'हमारी पहचान' बना रहा दिल्ली को महिलाओं के लिए सुरक्षित
'हमारी पहचान' नाम से एनजीओ चलाने वाले तरुण ने 'सेव दिल्ली, ब्रेव दिल्ली' अभियान चलाया। इसके तहत कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए जिसमें राज्य सरकार ने भी सहयोग किया। तरुण एक चेस प्लेयर रहे हैं।
'हमारी पहचान' अनौपचारिक कक्षाएं चलाता है जिसे दृष्टि कहा जाता है। 'दृष्टि' का मकसद सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूलों के बीच होने वाले अंतर को कम करना होता है। यह एक पुल की तरह कार्य करता है।
2012 में पूरे देश को शर्मसार कर देने वाले दिल्ली के निर्भया रेप कांड के बाद लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा की आवाजें तेजी से उठने लगीं। हालांकि लड़कियों के परिजनों के द्वारा भी सुरक्षा को लेकर कई तरह की हिदायतें दी जाने लगीं। हालांकि बेहतर तो यही होता कि लड़कियों को 'खास हिदायत' देने के बजाय अगर दिल्ली को और सुरक्षित बनाने की बात की जाती तो शायद ज्यादा बेहतर होता। इसी बात ने दिल्ली के रहने वाले तरुण माथुर को महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम करने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने संगठन तैयार किया और लोगों को एकजुट कर काफी जागरूकता भी फैलाई, जिसके काफी सुखद परिणाम भी देखने को मिले।
'हमारी पहचान' नाम से एनजीओ चलाने वाले तरुण ने 'सेव दिल्ली, ब्रेव दिल्ली' अभियान चलाया। इसके तहत कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए जिसमें राज्य सरकार ने भी सहयोग किया। तरुण एक चेस प्लेयर रहे हैं। लेकिन सामाजिक कार्यों में भी उनकी काफी दिलचस्पी रही। उन्हें अक्सर यह देखकर दुख होता था कि लोग दिग्भ्रमित क्यों हैं। वे जब देखते थे कि युवा पीढ़ी गलत रास्ते पर चल रही है और उसके पास कोई दृष्टि नहीं है, तो उन्हें काफी दुख होता था। इसीलिए उन्होंने युवाओं को चेस की ट्रेनिंग देनी शुरू की, वो भी बिल्कुल मुफ्त।
उन्होंने इसके साथ ही गैलैक्सी प्रॉडक्शन और हमारी पहचान नाम के दो संगठन भी खड़े किए। इन संगठनों की मदद से 2014 में स्टाइलिशन दिवा प्रोग्राम लॉन्च किया गया जिसका मकसद होनहार मॉडल्स के लिए सुरक्षित माहौल तैयार करना था। यह फैशन शो दिल्ली की पैदल चलने वाले रास्तों पर आयोजित किया गया, जिसमें दिल्ली पुलिस का भी सहयोग मिला। इस फैशन शो में 18 से लेकर 40 साल की महिलाओं ने हिस्सा लिया। फैशन शो का मकसद यह दिखाना था कि दिल्ली की सड़कें महिलाओं के लिए पूरी तरह से खुली हैं जहां वे आसानी से कहीं भी घूम सकती हैं।
तरुण कहते हैं, 'अगर आपको कहीं भी कुछ गलत होता दिखे तो उसके खिलाफ आवाज उठाइए। किसी और के बोलने का इंतजार मत कीजिए क्योंकि आपकी चुप्पी देश और समाज के लिए गंभीर समस्या बन सकती है।' तरुण मानते हैं कि रेप समाज के लिए महामारी के समान हैं।। वे कहते हैं, 'हमारे समाज में बर्बरता दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है और एक इंसान के तौर पर हम फेल हो रहे हैं। मेरा मानना है कि शिक्षा और जागरूकता की मदद से समाज को बदला जा सकता है। हमारी पहचान संगठन इसी कार्य में जुटा हुआ है।'
'हमारी पहचान' अनौपचारिक कक्षाएं चलाता है जिसे दृष्टि कहा जाता है। 'दृष्टि' का मकसद सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूलों के बीच होने वाले अंतर को कम करना होता है। यह एक पुल की तरह कार्य करता है। पिछड़ी पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चे जो सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं उन्हें साफ-सफाई, लोगों के व्यवहार के बारे में सिखाया जाता है। ये कक्षाएं दिल्ली के अलावा जयपुर और उत्तर प्रदेश में भी चलती हैं। इतना ही नहीं एनजीओ के माध्यम से गरीब बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती हैं। तरुण बताते हैं कि वे यह सारा काम दोस्तों और कुछ भले लोगों द्वारा मिले चंदे से संपन्न होता है।
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