का इलाके के बच्चों पर काफी असर पड़ा और वे पढ़ाई के प्रति आकर्षित हुए। गोपाल बताते हैं कि नवा नादिसर प्राइमरी स्कूल में हर साल 30 से 40 बच्चे एडमिशन लेने के लिए आते हैं। पहले के मुकाबले यह संख्या काफी ज्यादा है। इस स्कूल में पढ़ाई का तरीका तो अलग है ही साथ में उन्हें खेलकूद और मनोरंजन जैसी गतिविधियों में भी शामिल किया जाता है। खेलकूद के जरिए बच्चों को पढ़ाने पर वे जल्दी सीखते हैं और उनका मन भी पढ़ाई में लगा रहता है। गोपाल की इस मुहिम को केंद्र सरकार और यूनिसेफ की तरफ से भी सराहना मिली। 2017 में स्कूल के एक टीचर राकेश पटेल को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है।
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